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‘मिक्की मेहता मौत कांड’ में एडीजी नक्सल ऑपरेशन मुकेश गुप्ता के खिलाफ मुक़दमा दर्ज

BeyondHeadlines News Desk

छत्तीसगढ़ :12 साल से पुलिस चौकी व सरकारी दफ्तरों का चक्कर लगाने के बाद आखिरकार अब ‘​मिक्की मेहता मौत कांड’ के मामले में प्रदेश के एडीजी नक्सल ऑपरेशन के खिलाफ कोर्ट ने केस दर्ज कर लिया है. इससे प्रदेश के सबसे ताकतवर पुलिस अधिकारी एडीजी मुकेश गुप्ता मुश्किलें बढ़ती नज़र आ रही हैं. इस मामले में मुकेश गुप्ता उनके परिवार व दोस्त समेत कुल 14 अभियुक्त के खिलाफ कोर्ट, अपराध की धारा 302, 306 ए, 04 बी, के तहत​ पूछताछ करेगी. यह केस मिक्की मेहता की मां श्यामा मेहता के आवेदन पर दर्ज किया गया है.

प्रदेश के पुलिस महकमें के ​सबसे बड़े अधिकारी के खिलाफ इस हाइप्रोफाईल मामले में परिवाद दर्ज होने के बाद प्रदेश की राजनैतिक सरगर्मियां बढ़ सकती हैं. प्रदेश के कई समाजसेवी  इसे एक बड़ी जीत क़रार दे रहे हैं.

 

क्या है मिक्की मेहता की मौत का मामला

Mikki Mehta murder caseदरअसल, एडीजी मुकेश गुप्ता सन 1999 में मिक्की मेहता नाम की नेत्र चिकित्सक के संपर्क में आए. धीरे-धीरे दोनों के बीच नजदीकीयां बढ़ी. इस दौरान दोनों का एक बच्ची भी हुई. जिसका नाम मुक्ता गुप्ता रखा गया. मिक्की मुक्ता को लेकर अपने साथ रहने लगी. मिक्की मेहता की मां के मुताबिक जब मिक्की हैदराबाद में रहती थी. उस दौरान तिरूपती बालाजी में मुकेश गुप्ता ने मिक्की से गंधर्व विवाह किया था. जबकि मुकेश गुप्ता पहले से ही शादीशुदा था. लिहाजा वो मिक्की को पत्नि के रूप में स्वीकार नहीं करना चाहता था. इसी दौरान मिक्की की संदिग्ध हालत में मौत हो गई. मिक्की की मां आरोप लगाती हैं कि मिक्की की मौत नहीं, बल्कि मुकेश गुप्ता ने उसकी हत्या कर दी थी.

मिक्की की मां श्यामा मेहता 12 सालों से थानों से लेकर डीजीपी ऑफिस तक के चक्कर लगाती रहीं, लेकिन मुकेश ​गुप्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं हो सकी. मिक्की मेहता का भाई माणीक मेहता भी लगातार गृहमंत्री से मिलकर मामले की फाईल खुलवाने की अपील कर रहा था. परिवार का आरोप है कि उसे ट्रक से कुचलवाकर मारने की कोशिश की गई. इसी दौरान माणीक के साथ जा रहे शरद अग्रवाल ने ट्रक चालक पर लाइसेंसी रिवाल्वर से आत्मरक्षा के लिए फायरिंग कर दी. इस मामले में माणीक मेहता को जेल भेज दिया गया है. लगातार प्र​ताड़ित होने के बाद अब मिक्की की मां ने कोर्ट में मुकेश गुप्ता के खिलाफ फरियाद  किया. कोर्ट ने केस स्वीकार कर लिया है.

परिवादीयों ने कोर्ट में मुकेश गुप्ता और मिक्की मेहता की तस्वीर को साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया है. साथ ही पूर्व डीजी ओ.पी. राठौर के उस पत्र को कोर्ट ने आधार माना है, जिसमें विभागीय जांच में मिक्की को मुकेश गुप्ता की पत्नि माना गया था. ओ.पी. राठौर ने इस मामले की जांच के लिए गृह विभाग को पत्र लिखकर मुक्ता और मुकेश गुप्ता की डीएनए जांच की मांग भी की थी. प्रदेश के गृहमंत्री ननकी राम कंवर भी प्रदेश के गृह मंत्रालय को कई बार मिक्की मेहता प्रकरण में जांच के आदेश दे चुके हैं. एडीजी नक्सल ऑपरेशन मुकेश गुप्ता के प्रभाव की वजह से यह प्रकरण अब तक न तो एफआइआर दर्ज हो सका न ही विभागीय जांच हो पाई है. ऐसे में कोर्ट में केस दर्ज हो जाना मिक्की के परिवार के लिए बड़ी राहत के तौर पर देखा जा रहा है. अब कोर्ट इस मामले में संबंधित लोगों से पूछताछ करेगा. इसके बाद एफआईआर दर्ज करने के संबंध में 7 नंवबर को फैसला सुनाया जा सकता है.

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