BeyondHeadlines News Desk
नई दिल्ली : अगर कोई आपसे कहे कि मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंडूलकर क्रिकेटर नहीं, एक्टर हैं, तो आप चौंक जाएंगे. बल्कि यह बात कहने वाले शख्स को शायद आप पागल भी क़रार दे दें, लेकिन हैरान कर देने वाली बात यह है कि सचिन खुद को क्रिकेटर नहीं, एक्टर ही मानते हैं.
सचिन ने 2003 में आयकर रिटर्न भरते समय खुद को एक्टर बताया था. लेकिन आयकर रिर्टन भरने के बाद समीक्षा अधिकारी ने उनके एक्टर होने के दावे को खारिज कर दिया. फिर सचिन ने 2008 में आयकर विभाग सहायक आयुक्त, मुंबई के सामने दावा किया था कि उनका मुख्य कार्य एक्टिंग करना है न कि क्रिकेट खेलना. इसके लिए सचिन ने कहा था कि वह विभिन्न कंपनियों और उत्पादों का प्रचार एक मशहूर मॉडल के तौर पर करते हैं. सचिन के इस दावे को आयकर में छूट देने के लिए जब विभाग नहीं माना, तब उन्होंने एक्टर की श्रेणी के तहत छूट पाने के लिए विभाग के खिलाफ अपील दायर कर दी. जिसके बारे में सुत्र बताते हैं कि सचिन की बात मान ली गई.
अब यह बात सुप्रीम कोर्ट के वकील प्राणेश साहब को बिल्कुल भी नहीं पची. उन्होंने तुरंत आरटीआई दाखिल कर राष्ट्रपति भवन से पूछ लिया कि भारत रत्न सचिन तेंडूलकर एक्टर हैं या क्रिकेटर… साथ ही उन्होंने यह भी पूछा कि आयकर विभाग में टैक्स जमा करने के समय सचिन ने अपनी पहचान क्या बताई. वह खुद को किस श्रेणी में बताते हैं, क्या वह खुद को एक्टर मानते हैं या क्रिकेटर.
इतना ही नहीं, प्राणेश साहब ने यह भी पूछा कि राजस्व रिकॉर्ड के मुताबिक सचिन क्या हैं, एक एक्टर या क्रिकेटर. क्या सचिन ने कभी टैक्स में छूट प्राप्त करने की मांग केंद्र या राज्य सरकार से की है. यदि की है तो उन्हें कितनी छूट प्रदान की गई.
प्राणेश साहब के इस आरटीआई को राष्ट्रपति भवन ने वित्त मंत्रायल और राजस्व विभाग को स्थानांतरित कर दिया. अब इन वित्त मंत्रालय व राजस्व विभाग को जवाब देना था कि तेंदुलकर एक्टर हैं क्रिकेटर.
लेकिन दोनों जगहों से आवेदक कोई सूचना प्राप्त नहीं हो सकी. तब आवेदक ने प्रथम अपील दायर किया. जिसके जवाब में प्रथम अपीलीय प्राधिकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए कहा गया है कि आयकर रिर्टन संबंधी सूचना निजी है. उसे तब तक सार्वजनिक नहीं किया जा सकता जब तक जनहित से जुड़ा हुआ मुद्दा नहीं हो. प्रथम अपीलीय अधिकारी के इस फैसले के खिलाफ वकील साहब अब मुख्य सूचना आयोग में जल्द ही अपील करेंगे.
स्पष्ट रहे कि इससे पहले इसी वकील ने भारत रत्न न देने की अपील की थी. तब उन्होंने कहा था कि सचिन खुद क्रिकेटर नहीं, बल्कि एक्टर होने का दावा करते हैं, इसलिए क्रिकेटर के तौर पर यह सम्मान न दिया जाए. हालांकि इस अपील को राष्ट्रपति भवन ने खारिज कर दिया था.