वीरप्पा मोईली को एस्सार बचाना क्यों चाहती है?

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BeyondHeadlines News Desk

मुंबई : बॉम्बे हाईकोर्ट ने उस दलील को खारिज कर दिया, जिसमें एस्सार ने ग्रीनपीस द्वारा पर्यावरण व वन मंत्री वीरप्पा मोईली से मांगे जा रहे इस्तीफे पर रोक लगाने की मांग की थी. ग्रीनपीस लगातार पर्यावरण चिंताओं को दरकिनार कर प्रोजेक्टों को स्पीडी क्लियरेंस दे रहे मोईली से इस्तीफे की मांग कर रहा है.

यह केस 22 जूलाई 2014 को ग्रीनपीस द्वारा मुंबई स्थित एस्सार मुख्यालय पर प्रदर्शन से जुड़ा हुआ है. ग्रीनपीस ने एस्सार व हिंडाल्कों के संयुक्त उपक्रम महान कोल लिमिटेड को प्रस्तावित कोयला खदान को रद्द करने की मांग की थी, जिससे लाखों लोगों को जंगल और ज़मीन से विस्थापित होने से बचाया जा सके. फिलहाल महान कोल ब्लॉक कोयला घोटाले की जांच कर रही सीबीआई की जद में है.

पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जल्दबाजी में दिए जा रहे पर्यावरण क्लियरेंस को देखते हुए डर जताया जा रहा है. महान कोल ब्लॉक को भी आने वाले दिनों में दूसरे चरण का क्लियरेंस दे दिया जाएगा. दूसरी तरफ कंपनी वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा 2012 में दिए गए शर्तों को तथा वनाधिकार कानून को लागू करने में भी असफल रही है.

 कोर्ट की कार्यवाही पर जवाब देते हुए ग्रीनपीस की कैंपेनर अरुंधती मुत्थू ने कहा कि “एस्सार हर हाल में गलत तरीके से पर्यावरण क्लियरेंस दे रहे वीरप्पा मोईली को बहस से बचाना चाहती है. एक निजी कंपनी द्वारा केन्द्रीय मंत्री के पक्ष में आना काफी संदिग्ध है. यहां सवाल उठाने की ज़रुरत है कि क्यों एस्सार माननीय न्यायालय में मोईली पर बात न करने की वकालत कर रही है? क्या यह इसलिए कि वे जानते हैं कि मोईली कंपनी के पक्ष में निर्णय लेंगे”?

एस्सार ने महान जंगल को बचाने के लिए शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वाले ग्रीनपीस और महान संघर्ष समिति पर 500 करोड़ की मानहानि तथा चुप रहने का मुक़दमा दायर किया है. महान संघर्ष समिति सदस्यों ने भी कंपनी पर धोखे का दोष मढ़ा है, जिसे सामाजिक संगठनों और जनजातीय मंत्रालय केसी देव द्वारा चिन्हित किया गया था. देव ने महान के ग्रामीणों के आरोपों की जांच करवाने के लिए मध्यप्रदेश के राज्यपाल और मुख्यमंत्री को चिट्ठी भी लिखी थी.

मुत्थू आगे बताती हैं कि “एस्सार लोगों की आवाज़ को दबाने की कोशिश कर रही है और अब वो सरकार के खिलाफ उठे आवाज़ को भी रोकना चाहती है. यह लोकतांत्रिक मर्यादा और अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ भी है. हम लोग मज़बूती से इसका विरोध करेंगे”

ग्रीनपीस एस्सार को प्रस्तावित कोयला खदान को रद्द करने के साथ ही पर्यावरण की कीमत पर स्पीडी क्लियरेंस बांट रहे वीरप्पा मोईली के इस्तीफे की मांग की.

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