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भाजपा, सपा, कांग्रेस से अपना टेरर एजेंडा सेट करवा रही है आईबी : रिहाई मंच

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published October 28, 2013
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11 Min Read
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BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ : बिहार में हुए धमाकों पर रिहाई मंच के प्रवक्ता शाहनवाज़ आलम और राजीव यादव ने जारी बयान में कहा कि पटना में नरेन्द्र मोदी की रैली में हुए धमाकों में आईबी और संघ परिवार को जांच के दायरे में लाया जाए. देश की खुफिया एजेंसियां इन चुनावी रैलियों का इस्तेमाल आतंकवाद के नाम पर निर्दोष मुसलमानों को फंसाने और अपने ऊपर उठ रहे सवालों से लोगों का ध्यान हटाने के लिए कर रही हैं.

इंडियन मुजाहिदीन जैसे फर्जी संगठन, जिसे देश का एक बड़ा हिस्सा आईबी द्वारा संचालित कागजी संगठन मानता है, व आईएम पर लगातार उठ रहे सवालों और उसके अस्तित्व को जबरन स्थापित करने के लिए इस तरह के फर्जी बम कांड करवाकर आईएम का नाम लिया जा रहा है.

patna serial blastउन्होंने कहा कि इन धमाकों में आईबी संघ परिवार के माड्यूल का इस्तेमाल कर रही है. यह धमाके ठीक उसी तर्ज पर हैं जैसे आईबी ने संघ परिवार के माड्यूल का इस्तेमाल करके गया में फर्जी आतंकवादी घटना को अंजाम दिया था. उन्होंने कहा कि यह अत्यंत हास्यास्पद है कि कोई आतंकवादी संगठन सुतली बम से हमला करेगा. यहां यह बात गौर करने लायक है कि पटना रैली में एक दिन पूर्व पहुंचे भाजपाइयों ने रेलवे स्टेशनों पर जमकर आतिशबाजी की थी जिनकी मारक क्षमता इन बमों से कहीं ज्यादा थी. इस आशिबाजी की आवाज़ काफी दूर तक सुनी गयी थी, लेकिन जो सुतली बम फटे हैं, उनकी आवाज़ वहां मौजूद लोगों ने खुद सुनने से इंकार किया है तथा कहा है कि उन्होंने भी किसी से सुना है, इसकी भी जांच होनी चाहिए.

राजीव यादव ने कहा कि मुजफ्फरनगर दंगे का बदला बताकर आईबी द्वारा आतंकी विस्फोट करवाने का यह प्लान बहुत पहले ही सामने आ गया था, जब आईबी ने अखबारों में राहत शिविरों में आतंकवादियों की आवाजाही की फर्जी खबरें प्लांट करवाईं. अब इस जनसंहार के शिकार लोगों को न्याय से वंचित रखने के लिए राहुल गांधी और अन्य माध्यमों द्वारा इस किस्म का प्रचार किया जा रहा है कि पीडि़त परिवार आईएसआई के संपर्क में है और इन धमाकों द्वारा कथित तौर पर इनका बदला लेने का भ्रामक प्रचार किया जा रहा है. वास्तव में इन विस्फोटों में आईबी खुद शामिल है.

उन्होंने कहा कि जिस तरह सादिक जमाल मेहतर फर्जी एनकाउंटर केस में आईबी अधिकारी राजेन्द्र कुमार को बचाने के लिए आईबी ने भाजपा तथा गृहमंत्रालय दोनों को ही सीबीआई पर दबाव डालने के लिए इस्तेमाल किया कि सीबीआई अपनी चार्जशीट में राजेन्द्र कुमार का नाम न शामिल करे. इसी के साथ आईबी ने सरकार को चेतावनी भी दी थी कि अगर ऐसा हुआ तो देश की सुरक्षा खतरे में पड़ जायेगी. इस धमकी के ठीक बाद आईबी ने संघ के माड्यूल का इस्तेमाल करके बोध गया में धमाके करवाए.

