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ग्रामीणों ने महान जंगल पर जताया अपना अधिकार

BeyondHeadlines News Desk

सिंगरौली : महान जंगल पर अपने अधिकार के लिए आंदोलनरत स्थानीय लोगों ने अपने संघर्ष को एक क़दम और आगे बढ़ाते हुए महान जंगल पर वनाधिकार कानून 2006 के तहत अधिकार लेने की कानूनी प्रक्रिया शुरू कर दी है. ग्राम स्तरीय वन अधिकार समिति अमिलिया ने उप-खंड स्तरीय समिति तथा अनुविभागीय अधिकारी वनाधिकार समिति सिंगरौली से वनाधिकार कानून के तहत महान जंगल के बारे में जानकारी और दस्तावेजों की मांग की है.

वन अधिकार समिति अमिलिया के अध्यक्ष हरदयाल सिंह ने इस संबंध में अनुविभागीय अधिकारी वनाधिकार समिति सिंगरौली के पास आवेदन देकर वन अधिकार अधिनियम 2 के नियम 12(4) के अनुसार जानकारी, अभिलेख एवं दस्तावेज की अधिप्रमाणित प्रति के लिए अनुरोध किया है.

अमिलिया ग्राम वनाधिकार समिति ने उप-खंड स्तरीय वनाधिकार समिति को लिखे पत्र में मांग की है कि उन्हें वे कागज मुहैया कराये जायें जो उनका महान जंगल पर निर्भरता को साबित करता हो तथा जिससे उन्हें वनाधिकार कानून को हासिल करने में मदद मिले.

ग्राम वनाधिकार समिति के इस क़दम से महान जंगल क्षेत्र में कोयला खदान आवंटन के दूसरे चरण की पर्यावरण मंजूरी के लिए प्रयासरत राज्य सरकार व महान कोल लिमिटेड को झटका लगा है. इस कोयला खदान के आने से अमिलिया सहित 14 गांवों के लोगों की जीविका खतरे में पड़ जायेगी.

महान संघर्ष समिति की सदस्य तथा ग्रीनपीस की सीनियर अभियानकर्ता प्रिया पिल्लई सामुदायिक वनाधिकार के दावे के लिए शुरू की गयी कानूनी प्रक्रिया को अमिलिया के गांव वालों के संघर्षों की जीत बताती हैं. वे कहती हैं कि “ग्रामीण सामुदायिक वनाधिकार की पहचान के लिए दावा कर सकते हैं. पहली चरण के अंतर्गत ग्राम स्तरीय वनाधिकार समिति द्वारा उप-खंड स्तरीय वनाधिकार समिति से संबंधित कागजात की मांग की गई है, जिसमें सभी तरह के ऐतिहासिक दस्तावेज होते हैं जिससे उनके दावे को साबित करने में मदद मिलती है.”

सामुदायिक वनाधिकार दावे की प्रक्रिया

ग्राम स्तरीय वनाधिकार समिति द्वारा  उप-खंड स्तरीय वनाधिकार समिति को वनाधिकार कानून के तहत जंगल का नक्शा, निस्तार पत्र और वन संसाधन की योजना से जुड़े अन्य दस्तावेजों की मांग से संबंधित पत्र  भेजा गया है. उप-खंड स्तरीय वनाधिकार समिति द्वारा सारी सूचनाओं के मुहैया करा देने के बाद ग्राम स्तरीय वनाधिकार समिति अमिलिया ज़रुरी कागजातों के साथ  सामुदायिक वनाधिकार दावे के लिए फॉर्म भरेगी. इसके बाद फॉर्म को ग्राम सभा द्वारा जांची जाएगी. जांच के बाद फॉर्म को उप-खंड स्तरीय वनाधिकार समिति को सौंप दिया जाएगा और फिर अंत में फॉर्म जिला कलेक्टर की अध्यक्षता वाले जिला स्तरीय समिति में भेजा जाएगा. जिला स्तरीय समिति सामुदायिक वनाधिकार के दावे को स्वीकार कर अमिलिया ग्राम सभा को इस संबंध में पत्र प्रदान करेगी.

वनाधिकार समिति अमिलिया के अध्यक्ष हरदयाल सिंह उम्मीद जताते हैं कि उप-खंड स्तरीय वनाधिकार समिति जल्द ही सारे कागजात को मुहैया करा देगी जिससे सामुदायिक वनाधिकार दावे की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सके. वे कहते हैं कि “ये दस्तावेज़ हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण हैं. इससे हमें अपने महान जंगल पर सामुदायिक अधिकार के दावे को मज़बूती प्रदान होगी. मेरा पूरा गांव महान जंगल पर निर्भर है जिसे कोयला खदान के लिए देना प्रस्तावित है. महान संघर्ष समिति मेरे गांव में वनाधिकार कानून को लागू करवाने के लिए प्रयासरत है.”

हरदयाल सिंह महान संघर्ष समिति के सदस्य भी हैं. महान संघर्ष समिति ने मांग की है कि जल्द से जल्द सारे दस्तावेज मुहैया कराये जायें जिससे वनाधिकार कानून के उल्लंघन को रोका जा सके.

स्पष्ट रहे कि महान जंगल पर जीवोकोपार्जन के लिए निर्भर पांच गांवों (अमिलिया, बंधोरा, बुधेर, सुहिरा तथा बरवांटोला) के ग्रामीणों ने महान कोल लिमिटेड (एस्सार व हिंडाल्को का संयुक्त उपक्रम) को प्रस्तावित कोयला खदान का विरोध तथा अपने वन अधिकारों के लिए शांतिपूर्वक संघर्ष करने के लिए महान संघर्ष समिति का गठन किया है. अब समिति वनाधिकार कानून 2006 के तहत जंगल पर अपना अधिकार पाने के लिए प्रयासरत है.

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