मधुमेह की दवाइयां हुई 79 फीसद सस्ती!

Beyond Headlines
Beyond Headlines
2 Min Read

BeyondHeadlines News Desk

महंगी दवाइयों की गुंज अब संसद में भी सुनाई देने लगी है. पिछले दो-तीन वर्षों से महंगी दवाइयों को लेकर लगातार आंदोलन होता रहा है. रसायन व उर्वरक राज्य मंत्री निहाल चंद ने राज्यसभा में पूछे गए महंगी दवाइयों के सवाल के जवाब में लिखित उत्तर देते हुए कहा कि ‘मधुमेह और हृदय रोग के उपचार से संबंधित गैर-अधिसूचित 108 दवाओं के सदंर्भ में अधिकतम खुदरा मूल्‍य (एमआरपी) की सीमा तय करने के लिए राष्‍ट्रीय औषधीय मूल्‍य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) की पहल के परिणामस्‍वरूप इन दवाओं की कीमतों में लगभग 01 प्रतिशत से लेकर 79 प्रतिशत तक कमी आई है.’

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ये 108 दवाएं अनिवार्य दवाओं की राष्‍ट्रीय सूची में शामिल नहीं हैं और औषधि मूल्‍य नियंत्रण आदेश 2013 के पैरा 19 के अधीन इनकी कीमतों में कमी की गई है. उनका यह भी कहना था कि कुछ दवा निर्माता संघों ने एनपीपीए द्वारा इन संबंधित अधिसूचनाओं को वापस लेने की मांग की है.

इस बावत स्वास्थ्य कार्यकर्ता आशुतोष कुमार सिंह का कहना है कि जब देश में दवाइयों का मुनाफा 1000 फीसदी हो वहां पर 50-100 फीसदी दाम कम हो जाने से बहुत फायदा नहीं होने वाला है. आशुतोष ने सरकार को दवाइयों के निर्माण में खुद आगे आने की अपील की और कहा की जिस देश का घरेलु दवा बाजार 1 लाख हजार करोड़ रूपये के आस-पास हो, वहां की सरकार इसे निजी हाथों में कैसे छोड़ सकती है.

Share This Article