BeyondHeadlines News Desk
गुजरात पुलिस को आज उस वक़्त झटका लगा जब देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक ऐतिहासिक फैसले में गुजरात के गांधीनगर में 2002 में अक्षरधाम मंदिर पर हुए हमले के मामले में गुजरात उच्च न्यायालय की ओर से सज़ा-ए-मौत की सज़ा पाने वाले 6 तथाकथित दोषियों को बाइज़्ज़त बरी कर दिया. इस मामले की घटिया जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात पुलिस की खिंचाई भी की.
मामले में सभी आरोपियों पर आतंकवाद निरोधक कानून पोटा के तहत मुक़दमा चलाया गया था. इस मामले में तीन दोषियों को मौत की सजा मिली थी. जस्टिस ए. के. पटनायक और जस्टिस वी. गोपाल गौडा की बेंच ने गुजरात हाई कोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया. कोर्ट ने सभी 6 दोषियों को ‘तत्काल’ रिहा करने का आदेश दिया, यदि उन्हें किसी अन्य मामले में दोषी नहीं ठहराया गया हो. साथ ही कोर्ट ने गुजरात पुलिस को फटकार भी लगाया.
स्पष्ट रहे कि अक्षरधाम मंदिर पर 24 सितंबर 2002 को हुए आतंकी हमले में अदम अजमेरी, शाह मिया उर्फ चांद खान और मुफ्ती अब्दुल कयूम को पोटा के तहत गठित विशेष अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी, जबकि शहर के दरियापुर इलाके के युवक मोहम्मद सलीम शेख को उम्र-कैद और अब्दुल मियां कादरी को 10 साल और अल्ताफ हुसैन को 5 साल की कैद की सजा सुनाई गई थी. इस हमले में एनएसजी के कमांडो के साथ मुठभेड में 2 तथाकथित आतंकवादी मारे गए थे, जिनकी पहचान मुर्तजा हाफिज यासीन और अशरफ अली मोहम्मद फारूक के रूप में हुई थी, और आरोप था कि उनका पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा से संबंध है.