BeyondHeadlines News Desk
दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणाम आ चुके हैं. शायद दिल्ली में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है. वहीं अरविन्द केजरीवाल ने भी स्पष्ट कर दिया है कि वो ना किसी को समर्थन देंगे या ना लेंगे. ऐसे में दिल्ली राष्ट्रपति शासन की ओर बढ़ रहा है और ऐसा लगने लगा है कि अगले 6 महीने के लिए शासन नजीब जंग साहब का ही होगा.
इन सबके बीच हम आपको बता दें कि सरकार चाहे जिसकी बने, लेकिन दिल्ली के कई लोगों को न कांग्रेस पसंद है, न भाजपा और न ही आम आदमी पार्टी… ऐसे मतदाताओं की संख्या दिल्ली में तकरीबन 49125 है जिसने ‘इनमें से कोई नहीं’ यानी ‘नोटा’ बटन का प्रयोग किया.
जिन मतदाताओं ने नोटा का इस्तेमाल किया, उनसे जब इसकी वजह पूछी गयी तो उन्होंने कहा कि उन्हें चुनाव प्रक्रिया में किसी भी राजनीतिक दल से कुछ खास उम्मीद नहीं है.
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने इस साल सितंबर महीने में ईवीएम में नोटा का बटन शामिल करने का आदेश दिया था, ताकि मतदाताओं को यह अधिकार मिले कि वे इस बटन को दबाकर चुनाव में शामिल सभी उम्मीदवारों को खारिज कर सके. उच्चतम न्यायालय के आदेश पर चुनाव आयोग ने मिजोरम, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और नई दिल्ली विधानसभा चुनावों में नोटा के विकल्प की शुरुआत की थी. हालांकि निर्वाचन आयोग के अनुसार नोटा विकल्प के अंतर्गत प्राप्त मतों की गणना अवैध मतों के रूप में की जाएगी.