उन्होंने कहा कि मुजफ्फरनगर जनसंहार के मास्टरमाइंड संगीत सोम जो इस समय रासुका के तहत जेल में बंद है, को उर्दू में लिखा गया जान से मारने वाला धमकी भरा पत्र जो पटना में मोदी की रैली में हुए धमाकों से एक दिन पहले मिला था, एक साजिश के तहत भेजा गया, जिसमें मुजफ्फरनगर दंगों के बदले की बात कही गयी है. इसी तरह जब बोधगया में बम धमाके हुए थे तो वहां भी धमाकों में इस्तेमाल सिलेंडरों के साथ उर्दू में लिखे गये पत्रों के मार्फत यह दुष्प्रचार करने की कोशिश की गयी कि यह म्यांमार के मुसलमानों के खिलाफ हो रही ज्यादतियों का बदला लेने के लिए इस कार्यवाई को अंजाम दिया गया.

उन्होंने कहा कि आरोपियों को रांची में पकड़ने की बात हो रही है तथा उनके पास से जेहादी साहित्य मिलने की बात कही जा रही है. क्या सरकार ने किसी अधिसूचना के तहत जेहादी साहित्य की कैटेगरी निर्धारित की है? फिर जेहादी साहित्य क्या है? इस पर फैसला कैसे होगा? कुल मिलाकर ये धमाके आईबी और संघ परिवार की मिली जुली साजिश का नतीजा है जिनमें पांच बेगुनाहों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा.

रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने कहा कि बिहार में हुए धमाकों को जिस तरह से मुज़फ्फनगर को जोड़ा जा रहा है उसमें कई सवाल बहुत मौंजू हो जाते हैं. पिछले 27 सितंबर से शुरु हुए मुजफ्फरनगर व आस-पास के जिलों की सांप्रदायिक हिंसा में जिस तरीके से जाटों ने खुलेआम तलवार कटार नहीं बल्कि तमंचों, राइफलों, रिवाल्वरों और कुटबा-कुटबी जैसे गांवों में आधुनिक हथियारों का प्रयोग किया उस पर किसी आईबी की यह सूचना नहीं आई कि यह लोग किस आतंकी संगठन से जुड़े हैं?

रिहाई मंच ने दंगों के दौरान कुटबा-कुटबी गांव के लोगों के मोबाइल काल रिकार्ड को जारी करते हुए सपा सरकार से पूछा था कि मोबाइल बातचीत में जिस अंकल का जिक्र आया है वो कौन है? इस पर प्रदेश सरकार मौन है. क्योंकि हमने संदेह व्यक्त किया है कि
जिस अंकल ने मुसलमानों को मारने के लिए दस मिनट के लिए फोर्स रुकवाई वो हो न हो मुंबई एटीएस प्रमुख केपी रघुवंशी हैं. क्योंकि केपी रघुवंशी इसी गांव के हैं और उनके घर के लोग भी इस सांप्रदायिक हिंसा में नामजद अभियुक्त हैं.

मोहम्मद शुएब ने कहा कि दंगों के बाद जिस तरीके से जाट महिलाओं ने तमचों के साथ खुले प्रदर्शन कर हत्यारे, बलात्कारियों, लूट-पाट करने वालों को बचाने के लिए प्रदर्शन किए उस पर देश की आईबी का क्या कहना है ? क्या इसे आतंकी वारदात नहीं माना जाए? सांप्रदायिक हिंसा से ग्रस्त कुटबा-कुटबी गांव में जिस तरीके से आधुनिक हथियार जो एके-47 या 56 हो सकते हैं जो जांच का विषय है, के इस्तेमाल का मामला और जहां सर्वशक्ति का नाम के संघ परिवार से जुड़े संगठन का नाम आया है ऐसे में क्यों नहीं बिहार में हुए धमाकों में इन संगठनों को जांच की परिधि में लाया जा रहा है. यह बहुत ही गैरतार्किक बात है कि मोदी पर हमला करने वाला संगठन सामुदायिक शौचालय जैसी जगहों पर हमला करेगा.

