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मौत की दहलीज़ पर खड़ा एक ग़रीब ऑटो ड्राईवर का देशवासियों के नाम एक खुला पत्र

ये पत्र किसके नाम लिखूं? सत्ता और शराब के नशे में चूर और मग़रुर राज्य सभा सांसद कुसूम राय की बेटी मधुलिका के नाम… जिसने मेरे ऑटों को टक्कर मारकर यह जानने की भी ज़हमत नहीं उठाई कि मेरा क्या होगा? या उस सांसद के नाम जो मेरी और मुझ जैसे करोड़ों भारतीयों के खून पसीने की कमाई से सर्व-सुविधा युक्त जीवन जीते हैं. सिर्फ इसलिए कि हमारे मुद्दों की ख़बर ले सके. लेकिन जिसे अपनी बेटी करतूत की ख़बर ही ना हो सकी?

या उस पुलिस व्यवस्था के नाम जो मुझ में या मेरे मामले में ना दिलचस्पी है और ना मेरे प्रति कर्तव्य बोध? या उस स्वास्थ्य व्यव्स्था के नाम जिसने मुझे स्वास्थ्य लाभ देने के बजाय मौत के मुहाने पर खड़ा कर दिया? या उस मीडिया के नाम जिसे दीपिका पादुकोण के क्लीवेज में तो दिलचस्पी तो हैं, लेकिन हम जैसे मेहनतकशों की जिंदगी या मौत में नहीं? या अंधभक्त हो चुके इस समाज के नाम?

मैं ये पत्र लिख रहा हूं, उन सबके नाम… जिन्हें इसमें कोई दिलचस्पी नहीं. सिर्फ इसलिए ताकि सनद रहे कि मैं भी कभी जिंदा था… बेटियों का बाप था… मैं खुद को खुशनसीब मानूंगा, अगर अपके पत्र पढ़ने तक जिंदा बच सका…

मैं लिख रहा हूं क्योंकि व्यवस्था समाज, शासन और प्रशासन से निराश होने के बाद भी मानवता में मेरी उम्मीद बाकी है. यह मानवता की डोर ही है, जिसमें मेरी टूटती सांसों को अब तक बांधे रखा है.

आपके इसे पढ़ने लाईक करने, शेयर या कमेंट पर फेसबुक मुझे 25 पैसे, 50 पैसे या एक रुपया भी नहीं देगा. लेकिन फिर भी मैं आप से इसे पढ़ने शेयर करने, कमेंट करने या लाईक करने की अपील करता हूं, क्योंकि मैं चाहता हूं कि मेंरे गुनाहगार कानून के, समाज के और आपके कटघरे में खड़े हों.

आपका

मृत्युंज्य

नोट:- 37 वर्षीय मृत्युंज्य जिसे 16 जून, 2014 की रात करीब एक बजे नई दिल्ली के नजदीक कस्तुरबा गांधी मार्ग पर फिरोज़शाह रोड क्रासिंग के पास एक राज्यसभा सांसद की बेटी ने एक्सिडेंट कर दिया था.

जीने का आस छोड़ चुका मृत्युंज्य अब सिर्फ इसलिए जीना चाहता है, ताकि उसे इंसाफ मिले और जो उसके साथ हुआ अन्य किसी बेगुनाह के साथ ना हो.

इस ख़बर का पूरा घटना क्रम पढ़ने के लिए इस लिंक को क्लिक करें… http://beyondheadlines.in/2014/09/auto-driver-and-madhulika/

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