बनारस में लाल क्रांति…

Beyond Headlines
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Afroz Alam Sahil for BeyondHeadlines

मोदी के खिलाफ बनारस में ‘लाल क्रांति’ का आगाज़ हो चुका है. जेएनयू छात्र संघ की एक टीम क्रांतिकारी पर्चों के साथ शहर में दाखिल हो चुकी है. यह पर्चे गली, नुक्कड़, चौराहों और बनारस के घाटों पर बांटे जा रहे हैं. और साथ ही विद्यार्थियों व यहां आम अवाम से सम्पर्क कर उन्हें गुजरात की सच्चाई बताने की क़वायद की जा रही है.

जेएनयू छात्र संघ की पूरी कोशिश है कि वो तथ्यों के आधार पर इस बात की पूरज़ोर कोशिश करें कि मोदी के गुजरात मॉडल की सच्चाई बनारस की जनता के सामने आ सके.

बनारस के कैन्ट रेलवे स्टेशन के ठीक बग़ल में माल गोदाम रोड पर गड्ढेदार टूटी-फूटी धूल से भरी सड़क के एक छोर पर स्थित एक पुराने जर्जर कमरे में चल रहे भाकपा (माले) के कार्यालय के भीतर बैठी जेएनयू छात्र संघ की टीम इस क़वायद में जी-जान से जुटी हुई है कि किसी तरह से मोदी के गुजरात मॉडल की सच्चाई यहां की जनता के सामने रखी जा सके और उनके आंखों पर पड़े भ्रम के पर्दे को हटाया जा सके.

जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष अकबर चौधरी BeyondHeadlines से बातचीत में बताते हैं कि मोदी को हराना इसलिए बेहद ज़रूरी है ताकि एक खास किस्म की राजनीत करने वालों को किनारे लगाया जा सके. यह खास किस्म की राजनीत इसलिए भी बेहद घातक है, क्योंकि यह राजनीति लोगों को बांटने, उनमें फूट डालने और नफरत पैदा करने की काम करती है.

वहीं जेएनयू छात्र संघ की उपाध्यक्ष अनुभूति बारा के मुताबिक बनारस की जनता उनकी बातों को समझ रही है. और उन्हें लगता है कि सही समय पर बनारस सही फैसला लेते हुए फासीवादी ताक़तों को पराजित करेगा और एक नए दौर की शुरूआत होगी.

अनुभूति इस बात का भी ज़िक्र करती हैं कि उनकी टीम पर आर.एस.एस. व बीजेपी समर्थित तथ्यों द्वारा आक्रमण किया जा रहा है. वो बताती है कि कैसे लंका में जब हम पर्चे बांट रहे हैं तो हम पर हमला किया गया.

स्पष्ट रहे कि गत बुधवार जब जेएनयू के छात्रों की एक टीम बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी के करीब लंका चौराहे पर नरेंद्र मोदी के विरोध में पर्चे बांट रहा था, तो उन्हें विरोध का सामना करना पड़ा. आरोप है कि भाजपा कार्यकर्ताओं ने जेएनयू के छात्रों से पर्चे छिनकर फाड़ दिए. साथ ही इनके साथ बदसलूकी व मारपीट की गई. इस संबंध में जेएनयू छात्र संघ ने लंका थाने में तहरीर दी है.

बहरहाल, इस सबके बावजूद जेएनयू छात्र संघ के हौसले बुलंद हैं. अगले 6 मई को जेएनयू कैम्पस की ओर से एक नई टीम बनारस आने वाली है. इसके अलावा इस अभियान में दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों की भी एक टीम जेएनयू छात्र संघ  के साथ है.

कुल मिलाकर बनारस मिलाकर बनारस में लाल विचारधारा के युवा सिपाहियों की यह कोशिश तरक्की-पसंद ताक़तों को नए हौसले और नई उम्मीदों से लबरेज़ करती है.

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