बिहार : राजद-कांग्रेस कुछ सीटों पर करेंगे दुबारा फैसला, वैश्य समाज पर होगी खास नज़र

Beyond Headlines
Beyond Headlines 1 View
3 Min Read

Subhash Gautam for BeyondHeadlines

लोक सभा चुनाव में अन्य राज्यों के मुकाबले बिहार में सीटों को लेकर राजनितिक पार्टियों में जातिगत रस्साकशी सबसे ज्यादा रहती है. ऐसे में 22 फीसदी आबादी वाले वैश्य समाज को कैसे कोई पार्टी नज़रअंदाज़ कर सकती है. शायद यही वजह है कि बिहार के 5-6 सीटों पर दुबारा फेर-बदल हो सकता है. और इस फेर-बदल में वैश्य समाज पर खास नज़र रहेगी.

सुत्रों के मुताबिक आगामी  21 मार्च तक कांगेस व आरजेडी की बैठक दिल्ली में होने वाली है, जिसमें 5 से 6 सीटों पर फिर से फेर-बदल हो सकता है. इस फेर-बदल में कुछ नए लोगों को टिकट दिया जाना है.

सुत्र यह भी बताते हैं कि आरजेडी और कांग्रेस के टिकट बंटवारे में वैश्य समाज अपने समाज का कोई प्रतिनिधि न होने से खासा नाराज़ दिख रहा है. कांग्रेस समर्थक वैश्य समाज के लोग बिहार में मुज़फ्फरपुर, सीतामढ़ी और बक्सर आदि में बैठक कर कांग्रेस और आरजेडी के खिलाफ मुहीम चलाने का निर्णय कर रही है. क्योंकि दूसरी ओर वैश्य समाज के 22 प्रतिशत वोट को ध्यान में रख कर अन्य राजनीतिक पार्टियां टिकटों का वितरण किया है. जातिय समीकरण को ध्यान में रखते हुए एनडीए ने तीन वैश्य प्रतिनिधियों को टिकट दिया है, वहीं जनता दल यूनाइटेड और वाम गठबंधन ने भी दो प्रतिन्धियों के टिकट दिया हैं.

स्पष्ट रहे कि बिहार में कुल 40 लोकसभा सीट है. और इन 40 सीटों पर कांग्रेस, आरजेडी और एनसीपी गठबंधन में चुनाव लड़ रही है, जिसमें आरजेडी  27, कांग्रेस 12 और एनसीपी 1 सीट पर चुनाव लड़ेगी. पर इस बार हैरान करने देने वाली बात यह है कि इनमें से एक भी वैश्य समाज का प्रतिनिधि नहीं है. ज्यादातर सवर्णों को ही टिकट दिया गया है.

आंकड़े बताते हैं कि बिहार में 22 प्रतिशत वैश्य समाज का वोट हैं. ऐसे में देखा जाए तो 22 प्रतिशत मतदाता को लुभाने में कांग्रेस व आरजेडी नाकाम हो सकती है.

स्थानीय नेता व विश्लेषकों का भी मानना है कि आरजेडी एनसीपी और कांग्रेस ने बिहार में जातीय समीकरण पर ध्यान न देकर अपने लिए कब्र खोदने का कम किया है. क्योंकि दूसरी पार्टियों ने जातीय समीकरण पर होमवर्क के बाद ही अपना प्रतिनिधि तय किया है. ऐसे में टिकट के बंटवारे को लेकर दुबारा विचार करना अत्यंत आवश्यक है ताकि इस बार साम्प्रदायिक ताकतों से निपटने के नाम पर राजद-कांग्रेस गठबंधन को अधिक से अधिक सीटों पर जीत मिल सके.

Share This Article