दूसरे जिस तरह से सामने आ रहा है कि विस्फोटकों की क्षमता बहुत कम थी वो बताता है कि धमाकों को प्लांट करने वाले लोगों का मकसद दहशत फैलाकर मोदी के पक्ष में माहौल बनाना था, और अगर ऐसा नहीं था तो इस घटना के बाद भी मोदी ने कैसे रैली की. बिहार में हुए इस हमले से पहले आईबी ने यूपी में माहौल बनाया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दाउद चुनावों के दौरान हमले कर सकता है, जिस पर 16 अक्टूबर के अखबारों में खबर भी आई की सीएम की सलाह पर 25 जिलों के अधिकारी बुलाए गए, ठीक उसके बाद राहुल गांधी द्वारा बोला गया कि आईबी के अधिकारी ने बताया कि मुजफ्फरनगर के दंगा पीडि़त आईएसआई के संपर्क में और उसके बाद मोदी की रैली में बिहार में हुए धमाके इन सबमें एक बात कामन है कि इन सब में आईबी की भूमिका है, ऐसे में बिहार में हुई घटना में राहुल गांधी और उनको सूचना देने वाले आईबी अधिकारी को भी जांच के दायरे में लाया जाए.

आज़मगढ़ से जारी बयान में रिहाई मंच आज़मगढ़ के प्रभारी मसीहुद्दीन संजरी ने कहा कि ऐसी घटनाओं के बाद चाहे वो हमारा आज़मगढ़ हो या फिर बिहार को कोई दरभंगा का इलाका हो या फिर कर्नाटक का भटकल ऐसे तमाम इलाकों में आईबी डर व दहशत का माहौल बनाकर मुसलमानों को परेशान करती है. मुज़फ्फरनगर दंगे हो या फिर गुजरात दंगा हो या फिर बाबरी मस्जिद का विध्वंस, उसको बहाना बनाकर मुस्लिम नौजवानों का उत्पीड़न करना एटीएस और खुफिया एजेंसियों की प्रवृत्ति बन गई है. जहां दंगो में हमें इंसाफ से वंचित किया जाता है तो वहीं आतंकवाद का आरोप हमारे बेगुनाह बच्चों को जेलों में सड़ाया जाता है.

इलाहाबाद से जारी बयान में रिहाई मंच इलाहाबाद के प्रभारी राघवेन्द्र प्रताप सिंह और सामाजिक कार्यकर्ता हरेराम मिश्र ने कहा कि आज जिस तरह से राहुल गांधी से आईबी ने कहवाया कि मुजफ्फरनगर दंगों के शिकार लोग से आईएसआई के संपर्क हैं, ऐसी मुस्लिम विरोधी अफवाहें फैलाने का ठेका संघ परिवार का था पर जिस तरीके से अपने को सेक्युलर कहने वाले दलों ने टेरर पॉलिटिक्स करने के लिए मुसलमानों पर हमलवार हो रहे हैं वो लोकतंत्र के लिए खतरनाक है. इसी लॉजिक के तहत गुजरात में सादिक जमाल मेहतर के कत्ल को गुजरात की पुलिस एवं आईबी ने हत्या के बाद दर्ज एफआईआर में साबित करने की कोशिश की.

यही बात गुजरात दंगों के बाद सन् 2002 में गुजरात भाजपा के नेता भारत बरोट ने भी आईएम के गठन को सही साबित करने की आईबी की इस चाल हां में हा मिलायी थी ताकि संघ परिवार की इस थ्योरी की आड़ में मुसलमानों को आतंकवादी घोषित करने के कुचक्र को आईबी चलाती रहे.

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