BeyondHeadlines News Desk
लखनऊ : रिहाई मंच के चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने आज राज्यपाल से लखनऊ जेल के अंदर आतंकवाद के नाम पर कैद नौजवानों के जीवन की सुरक्षा एंव जान से मारने की साजिश की आशंकाओं और प्रदेश सरकार द्वारा निमेष कमीशन पर ऐक्शन टेकन रिपोर्ट न लाने के संदर्भ में मुलाकात की. जिस पर राज्यपाल ने प्रतिनिधिमंडल को मुख्यमंत्री से बात करने का आश्वासन दिया.
प्रतिनिधि मंडल ने लखनऊ जेल में आतंकवाद के नाम पर कैद तारिक कासमी, नौशाद व अन्य द्वारा भेजे गए पत्रकों को भी राज्यपाल को सौंपा, जिसमें इस बात को प्रमुखता से उठाया गया है कि हाई सिक्योरिटी सेल में कार्यरत केशव प्रसाद यादव, आईजी जेल जगमोहन यादव और उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री तक अपनी पहुंच की धौंस देकर भारत-पाकिस्तान के बंदियों, अगड़े-पिछड़े-दलितों और हिन्दू और मुसलमान कैदियों के बीच तनाव की साजिश रचकर संघर्ष की पृष्ठभूमि तैयार कर रहे हैं. इसपर पूरे सूबे में ही नहीं भारत-पाकिस्तान समेत अन्तराष्ट्रीय जगत में संबन्धों में असर पड़ सकता है.
रिहाई मंच के वरिष्ठ नेता राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने मुलाकात के दौरान राज्यपाल से कहा कि बिना राजनीतिक सरपरस्ती के जेल के अंदर बंद कैदियों के विरुद्ध इतनी बड़ी साजिशों को अंजाम देने का साहस भला केशव प्रसाद यादव जैसा अदना सा जेल अधिकारी कैसे कर सकता है?
उन्होंने आगे कहा कि पिछले दिनों आतंकवाद के नाम पर तारिक-खालिद की गिरफ्तारी पर गठित आर.डी. निमेष आयोग की रिपोर्ट पर अगर उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार एक्शन टेकन रिपोर्ट ले आई होती तो फर्जी गिरफ्तारियों के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के हौसले इतने बुलंद न हुए होते. जबकि इसी तरह का अंदेशा खालिद मुजाहिद ने भी जताया था जिनकी बाद में हत्या कर दी गई थी. आज वैसा ही अंदेशा लखनऊ जेल में बंद तारिक व अन्य ने अपने भेजे गए पत्रकों के माध्यम से जताया है.
राज्यपाल ने इन दोनों महत्वपूर्ण सवालों पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से बातकर त्वरित हस्तक्षेप का आश्वासन दिया.
रिहाई मंच नेता शाहनवाज़ आलम ने कहा कि जिस तरह से शामली निवासी इकबाल, जिन्हें लंबे समय से आतंकवाद के मामलों में फर्जी तरीके फंसाया गया है और जो लंबे समय तक तिहाड़ जेल में बंद रहने के बाद वहां के केस से बरी होने के बाद लखनऊ जेल में निरुद्ध हैं, के मष्तिस्क और पेट में चिप लगाया गया है, उससे सिद्ध हो जाता है कि एजेंसियां किस अमानवीय हद तक उतर आईं हैं.
लखनऊ जेल में ही नहीं पूरे देश में इस तरह सुरक्षा और खुफिया एजेंसियां मुस्लिमों का उत्पीड़न कर रही हैं, जो साबित करता है कि जांच व सुरक्षा एजेंसियां मल्टीमीडिया चिप्स के माध्यम से ऐसे निर्दोषों की जासूसी करती हैं कि कहीं वह उनके खिलाफ अदालत या मीडिया में कोई बात तो नहीं कर रहा है, जिसका अंदेशा होने पर वह उनका कत्ल तक करवा देती हैं.
उन्होंने कहा कि पिछली 18 जून को लखनऊ प्रेस क्लब में पत्रकार वार्ता के बाद मीडिया में आई खबरों के बाद तारिक कासमी को जेल प्रशासन द्वारा उत्पीडि़त करने की कोशिश की गई और उससे जेल प्रशासन पर लगाए गए आरोपों को वापस लेने का भी दबाव बनाया गया. जो सिद्ध करता है सरकार व प्रशासन कैदियों की सुरक्षा, उत्पीड़न और उनके अधिकारों के प्रति चिंतित होने के बजाए मामले को दबाने की कोशिश कर रहा है.
रिहाई मंच के प्रतिनिधि मंडल में शामिल रामकृष्ण और शिवाजी राय ने कहा कि आज राज्यपाल के समक्ष हमने लखनऊ जेल में बंद भारत व पाकिस्तान के कैदियों के पत्रों को सौंपा, जो यह साबित करता है कि जेल के अंदर किस तरह दोनों देशों के कैदियों पर हमले कराने की साजिश जेल प्रशासन रच रहा है. जबकि दोनों देशों के बंदियों के बीच किसी तरह का कोई झगड़ा नहीं है. उन्होंने इस गंभीर मसले पर उच्च स्तरीय जांच की मांग की.
रिहाई मंच द्वारा राज्यपाल को ज्ञापन के साथ तारिक कासमी, नौशाद, अब्दुल शकूर व अन्य के पत्रों को भी सौंपा गया है. जहां नौशाद का पत्र इस बात की तस्दीक कर रहा है कि जेल अधिकारी केशव प्रसाद यादव उससे तारिक कासमी पर हमला करवाना चाहते थे. तो वहीं तारिक कासमी का पत्र तस्दीक करता है कि उसे मरवाने की साजिश में केपी यादव के साथ मई महीने में वहां नौकरी करने वाले हेड चीफ राम चंद्र तिवारी और राइटर सतीश चंद्र यादव भी शामिल हैं और वह कहता है कि पिछले महीने की 9-10 तारीख और इस महीने की 9-10 तारीख को उस पर हमला करना तय था.