BeyondHeadlines News Desk
लखनऊ : रिहाई मंच ने मुख्य चुनाव आयुक्त से भाजपा नेता अमित शाह द्वारा आज़मगढ़ को आतंकवाद का अड्डा कहने पर शिकायत करते हुए मुक़दमा दर्ज करने की मांग की है.
रिहाई मंच के प्रवक्ता राजीव यादव द्वारा चुनाव आयोग को भेजी शिकायत में कहा है ‘भाजपा नेता अमित शाह द्वारा आज़मगढ़ को आतंकवाद का अड्डा वाले भाषण को सुनकर मैं स्तब्ध रह गया और मेरी भावनाओं को इससे गहरी चोट पहुंची. आज़मगढ़ की छवि आतंकवाद के अड्डे के बतौर जिस तरह से भाजपा नेता ने प्रचारित किया है, उससे जनपद की छवि खराब हुई है और लोगों में भय व्याप्त हो गया है. जिससे आज़मगढ़ जनपद और उसके बाहर रह रहे आज़मगढ़ के लोगों में असुरक्षा की भावना घर कर गई है कि ऐसे दुष्प्रचार करने वाली भाजपा और उसके आनुषांगिक संगठन के लोग उन पर हमला कर सकते हैं.
अमित शाह का यह भाषण न केवल चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है, बल्कि अंर्तगत धारा-153 ए और धारा-125 लोक प्रतिनिधित्व कानून के अंर्तगत एक दंडनीय अपराध है.’
रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने कहा कि ज़मानत पर रिहा चल रहे गुजरात के सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले के आरोपी भाजपा नेता अमित शाह द्वारा आज़मगढ़ को आतंकवाद का अड्डा कहा जाना एक खतरनाक साजिश है. जिस तरह 2002 में गुजरात और 2013 में अमित शाह के यूपी के भाजपा प्रभारी बनने के बाद भाजपा नेता संगीत सोम समेत विभिन्न नेताओं ने मुज़फ्फरनगर व आस-पास के जनपदों में सांप्रदायिक हिंसा करवाई वैसे ही मानवता विरोधी षडयंत्र को वह अब पूर्वी उत्तर प्रदेश में दोहराने की फिराक में हैं.
उन्होंने कहा कि आज़मगढ़ का नाम आतंकवाद से जोड़ने वाली भाजपा को खुद पर नज़र डालनी चाहिए कि उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष से लेकर ऐसे तमाम नेता हैं, जिनके आतंकवाद के आरेाप में बंद प्रज्ञा ठाकुर, असीमानंद के साथ फोटो मीडिया के जरिए सामने आ चुके हैं.
आज़मगढ़ रिहाई मंच के प्रभारी मसीहुद्दीन संजरी ने कहा कि ज़मानत पर रिहा भाजपा नेता अमित शाह जिस तरह से लगातार पूरे चुनाव के दौरान भड़काऊ भाषण दे रहे हैं, ऐसे में माननीय न्यायालय को उनकी ज़मानत खारिज कर जेल की सीखचों के पीछे भेज देना चाहिए, जिसके वह हक़दार है.
उन्होंने कहा कि भाजपा नेता अमित शाह और उनके हाई कमान नरेन्द्र मोदी को यह नहीं भूलना चाहिए कि उनका राज्य एक ऐसा राज्य है, जहां दर्जनों आईपीएस बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों जिनकी उन्होंने मोदी पर हमले के नाम हत्या करवा दी थी, वह जेल की सैर कर रहे हैं और खुद अमित शाह भी सैर कर चुके हैं.
अमित शाह शायद उनके साथ भाजपा मंत्रिमंडल में रह चुकी माया कोडनानी और बाबू बजरंगी को भूल गए हैं, जिनपर 2002 में गुजरात में जनसंहार का आरोप साबित हो चुका है, और यह सभी भाजपा से जुड़े हैं. ऐसे में गुजरात की जेलों में भाजपा नेताओं और उनके सिपहसलार वंजरा, सिंघल, नरेन्दर अमीन, पीसी पाण्डे और अभय चुड़ारूस्मा जैसे आईपीएस अधिकारियों की भीड़ साफ कर देती है कि आतंकवाद कहां है और उनके मुजरिम कौन हैं.
रिहाई मंच नेता हरे राम मिश्र और गुफरान सिद्दीकी ने कहा कि जिस तरीके से फैजाबाद में भाजपा ने चुनावी रैली में भगवान श्री राम के चित्र का इस्तेमाल कर वोट मांग रहे हैं, उससे साबित हो जाता है कि भाजपा अपने सांप्रदायिक एजेंडे को पूरा करने के लिए धर्म का गलत इस्तेमाल कर रही है.
उन्होंने कहा कि अवध की साझी शहादत और साझी विरासत की फैजाबाद नगरी को फिर से भाजपा महज़ वोटों के लिए बलि देना चाहती है. भाजपा प्रत्याशी लल्लू सिंह जिनके समर्थन में नरेन्द्र मोदी फैजाबाद आए थे वो खुद बाबरी मस्जिद विध्वंस के गुनहगारों में शामिल हैं.
उन्होंने फैजाबाद जिला प्रशासन पर आरोप लगाया कि उसने किस आधार पर भगवान श्री राम और भाजपा के प्रस्तावित राम मंदिर का चित्र भाजपा के मंच पर लगाने की अनुमति दी, जबकि यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है. ऐसे में तत्काल जिला निर्वाचन अधिकारी को निलंबित किया जाए.