… और ज़ाकिर नगर में बनते बनते रह गया पुलिस का ’15 अगस्त’

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Afroz Alam Sahil for BeyondHeadlines

दिल्ली के बटला हाउस से सटे ज़ाकिर नगर में एक बार फिर से खौफ की दस्तक सुनाई पड़ी है. ये खौफ दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल का है. 15 अगस्त के ‘गुड वर्क’ के लालच में स्पेशल सेल के ये कारिन्दे एक बार फिर से बेगुनाह अल्पसंख्यक युवकों की ज़िन्दगी और उनके मुस्तकबिल के दुश्मन बन गए. वो तो भला हो ज़ाकिर नगर की आम जनता का जिसने स्पेशल सेल के इन खादी वर्दी में छिपे असलहाधारी पुलिस वालों के चेहरों से नकाब नोच दिया. और इनकी असलियत का ढिंढोरा मुहल्ले से लेकर थाने तक पीट दिया, वर्ना एक बार फिर कुछ मासूम बच्चे पुलिसिया हैवानियत के शिकार हो जाते और अंधी मीडिया अगले दिन सुबह उनकी कब्रों पर दहशतगर्दी की चादर चढ़ा रही होती.

सुबह के करीब 11 बजे थे… ज़ाकिर नगर के गली नम्बर 9 और 12 में करीब एक दर्जन स्पेशल सेल के जवान हाथों में पिस्टल व एके-47 लिए गुंडों की तरह दाखिल होते हैं. यह सारे जवान सादी वर्दी में थे. लोग इन्हें देखकर सहम जाते हैं. सहमे हुए लोग पुलिस को फोन करना मुनासिब समझते हैं. लेकिन नाकामी हाथ लगती है. स्पेशल सेल के यह ‘गुंडे’ एक घर में घुसकर वहां के लोगों से गाली-गलौज कर रहे थे. बकौल उनके वो ‘तलाशी अभियान’ चला रहे थे.

स्थानीय नेता अमानतुल्लाह खान के मुताबिक उन्होंने फौरन जामिया नगर थाने में कॉल किया और इस ‘तलाशी अभियान’ के बारे में पूछा. इंस्पेक्टर प्रवीण ने बताया कि ऐसा कोई ‘अभियान’ उनकी जानकारी में नहीं है.

Delhi Policeअमानतुल्लाह खान आगे बताते हैं कि उन्होंने स्पेशल सेल के सब-इंस्पेक्टर नवीन कुमार से पूछा कि क्या पुलिस यहां बेगुनाहों को गिरफ्तार करने आई है ताकि आज 14 अगस्त की शाम उन्हें इंडियन मुजाहिदीन से जोड़कर फिर से इस इलाके को बदनाम किया जा सके. या फिर आपकी मंशा किसी का एनकाउंटर करने का है? उसने मेरे इस सवाल को खारिज कर दिया और कहा कि वो सिर्फ पूछताछ के लिए आए हैं. तब मैंने पूछा कि 12-15 लोग सिर्फ पूछताछ के लिए आए हैं. वो भी सादे ड्रेस में इतने सारे हथियारों के साथ? और आपने डी.के बासु की गाईडलाईन्स फॉलो क्यों नहीं किया? बगैर लोकल पुलिस और एफआईआर के आप कैसे आ गए? मेरे इन सारे सवालों पर उन सबको सांप सूंघ गया और वो खामोश रहें. तब हमने उनको पकड़ा और थाने को फोन किया. एसएचओ और अडिश्नल एसएचओ जाकिर नगर पहुंचे और उन्हें जामिया नगर थाने लाया गया. जहां स्थानीय लोगों ने उनके सस्पेंशन के साथ-साथ उनके खिलाफ एफआईआर करने की मांग की.

स्थानीय लोगों का कहना है कि इनकी मंशा इस इलाके को बदनाम करने की थी. शायद वो एनकाउंटर की नियत से ही आए थे. क्योंकि एक-दो मीडिया के लोग भी उनके साथ छोटे वाले कैमरे लेकर आए थे. लेकिन हंगामा देखकर उन्हीं में से एक ने उनको चले जाने का इशारा कर दिया. या फिर ऐसा भी हो सकता है कि एक दो बेगुनाह युवकों को गिरफ्तार करके ले जाते और फिर मीडिया फौरन उन्हें दहशतगर्द बना देती. मौका भी अच्छा था. उनकी खबर हिट हो जाती. लेकिन शुक्र है कि ऐसा हो न सका. लोगों की सूझ-बुझ से यह इलाका बदनाम होते-होते बच गया.

अमानतुल्लाह कहते हैं कि भाजपा के इशारे पर दिल्ली पुलिस सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन  करके फर्जी गिरफ्तारियां और एनकाउंटर करने पर आमादा है तथा चुनाव से पहले दिल्ली में भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश जैसे दंगों का माहौल बनाना चाहती है.

स्पष्ट रहे कि ज़ाकिर नगर से सटे हुए बटला हाउस में कुछ सालों पहले पुलिसिया ‘गुड वर्क’ के तांडव ने जो कोहराम मचाया था, उसकी लपटें आज भी सुलग रही हैं. ऐसे में एक बार फिर से इतिहास के उसी काले अध्याय को दोहराने की कोशिश पुलिस की नियत और चरित्र दोनों पर गंभीर सवाल खड़े करती है.

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