ब्रांड के आदि मुंबईकरों ने पहचानी जेनरिक की महत्ता

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BeyondHeadlines News Desk

मुंबई शहर अपने आप में एक ब्रांड है. यहां रहने वाले लोग भी ब्रांडेड हैं. उनके कपड़े, गाड़िया सब के सब ब्रांडेड हैं. यहां तक की उनकी सोच भी ब्रांडेड हो गयी है. जाहिर सी बात है कि ये तथाकथित ब्रांडेड लोग दवाइयां भी ब्रांड देखकर खरीदते हैं. लेकिन जब जेनरिक मेडसिन के बारे में इन्हें जानकारी मिली तो उन्हें जेनरिक पर भरोसा हुआ और ब्रांड का मोह भंग हो गया. और इस शुभ कार्य में कड़ी का कार्य प्रसिद्ध पर्यावरणविद दंपति नूसरत खत्री और अफजल खत्री ने किया.

उन्होंने “स्वस्थ भारत विकसित भारत” अभियान चला रही संस्था प्रतिभा-जननी सेवा संस्थान के राष्ट्रीय संयोजक आशुतोष कुमार सिंह को मुंबई के मालाड स्थित रहेजा टिपको हाइट्स के क्लब हाउस में जेनरिक मेडसिन पर व्याख्यान देने के लिए बुलाया.

व्याख्यान सुनने पहुंचे लोगों के मन में जेनरिक दवाइयों को लेकर तरह-तरह के भ्रम थे. वे ब्रांड से इतर कुछ समझने के लिए शुरू में तैयार नहीं थे, लेकिन जैसे-जैसे आशुतोष कुमार सिंह ने उनके मन के अंदर के भ्रम को दूर किया, उन्हें लगा कि दवाइयों में ब्रांड की ज़रूरत नहीं है.

आशुतोष कुमार सिंह ने अपने व्याख्यान में इस बात पर जोर दिया कि इस देश को गुणवत्तायुक्त सस्ती दवाइयों की ज़रूरत है न की ब्रांडेड दवाइयों की. इस मौके पर प्रतिभा-जननी सेवा संस्थान के चेयरमैन मनोज सिंह राजपूत ने अपनी संस्था द्वारा चलाए जा रहे स्वस्थ भारत विकसित भारत अभियान के बारे में लोगों को बताया. इस व्याख्यान को आयोजित कराने में रहेजा सोसाइटी के संजय रुंगटा, हेमेन्द्र मेहता, सुधीर तिवारी, पराग जर्दोश सहित अल्का अग्रवाल की प्रमुख भूमिका रही.

इस व्याख्यान के बाद आम लोगों के मन में एक ही सवाल था कि आखिर ये जेनरिक स्टोर सरकार खोल क्यों नहीं रही है?

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