Afroz Alam Sahil for BeyondHeadlines
चुनाव आयोग की यह ज़िम्मेदारी है कि वो पेड न्यूज़ के मसले पर संजीदगी दिखाते हुए संबंधित पक्षों पर कड़ी कार्रवाई करे, मगर चुनाव आयोग ने पेड न्यूज़ के सबसे बड़े किरदार पर कार्रवाई करने से हाथ खींच लिए हैं. या यूं कहिए कि पेड न्यूज़ को लेकर कितना भी शोर क्यों न हो, मगर चुनाव आयोग को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता.
BeyondHeadlines ने चुनाव आयोग से आरटीआई दाखिल करके पूछा था कि आखिर वो पेड न्यूज़ में शामिल मीडिया संस्थानों के खिलाफ क्या कार्रवाई की है और इस बाबत कितने संस्थानों को नोटिस जारी किया गया है, तो चुनाव आयोग ने इसका जो जवाब दिया वो बेहद ही हैरान कर देने वाला है.
आयोग ने साफ तौर पर कह दिया कि उसका काम सिर्फ उन उम्मीदवारों को नोटिस देने और उनके खिलाफ कार्रवाई करने का है, जो ख़बरों को विज्ञापन की शक़्ल में इस्तेमाल कर चुनावी फायदा उठाते हैं. यानी आयोग की नज़रों के सामने मर्ज़ है और वो मरीज़ से ही उलझने में लगा हुआ है.
मीडिया पर इन दिनों जिस तरह से मोदी के समर्थन में उतर आने के आरोप लग रहे हैं, ऐसे में चुनाव आयोग का यह जवाब बताता है कि ऐसे मोदी परस्त मीडिया पर लगाम लगाने की जवाबदेही संभालने को कोई तैयार नहीं है.
BeyondHeadlines को चुनाव आयोग से मिला यह जवाब पेड मीडिया और मोदी परस्त मीडिया के लगातार बढ़ते शिकंजे की सबसे बड़ी वजह का खुलासा करता है. यही कारण है कि अपने नीहित स्वार्थों के लिए मोदी के गुणगाण में जुटा मीडिया नैतिकता और मर्यादा की हर सीमाएं पार कर चुका है.