BeyondHeadlines News Desk
लखनऊ : रिहाई मंच ने इंडियन मुजाहिदीन के नाम पर राजस्थान से 4 मुस्लिम युवकों की गिरफ्तारी को आईबी द्वारा चुनाव में आतंकवाद का हौव्वा खड़ा करने के लिए किया गया सियासी ड्रामा करार दिया है. संगठन का मानना है कि खुफिया एजेंसियां इस मुगालते का शिकार हो गई हैं कि मोदी प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं और इसीलिए उनके जान का खतरा दिखाते हुए झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश के बाद अब राजस्थान से इंडियन मुजाहिदीन के नाम पर गिरफ्तारियां की जा रही हैं. एजेंसियों को लगता है कि मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद फिर उन्हें इशरत जहां, सादिक जमाल मेहतर जैसे निर्दोषों को मारने की खुली छूट मिल जाएगी.
रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुएब ने कहा कि जिस तरह से मोदी पर हमले का हौव्वा आईबी खड़ा कर रही है, उसमें इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि आईबी हिन्दुत्वादी गिरोहों के साथ मिलकर देश में आतंकी वारदातों को अंजाम दे सकती है. जैसा उसने पटना की रैली में करवाया और फिर देशभर से मुस्लिम नौजवानों को इस घटना के नाम पर पकड़ा. आईबी के इस टेरर प्लॉट में देश के वो इलाके जो मुस्लिम बाहुल्य हैं वहां के लोग निशाने पर हैं. इसीलिए राजस्थान के साथ ही दिल्ली के जामिया नगर इलाके को भी दुबारा बदनाम करने की कोशिश की जा रही है.
सामाजिक संगठन अवामी कौंसिल के महासचिव असद हयात ने कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव में सांप्रदायिक ताकतों को रोकने के लिए सभी तथाकथित सेक्युलर राजनीतिक दल कहते फिर रहे हैं कि मुस्लिम वोट ही इसे रोकेगा. इसलिए ऐसे राजनीतिक दलों को चाहिए कि वे इन गिरफ्तारियों पर अपनी स्थिति स्पष्ट करें.
उन्होंने कहा कि एक तरफ मुजफ्फरनगर में मुस्लिमों को दंगे में झोंका गया तो दूसरी तरफ उन पर आतंकवाद का लेबल लगाकर राजनीतिक ध्रुवीकरण का उन्हें हथियार बनाया गया. राजस्थान में हुयी गिरफ्तारियां भी इसी ध्रुवीकरण की राजनीति का हिस्सा हैं.
रिहाई मंच के प्रवक्ता शाहनवाज आलम और राजीव यादव ने कहा कि यासीन भटकल आईबी का अपना मॉड्यूल है, जिसे एजेंसियां इस्तेमाल कर रही हैं. इसीलिए चुनाव से ठीक पहले उसे और उसके कथित साथियों को गिरफ्तार दिखाकर आतंकवाद के सवाल को चुनावी एजेंडा बनाने की कोशिश की जा रही है. प्रवक्ताओं ने कहा कि खुफिया एजेंसियों को पहले बताना चाहिए कि जिस बिजनौर निवासी नासिर को लखनऊ से गिरफ्तार करने और उसके पास से भारी मात्रा में आरडीएक्स बरामदगी का दावा किया था वह सात साल बाद कैसे बरी हो गया.
उन्होंने कहा कि जब भी ऐसे फैसले आते हैं जिसमें खुफिया एजेंसियों की झूठी कहानी अदालत में बेनकाब हो जाती है तब जनता का ध्यान अपनी आपराधिक कार्रवाईयों पर से हटाने के लिए वे आतंकवाद के नाम पर निर्दोषों को फंसाने के लिए ऐसी गिरफ्तारियां करती हैं.
स्पष्ट रहे कि आज सुबह जामिया नगर से भी दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने दो छात्रों को गिरफ्तार करके ले गई थी, जिन्हें स्थानीय लोगों के दिन भर धरना देने के कारण पुलिस ने छोड़ दिया है.