घर को लेकर फिर विवाद में केजरीवाल, मिला घर छिनने की कगार पर

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Avdhesh Kumar  for BeyondHeadlines

नई दिल्ली : मुख्यमंत्री बनने के बाद से घर को लेकर विवादो में घिरे अरविंद केजरीवाल का अभी भी पीछा छुटता नहीं दिखाई दे रहा है. मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद भी केजरीवाल का घर विवोदों के घेरे में है. बड़ी मशक्कत के बाद सिविल लाइंस में मिले इस घर पर पहले किराये को लेकर विवाद चला, लेकिन अब ताजा मामला केजरीवाल को घर देने वाले नरेन जैन के बड़े भाई की घर में हिस्सेदारी को लेकर है. इस घर पर चल रहे आपसी विवाद का मामला उच्च न्यायालय में भी लंबित है.

मालूम हो कि आप संयोजक अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद से तिलक लेन स्थित सरकारी आवास में रह रहे थे. लेकिन केजरीवाल को हाल ही में नरेन जैन पुत्र भीखूराम जैन के 4-बी कोर्ट रोड सिविल लाइंस में नया घर मिल गया था, जिसमें वह जल्द ही शिफ्ट होने वाले थे. लेकिन इस नये विवाद के समाने आने से उनकी मुश्किले बढ़ती दिख रही हैं.

केजरीवाल के मकान मालिक नरेन जैन ने इस विवाद पर BeyondHeadlines से बात करते हुए कहा कि वह पांच भाई हैं और यह मकान चार भाईयों के नाम है, चारों भाई केजरीवाल को मकान देने के लिए तैयार हैं, लेकिन उनके बड़े भाई विरेंद्र जैन रोड़ा अटका रहे हैं.

उन्होंने बताया कि वह कांग्रेसी नेता हैं और कुछ कांग्रेसी नेताओं के कहने पर ऐसा कर रहे हैं, जिसमें चांदनी चौक से विधायक प्रहलाद साहनी भी शामिल हैं. साथ ही उन्होंने बताया कि उनके बड़े भाई ने इस घर को लेकर कोर्ट में मुक़दमा डाला हुआ है, जिसमें उन्होंने अपनी हिस्सेदारी की बात की है. कोर्ट ने इस मकान पर विरेंद्र जैन को स्टे दिया हुआ है.

नरेन जैन ने बताया कि कोर्ट ने आदेश दिया था कि जब तक हम भाईयों का झगड़ा समाप्त नहीं हो जाता तब तक इस घर को नहीं बेच सकते हैं. लेकिन हम इस घर को बेच नहीं रहे बल्कि किराए पर दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह सब कांग्रेसियों की चाल है और मेरे भाई विरेंद्र को कांग्रेसी बरगला रहे हैं.

वहीं विरेंद्र जैन का कहना है कि यह मकान 2002 में खरीदा गया था. और उनके पिताजी भीखूराम जैन की मृत्यू पश्चात उनके चारों भाईयों ने एक चिठ्ठी लिखकर उनके पिता के नकली हस्ताक्षर करा लिए. जिसमें कहा गया कि यह घर हम चार भाईयों का है और इसमें विरेंद्र जैन की कोई हिस्सेदारी नहीं होगी.

उन्होंने कहा पहले घर में बात की, लेकिन बात ना बनता देख उन्होंने 2010 में कोर्ट में केस किया और घर में हिस्सेदारी की मांग की. जिस पर कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए 2012 में निर्देश दिया कि यह घर पांच हिस्सों में बाटा जाएं. उन्होंने बताया कि उनके पास इस मकान का स्टे है, तो वह कैसे इस मकान को किसी को किराए पर दे सकते हैं.

हालांकि उन्होंने कहा कि मैं केजरीवाल के खिलाफ नहीं हूं, परंतु मैं इस बात के खिलाफ हूं कि यह मकान गलत जानकारी देकर किराये पर दिया गया है. मकान देने से पहले सारी बाते सामने रखनी चाहिएं थी.

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