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कार्पोरेट, राजनीतिज्ञों और इंडिया टीवी के गठजोड़ के खुलासे के लिए हो सीबीआई जांच

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published July 6, 2014 1 View
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5 Min Read
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BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ : इंडिया टीवी चैनल की एंकर तनु शर्मा द्वारा संस्थान के वरिष्ठ कर्मचारियों पर अनैतिक कार्यों के लिए दबाव डालने का आरोप पुलिस के समक्ष लगाने के बावजूद आरोपियों की गिरफ्तारी न होने के खिलाफ आज रविवार को लखनऊ जीपीओ स्थित गांधी प्रतिमा के सामने विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों ने कैंडिल मार्च निकाल विरोध व्यक्त किया.

विरोध करने वालों ने ’लोकसभा चुनाव में इंडिया टीवी की भूमिका की जांच कराओ, एफआईआर से रजत शर्मा की पत्नी रितु धवन का नाम हटाने वाले पुलिस अधिकारी को निलंबित करो, तनु शर्मा के खिलाफ इंडिया टीवी के दबाव में लिखे गए मुक़दमे को खारिज किया जाए, एसआई अरूणा और तनु शर्मा मामले में अपराधियों के साथ खड़ी सपा सरकार शर्म करो, महिला विरोधी इंडिया टीवी का बहिष्कार करो, तनु शर्मा मामले की सीबीआई जांच कराओ’ इत्यादि नारे लिखी तख्तियां ले रखी थीं.

प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र में कहा है कि तनु शर्मा प्रकरण पूरे सूबे में महिलाओं के खिलाफ प्रशासनिक संरक्षण में हो रहे अपराध का ताजा उदाहरण है, जिसमें प्रशासन खुलकर अपराधियों के पक्ष में खड़ा दिख रहा है. चाहे मेरठ में तैनात एसआई अरूणा राय के साथ अभद्रता करने वाले उनके सीनियर पुलिस अधिकारी डीपी श्रीवास्तव का मामला हो या तनु शर्मा का, विवेचना के नाम पर पुलिस कहीं गैर ज़मानती धाराओं को बदलती दिख रही है तो कहीं आरोपियों के नाम ही एफआईआर में दर्ज नहीं कर रही है. ऐसे में जरूरी हो जाता है कि इन दोनों समेत ऐसे सभी मामलों में विवेचना पुलिस से न कराकर अलग स्वतंत्र इकाई से करवाई जाए.

पत्र में मांग की गई है कि चूंकि तनु शर्मा प्रकरण नोएडा, उत्तर प्रदेश के अंदर घटित हुआ इसलिए इस मामले में सपा सरकार सीबीआई जांच की संस्तुति करे. यह इसलिए ज़रूरी है कि यह प्रकरण लोकसभा चुनाव के दौरान हुआ था. तनु शर्मा के पुलिसिया बयान के मुताबिक इंडिया टीवी चैनल की मैनेजमेंट ऑथोरिटी में शामिल रितु धवन के कहने पर अनीता शर्मा ने उन्हें बड़े-बड़े नेताओं और कार्पोरेट हाउस के मालिकों के पास भेजने की कोशिश की. इससे इस संदेह को बल मिलता है कि लोकसभा चुनाव के दौरान इंडिया टीवी ने किसी मुनाफे के लिए कार्पोरेट और राजनेताओं के साथ इस तरह के सौदे किए.

ऐसे में यह जांच का विषय है कि यह मुनाफा क्या था, और किन-किन राजनेताओं और कार्पोरेट समूहों ने कितना मुनाफा इंडिया टीवी को दिया और बदले में इंडिया टीवी ने उनको किस रूप में और कितना फायदा पहुंचाया.

मीडिया, कार्पोरेट और राजनेताओं के गठजोड़ के मुनाफे के कारोबार के खुलासे के बाद जिस तरीके से उत्तर प्रदेश सरकार का अब तक इस पर कोई पक्ष नहीं आया है, ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार भी कटघरे में खड़ी हो जाती है.

प्रदर्शनकारियों ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया से मांग की कि तनु शर्मा ने 5 फरवरी 2014 को इंडिया टीवी चैनल को ज्वाइन किया था. लोकसभा चुनाव को देखते हुए तमाम चैनलों ने नई नियुक्तियां की थी. ऐसे में प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया को चाहिए कि वह इन सभी नियुक्तियों पर एक निगरानी समिति का गठन करे और उनके हालात को समझने की कोशिश करे ताकि तनु शर्मा जैसी अन्य घटनाएं न हो पाएं. सभी मीडिया संस्थानों में विशाखा गाइड लाइन लागू है या नहीं, इस बात की भी प्रेस काउंसलि द्वारा समीक्षा की जाए.

प्रदर्शनकारियों ने कहा कि जिस तरीके से तनु शर्मा और अरूणा राय के साथ हुआ और न्याय को लगातार बाधित करने की कोशिशें की जा रही है, उससे पूरे समाज में गलत संदेश जाता है. जिसके चलते कोई भी लड़की मीडिया संस्थान और पुलिस विभाग में नहीं जाना चाहेगी और न ही कोई अभिभावक अपनी बच्चियों को इनमें भेजेगा.

प्रदर्शन में सतेन्द्र कुमार, मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित सामाजिक कार्यकार्ता संदीप पाण्डे, नागरिक परिषद के रामकृष्ण, मजदूर नेता के.के. शुक्ला, रोडवेज कर्मियों के नेता होमेन्द्र मिश्रा, प्रसिद्ध रंगकमी आदियोग, प्रतापगढ़ के शम्स तबरेज़, हरदोई से प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता राधेश्याम कपूर, रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुएब, ए.के. सिंह, अखिलेश सक्सेना, गुफरान सिद्दीकी, अरुणा सिंह, शाहनवाज़ आलम, हरेराम मिश्र, सी.बी. त्रिपाठी, किसान नेता शिवाजी राय, राजीव यादव आदि शामिल हुए.

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