BeyondHeadlines News Desk
छत्तीसगढ़ में भले ही भाजपा मिली जीत से खुश होकर अपनी पीठ थपथपा रही हो, मगर एक बड़े सच को वो जान-बुझकर नज़रअंदाज़ करती दिखाई दे रही है. यह सच चुनाव आयोग की ओर से दिए गए ‘इनमें से कोई नहीं’ यानी ‘नोटा’ विकल्प के इस्तेमाल का है. छत्तीसगढ़ इन चुनावों का वो इकलौता राज्य है, जहां सबसे अधिक ‘नोटा’ के बटन दबाए गए.
ऐसे वोटरों की संख्या छत्तीसगढ़ में तकरीबन 4,01,058 है जिसने ‘इनमें से कोई नहीं’ यानी ‘नोटा’ बटन का प्रयोग किया. यानी यहां 4 लाख लोगों को न कांग्रेस पसंद है और न ही भाजपा…
जिन मतदाताओं ने नोटा का इस्तेमाल किया, उनसे जब इसकी वजह पूछी गयी तो उन्होंने कहा कि उन्हें चुनाव प्रक्रिया में किसी भी राजनीतिक दल से कुछ खास उम्मीद नहीं है. दोनों ही पार्टियां छत्तीसगढ़ के विकास के लिए कुछ नहीं किया. सिर्फ यहां के धरोहरों को बड़ी-बड़ी कम्पनिय़ों से बेचने का काम किया है. तो वहीं नक्सलवाद के नाम पर यहां आदिवासियों का जीना मुहाल किया है.
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने इस साल सितंबर महीने में ईवीएम में नोटा का बटन शामिल करने का आदेश दिया था, ताकि मतदाताओं को यह अधिकार मिले कि वे इस बटन को दबाकर चुनाव में शामिल सभी उम्मीदवारों को खारिज कर सके. उच्चतम न्यायालय के आदेश पर चुनाव आयोग ने मिजोरम, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और नई दिल्ली विधानसभा चुनावों में नोटा के विकल्प की शुरुआत की थी. हालांकि निर्वाचन आयोग के अनुसार नोटा विकल्प के अंतर्गत प्राप्त मतों की गणना अवैध मतों के रूप में की जाएगी.