मुस्लिम वोटरों ने नकारा नीतिश की ‘सेकूलर’ राजनीति को

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Amit Sinha for BeyondHeadlines

बिहार के सतारूढ़ दल ने दिल्ली में अंडर-परफॉर्म किया है. मालूम हो कि नीतिश कुमार की पार्टी ने जदयू ने दिल्ली विधानसभा 2013 के चुनावों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया. रविवार को रिजल्ट भी आ गया.

परंतु जदयू के प्रदर्शन को लेकर कोई ख़बर नहीं मिल पा रही थी. खैर रविवार देर रात इसी संदर्भ में पुख्ता और प्रमाणित डाटा मिला. पेश है एक रिपोर्ट जो चुनाव आयोग की पुष्टि के बाद तैयार की गई है.

नीतिश कुमार ने अपनी पार्टी की ओर से दिल्ली विधानसभा के कुल 70 सीटों में 27 पर अपने उम्मीदवार खड़े किये थे. सेक्यूलर नीतिश ने यहाँ भी ‘सेक्यूलर’ कार्ड खेला और लगभग आधी सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिये. परंतु जिस तरह से दिल्ली के मुस्लिम वोटरों ने इन्हें नकारा वह इन ‘सेक्यूलर’ राजनीतिज्ञों के लिए सबक है.

उदाहरणः-

1. दिल्ली के त्रिनगर क्षेत्र में 1,03,335 (1 लाख 3 हजार 335) वोट पड़े. जदयू के सेक्यूलर राजनीति के उम्मीदवार मोहम्मद सुलेमान खान को मात्र 91 वोट मिले.

2. मुस्लिम बहुल क्षेत्र मुस्तफाबाद में भी नीतिश के मुस्लिम उम्मीदवार चारों खाने चित गिरे. कुल वोट पड़े 1,47,082 (1 लाख 47 हजार 82). मोहम्मद शाकिब यूसूफ को मिले 164 वोट. जबकि यहाँ से कांग्रेस के एक मुस्लिम उम्मीदवार ने ही जीत दर्ज की. इसका अर्थ साफ है कि मुसलमानों ने नीतिश से बेहतर कांग्रेस को समझा.

3. मुस्लिमों की अच्छी जनसंख्या वाले क्षेत्र तुगलकाबाद से नीतिश ने मुस्लिम उम्मीदवार को खड़ा किया. परंतु मुस्लिम मतदाताओं ने वोट नीतिश की ‘सेक्यूलर’ राजनीति के खिलाफ दिया. जदयू के मोहम्मद शब्बीर को मात्र 640 वोट मिले, जबकि कुल वोट  87,240 पड़े थे. और जीत दर्ज की भाजपा के रमेश बिधूरी ने वह भी 34,000 से अधिक वोट लाकर.

चुनावों की पूर्व संध्या पर दिल्ली की रैली में दंभ भरने वाले नीतिश कुमार को उनके उम्मीद के विपरीत परिणाम मिले हैं. कुछ खास बातें:-

– मुस्लिम बहुल क्षेत्रों से जदयू प्रत्याशियों को ज़बर्दस्त निराशा हाथ लगी है.

– मटियामहल से जदयू को इकलौती जीत मिली है, और जीतने वाले प्रत्याशी का दल-बदल का इतिहास रहा है. और जो भी वोट मिला है, वो प्रत्याशी के दम पर मिला है, उसमें नीतिश कुमार का कोई रोल नहीं है.

– कुल 27 में से 25 सीटों पर जदयू उम्मीदवारों की ज़मानत जब्त हो गई है. सिर्फ ओखला सीट से जदयू के शोएब दानिश को 9,735 वोट मिले. ओखला के लोग गवाह है कि इसमें भी नीतिश कुमार का कोई रोल नहीं है. शोएब दानिश खुद कांग्रेस पार्टी से इस इलाके के उम्मीदवार हैं. और जमकर चुनाव प्रचार किया था.

– अमूमन हर क्षेत्र में लगभग 1 से 1.5 लाख वोट पड़े. जिसमें ज्यादातर सीटों पर जदयू प्रत्याशियों को मात्र 100 वोट के आस-पास मिले.

– लक्ष्मीनगर और त्रिनगर में तो हद हो गई, वहां नीतिश कुमार के प्रत्याशीयों को मात्र 91 वोट मिले.

इन चुनाव से इतना तो तय हो गया है कि मुसलमानों को धर्म के नाम पर राजनीति में अब इस्तेमाल करना संभव नहीं है. दिल्ली चुनावों में यह एक संदेश है जो स्पष्ट कर रहा है कि भविष्य में मुसलमानों को गारंटेड कोई भी दल न ले. मुस्लिम भागीदारी चुनावों में बढ़ रही है और हर मुसलमान के अपने तर्क हैं, अपने निजी विचार हैं. विकास, ईमानदारी और गुड गवर्नेंस मुसलमानों की भी पसंद है. और वह कोई वोटों की गठरी मात्र नहीं है. शायद यही वजह है कि राजस्थान व मध्य प्रदेश में दिल खोलकर भारतीय जनता पार्टी को वोट किया.

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