BeyondHeadlines News Desk
कानपुर : पिछले अगस्त महीने में भीतरगांव में हुई सांप्रदायिक हिंसा के दौरान अपने मुस्लिम पड़ोसियों की जान बचाने वाले बच्चों दिव्या, काव्या और अभय का नागरिक अभिनन्दन करते हुए सांप्रदायिक सद्भावना सम्मान से सम्मानित किया गया.
यह सम्मान समारोह शहर के गुलशन हॉल, चमनगंज में आयोजित किया गया, जिसमें वक्ताओं ने उम्मीद जताई कि समाज इन बच्चों से प्रेरित होकर एक धर्म निरपेक्ष राष्ट्र का निर्माण करेगा.
इस समारोह के दौरान बच्चों के परिजन भी मौजूद थे. कार्यक्रम का आयोजन ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस मशावरात तथा इंडियन नेशनल लीग ने संयुक्त रूप से किया था.
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कमलेश वाजपेयी ने कहा कि उन्होंने अपने मुस्लिम पड़ोसियों की जान इसलिए बचाई कि पड़ोसी होने के नाते यह उनका फर्ज था. पड़ोसी हिंदू-मुसलमान नहीं होते. पड़ोसी सिर्फ एक पड़ोसी होते हैं.
उन्होंने कहा कि उन्हें और उनके परिवार को इस बात का हमेशा दुख रहेगा कि वे उस सांप्रदायिक हिंसा में मारे गए अन्य दो लोगों की जान नहीं बचा पाए.
उन्होंने कहा कि हमने अपना पड़ोसी धर्म निभाया है. लेकिन शासन प्रशासन की तरफ से अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई जा रही है. दोषियों को सजा नहीं दी जा रही है.
इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पी.सी. कुरील ने कहा कि इतनी बड़ी घटना होने के बावजूद आज तक पीडि़तों को मुआवज़ा तक नहीं दिया गया, जो सरकार की संवेदनहीनता और इस पूरे मामले में उसकी आपराधिक भूमिका को साबित करता है. यह एक फासीवादी प्रवृत्ति है जिसके खिलाफ लोगों को संगठित होना होगा.
लखनऊ से आए रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने कहा कि सरकारों की कोशिश है कि सांप्रदायिक आधार पर समाज को विभाजित और कमजोर करके इसकी एकता को तोड़ दिया जाए, ताकि देश के संसाधनों की कारपोरेट लूट के खिलाफ कोई संगठित आंदोलन न खड़ा हो पाए. मुसलमानों को जान बूझ कर निशाना बनाया जा रहा है, ताकि मुसलमानों और हिंदुओं में फर्क पैदा किया जा सके. लेकिन जब तक कमलेश वाजपेयी और राकेश अवस्थी जैसे परिवार हैं, सरकारें इसमें कभी कामयाब नही होंगी.
इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद सुलेमान ने कहा कि कानपुर सांप्रदायिक शक्तिओं के निशाने पर बहुत पहले से हैं. भीतरगांव में सांप्रदायिक हिंसा के ज़रिए इन्होंने फिर अपने मंसूबे साफ कर दिए हैं. लेकिन गांव में रिश्ते बहुत मज़बूत होते हैं, हम उन्हें टूटने नहीं देंगे.
इस सांप्रदायिक हिंसा पर खामोश दर्शक बनी रही युवा अखिलेश सरकार को हाई स्कूल इंटर में पढ़ने वाले बच्चों से इंसानियत सीखनी चाहिए, जिन्होंने अपने पड़ोसियों की जान बचाई.
मोहम्मद सुलेमान ने कहा कि भीतरगांव के असली दोषियों को सजा दिलाने और पीडि़तों को इंसाफ दिलाने के लिए इस सवाल पर आंदोलन किया जाएगा.
रिहाई मंच के प्रवक्ता राजीव यादव ने कहा कि विपरीत परिस्थितियों में भी अपने पड़ोसियों की जान बचाने वाले इन बच्चों ने गणेश शंकर विद्यार्थी की सांप्रदायिकता विरोधी परंपरा को आगे बढ़ाया है. उन्होंने कहा कि बच्चों के अंदर सांप्रदायिक ज़ेहनियत पैदा करने की कोशिश सांप्रदायिक ताकतें कर रही हैं, लेकिन जिसका मुकाबला समाज को अपने साझी विरासत की चेतना के साथ करना होगा.
इलाहाबाद से आए किसान नेता राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि ‘अच्छे दिन’ के वादे के साथ सत्ता में आई सरकार ने पूरे देश में सांप्रदायिक उन्माद का माहौल बना दिया है, जिसमें आम गरीब आदमी पिस रहा है. आज देश को नए नेताओं की नहीं, नई नीतियों की ज़रूरत है. वे नीतियां जो लोगों में एकता पैदा करती हैं. देश को बांटने की साजिश रचने वाले लोगों को याद रखना चाहिए कि देश की एकता इतनी कमजोर नहीं है कि उसे सांप्रदायिक अफवाह फैलाकर तोड़ा जा सके.
अंत में अध्यक्षीय भषण देते हुए बनारस से आए डॉ. वी.के. सिंह ने कहा कि सांप्रदायिक उन्माद के विरुद्ध खड़े होने वाले इन बच्चों से हमें बहुत बड़ी प्रेरणा मिली है और हम देश में विद्वेश फैलाकर खून-खराबा करने वाले लोगों को सफल नहीं होने देंगे और प्रदेश सरकार को उन तत्वों के खिलाफ कड़ी कारवाई करने को बाध्य कर देंगे.
इस अवसर पर आईएनएल यूथ विंग के कार्यकर्ता भारी संख्या में मौजूद थे. जिसमें मुख्य रूप से अजहर मंसूरी, मोहम्मद ज़मीर, पिछड़ा समाज महासभा के शिव नारायण कुशवाहा, अनिल यादव, शाहनवाज आलम, गुफरान सिद्दीकी आदि मौजूद रहे.