BeyondHeadlines News Desk
नई दिल्ली : इंसान इंटरनेशनल फाउंडेशन ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का स्वागत किया है, जिसमें कहा गया है कि जो एनजीओ और प्राइवेट ऑर्गनाइजेश सरकार से फाइनेंशल मदद लेते हैं, वे आरटीआई के दायरे में आएंगे. और ऐसे एनजीओ ट्रांसपैरंसी लॉ के तहत जानकारी सार्वजनिक करने के लिए बाध्य हैं. चाहे सरकार का इन पर कोई लीगल कंट्रोल न हो.
इस फैसले पर इंसान इंटरनेशनल फाउंडेशन के कोषाध्यक्ष सेराज अख्तर सिद्दीकी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने भले ही देर से फैसला दिया हो, लेकिन यह फैसला काफी अहम है. आज एनजीओ एक दुकान बन चुकी हैं, और इनमें इतना भ्रष्टाचार है कि नौबत हत्या तक की आ जाती है. ऐसे में हम इस फैसले का स्वागत करते हैं. इससे एनजीओ के भ्रष्टाचार पर लगाम लगाया जा सकेगा.
वहीं इंसान इंटरनेशनल फाउडेंशन के चेयरमैन अफ़रोज़ आलम साहिल व राष्ट्रीय सचिव कमला कांता दास ने भी इस फैसले का स्वागत किया और बताया कि इंसान इंटरनेशनल फाउंडेशन इसके लिए काफी दिनों से संघर्ष कर रहा है. बल्कि इसने एनजीओ के पारदर्शिता के लिए एक अभियान भी चलाया था, जिसमें देश में आरटीआई पर काम करने वाले तमाम एनजीओज़ को आरटीआई भेजकर जानकारी मांगी थी, जिसमें ज़्यादातर ने सूचना देने से यह कहते हुए इंकार कर दिया कि वो पब्लिक ऑथोरिटी नहीं हैं. इंकार करने वालों में अरविन्द केजरीवाल की संस्था ‘परिवर्तन’ व ‘पब्लिक कॉज़ रिसर्च फाउंडेशन’ भी शामिल है.
इंसान इंटरनेशनल फाउडेंशन का मानना है कि अगर हम देश में ट्रांसपैरेंसी चाहते हैं तो पहले हमें खुद भी ट्रांसपैरेंट होना पड़ेगा. इसलिए इंसान इंटरनेशनल फाउडेंशन अपने गठन के आरंभ से ही खुद को आरटीआई के दायरे में मानती है. हर वो आरटीआई का स्वागत करती है जो उनके संघटन से किसी भी तरह का सूचना चाहते हैं. इंसान इंटरनेशनल फाउडेंशन अगले महीने से फिर एनजीओज़ के पारदर्शिता का अभियान शुरू करेगी, ताकि गरीबों का हक़ गरीबों तक पहुंच सके.