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Reading: मोदी के पक्ष में माहौल बनाने में जुटी खुफिया एजेंसियां- रिहाई मंच
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मोदी के पक्ष में माहौल बनाने में जुटी खुफिया एजेंसियां- रिहाई मंच

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published March 25, 2014
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5 Min Read
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BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ : रिहाई मंच ने एनआईए द्वारा आज़मगढ़ के तीन युवकों के घरों की बिना कानूनी प्रक्रिया का पालन किए कुर्की किए जाने को अवैध क़रार देते हुए इसे एनआईए की कानून विरोधी कार्यशैली का एक और उदाहरण बताया है.

रिहाई मंच आज़मगढ़ के प्रभारी मसीहुद्दीन संजरी ने कहा कि बनारस से मोदी के चुनाव लड़ने के कारण एनआईए और अन्य खुफिया एजेंसियां आतंकवाद के नाम पर आज़मगढ़ को एक बार फिर बदनाम कर के मोदी के पक्ष में साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण कराना चाहती हैं, जिसे इस क्षेत्र की जनता समझ चुकी है.

मसीहुद्दीन संजरी ने कहा कि किसी के घर की कुर्की करने से पहले सम्बंधित परिवार को नोटिस दिया जाता है, जिसे लेने वाला अगर घर पर न मिले तो उसे दो स्थानीय गवाहों की मौजूदगी में दरवाजे पर चस्पा किया जाता है. लेकिन आज़मगढ़ के संजरपुर गांव के तीन युवकों डॉ. शाहनवाज़, साजिद बड़ा और मोहम्मद खालिद के घर की कुर्की बिना इन प्रक्रियाओं का पालन किए ही किया गया जो अवैध है.

मसीहुद्दीन संजरी ने कहा कि ये सभी युवक लम्बे समय से गायब हैं और उनके बारे में यह आशंका है कि उन्हें जांच एजेंसियों ने ही अपने पास रखा है, जिसे वे उपयुक्त राजनीतिक माहैल में या तो गिरफ्तार दिखा देंगी या किसी फर्जी मुठभेड़ में मारने का दावा कर देंगी.

उन्होंने आरोप लगाया कि एनआईए ने इस प्रक्रिया को इस लिए नहीं अपनाया कि उसे ऐसा करने में वक्त लग जाता और मोदी के पक्ष में माहौल बनाने में देर हो जाती. उन्होंने कहा कि पिछले साल भी गोरखपुर में हुए कथित आतंकी विस्फोट में आरोपी बनाए गए मिर्जा शादाब बेग के घर की कुर्की भी इसी तरह करवाई गयी थी.

वहीं रिहाई मंच के प्रवक्ता राजीव यादव और शाहनवाज़ आलम ने कहा कि एनआईए, दिल्ली स्पेशल सेल और आईबी अब बजरंग दल और विश्व हिंदु परिषद की तरह संघ परिवार के आनुषंगिक संगठन के बतौर मोदी और भाजपा को जिताने के लिए काम कर रही है. फर्क सिर्फ इतना है कि बजरंग दल और विहिप जहां मुस्लिम विरोधी बेनामी पर्चे बांट कर ऐसा कर रही है वहीं ये जांच और सुरक्षा एजेंसियां ऐसा इंडियन मुजाहिदीन के नाम पर बेक़सूर मुस्लिम युवकों को पकड़ कर रही हैं.

उन्होंने कहा कि दिल्ली स्पेशल सेल जो पिछले तीन चार दिनों से नरेंद्र मोदी को मारने का षडयंत्र रचने के आरोप में मुस्लिम नौजवानों को पकड़ने का नाटक कर रही है, को यह ज़रूर बताना चाहिए कि उसके मुताबिक होली के त्यौहार पर धमाके करने के लिए पाकिस्तान से आया आतंकी लियाकत शाह कैसे बेगुनाह साबित हो गया.

उन्होंने कहा कि हिंदु समुदाय द्वारा पवित्र माने जाने वाले बनारस से चुनाव लड़ रहे मोदी की छवि को जहां पीआर एजेंसियां और कार्पोरेट मीडिया विकास पुरूष की बनाने में लगी हैं, वहीं सुरक्षा एजेंसियां बनारस के धार्मिक छवि के ज़रिए मोदी के वास्तविक हिंदुत्वादी छवि को निखारने के लिए उनके आतंकियों के निशाने पर होने की कहानी गढ़ रही हैं. जिसके लिए बनारस से करीब सौ किलोमीटर दूर स्थित आजमगढ़ को एक बार फिर आतंकवाद के नाम पर बदनाम करने की कोशिश की जा रही है.

रिहाई मंच ने मीडिया संस्थानों से अपील की है कि वे लोक सभा चुनाव में मोदी के पक्ष में माहौल बनाने में लगीं खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों के झूठे दावों को बिना जांचे परखे सिर्फ ‘सूत्रों’ के हवाले से ख़बर लिख कर कानून विरोधी गतिविधियों में शामिल इन साम्प्रदायिक एजेंसियों के देश विरोधी मुहिम का हिस्सा न बनें. जिससे उन्हें आगे चल कर अपनी ही लिखी खबरों के विपरीत खबरें लिखनी पडे़, जैसा कि आतंकवाद के आरोप में फंसाए गए मुस्लिम युवकों के अदालत से बेगुनाह साबित हो जाने के बाद उन्हें लिखना पड़ता है, क्योंकि इससे मीडिया की छवि धूमिल होती है.

रिहाई मंच ने मीडिया से यह भी अपील की है कि मोदी के चुनावी क्षेत्र बनारस की छवि को सिर्फ हिंदु धार्मिक नज़रिए या आज़मगढ़ की छवि को मुस्लिम पहचान से जोड़ कर प्रस्तुत करना इन ऐतिहासिक और मिली जुली संस्कृति वाले शहरों के छवि को नुक़सान पहुंचाता है. लिहाजा, मीडिया को इन शहरों के धार्मिक पहचान के बजाए जनता के मूलभूत समस्याओं को उठाना चाहिए, ताकि इस चुनाव से जनता को कोई वास्तविक लाभ मिल सके.

TAGGED:Agencies involved in creating an atmosphere in favor of Modi
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