बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी

अंधेरे में गांधी की कर्मभूमि…

Abhishek Kumar Chanchal for BeyondHeadlines                                           

किसी भी समाज के विकास के लिए ऊर्जा की ज़रुरत महत्वपूर्ण है… चाहे वो कृषि हो, उद्योग , परिवहन या घर… सभी जगह ऊर्जा की ज़रुरत होती है, लेकिन पश्चिम चम्पारण के गांवों में बिजली की बहुत ही दयनीय स्थिति है. कुछ जगह बिजली पहुंची भी है तो वहां नाम मात्र की बिजली रहती है. इस कारण से यह इलाका पिछड़ता जा रहा है. बल्कि यूं कहे कि गांधी की कर्मभूमि के अधिकतर गांव आज भी विकास से कोसों दूर हैं.

बिजली कमी का मुख्य कारण ऊर्जा प्राप्ती के लिए प्रकृति के सीमित संसाधन जैसे कोयला, कच्चा तेल एंव पेट्रोलियम पर ज़रुरत से ज्यादा निर्भरता है. जैसे-जैसे देश का विकास हो रहा है, वैसे-वैसे ऊर्जा की खपत की मांग बढ़ती जा रही है. जिस अनुपात में मांग बढ़ रही है उस अनुपात में प्रकृति के सीमित संसाधन के द्वारा बिजली का उत्पादन नहीं हो पा रहा है. इस वजह से बिहार का बिजली उत्पादन 200 मेगावाट भी नहीं है. बिहार में बिजली सुधार को लेकर किये गये वादें खोखले साबित हो रहे हैं.

शिवलाल कुमार रुपोलिया गोनाहा ब्लॉक पश्चिम चम्पारण के रहने वाले हैं. वे विगत 3 सालों से चाय की दुकान चला रहे हैं. शिवलाल कहते हैं कि “राजीव गांधी ग्रामीण विधुतीकरण योजना तो सिर्फ पोल खड़े करती है, बिजली नहीं देती.”

इस गांव में सालों से बिजली नहीं है और बिजली आयी भी तो कुछ जगह सिमट कर रह गयी. शिवलाल बताते हैं कि ‘हमारा गांव रुपोलिया बीच का क्षेत्र है, यहां पर लगभग 150 घर है, जिसके पास बिजली नहीं है.’

शिवलाल अपने यहां रोशनी करने के लिेए सोलर लाइट का उपयोग करते हैं. यह पूछे जाने पर कि आपको सोलर लाइट का तरकीब कहां से मिला तो वे बताते हैं ‘यहां से लगभग 3 किलोमीटर दूर गांधी जी का आश्रम है, जहां से गांधी जी ने आंदेलन शुरु किया था. ये आश्रम आज से एक साल पहले तक अंधकारमय था. जंगलों के कारण यहां सांप और अन्य ज़हरीले कीट-पतंगों का भय बना रहता था, लेकिन यहां जब से सोलर लाइट लगाया गया तब से यह परिसर प्रकाशमय हो गया है. इसी के बाद हम भी सोलर लाइट ले आये हैं. अब त हमरो यहां रोशनी रहता है. हम ज्यादा देर तक अपना दुकान खोले रखते हैं और बच्चों के पढ़ने-लिखने की भी सुविधा मिल जाती है.”

शिवलाल बताते है कि “यहां के तकरिबन 25-30 लोगों ने देखा-देखी अपने घरों में सोलर लगाये हैं.” शिवलाल अपने यहां के समस्या को बताते हुए कहते है कि “बिजली न होने के कारण घर की बहु-बेटी दरवाजे पर ही सोती हैं, जिससे कि असुरक्षा का भय बना रहता है. गांव के बच्चे लोग सरकार के द्वारा दिये गये स्ट्रीट लाइट में पढ़ाई करते हैं.

शिवलाल के पड़ोसी विनोद कुमार गुप्ता दवाई की दुकान चलाते हैं. श्री गुप्ता बताते हैं कि ‘लाइट न होने के कारण यहां के लोग टेलीविज़न पर समाचार देखने,  मैच देखने के लिए गांव से एक किलोमीटर दूर चौक पर जाते हैं.”

गुप्ता के मुताबिक “यहां पर अधिकांश घर फूस का है और रात के समय पूरा ध्यान रखना पड़ता है ताकि डीबिया से आग न लग जाये. बिजली के अभाव में हम लोगों का जीवन अंधरे में है.”

गाँधी जी द्वारा पश्चिम चंपारण से शुरू किये आंदोलन ने भले ही देश भर में आजादी की रोशनी जलाने में सफल रहा था, लेकिन खुद पश्चिम चंपारण आजादी के साठ सालों बाद भी अंधेरे में जीने को विवश है. अब शायद सरकार यदि सोलर ऊर्जा पर ध्यान दे तो चंपारण की धरती अंधेरे के शाप से मुक्त हो…

Loading...

Most Popular

To Top

Enable BeyondHeadlines to raise the voice of marginalized

 

Donate now to support more ground reports and real journalism.

Donate Now

Subscribe to email alerts from BeyondHeadlines to recieve regular updates

[jetpack_subscription_form]