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Reading: बिजली के लिये वर्षों से संघर्ष कर रहा है मज़लूम का गांव
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बिजली के लिये वर्षों से संघर्ष कर रहा है मज़लूम का गांव

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published October 18, 2014
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4 Min Read
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Abhishek kumar Chanchal for BeyondHeadlines

मधुबनी ज़िले के झंझारपुर प्रखंड से 5 किलोमीटर दूर राष्ट्रीय राजमार्ग-57 से पश्चिम की तरफ गांव है- मछवी… मछवी गांव उस समय पूरे राज्य में चर्चा में आ था, जब इस गांव के मज़लूम नदाफ मीडिया की ख़बरों में जगह पाने लगे.

दरअसल, मज़लूम नदाफ बिहार के पहले आरटीआई आवेदनकर्ता हैं. मज़लूम को आईबीएन नेटवर्क ने सिटिजन जर्नलिस्ट अवार्ड्स से सम्मानित किया. आईबीएन नेटवर्क ये अवार्ड उन आम लोगों को देता है, जिसने समाज में हो रही गड़बड़ियों के खिलाफ आवाज़ बुलंद की हो और एक नई दिशा देने का काम किया हो.

रिक्शा चलाने वाले मज़लूम की भले ही सरकार में कोई पैठ ना हो, लेकिन उन्होंने बिना घूस दिए अधिकारियों को ना सिर्फ अपना बल्कि अपने जैसे सैकड़ों लोगों को हक़ देने के लिए मजबूर कर दिया.

मज़लूम नदाफ आरटीआई के कारण पूरे गांव को इंदिरा आवास दिलाने वाले ऐसे शख्स हैं, जिन्होनें पूरे बिहार को एक दिशा देने का काम किया है.

बिजली की समस्या को लेकर नदाफ का कहना है कि दशकों पूर्व हमारे गांव को सिमरा गांव के ट्रांसफर्मेर से बिजली मिलती थी. करीब दो दशक पहले ट्रांसफर्मेर जल जाने के कारण इस गांव को बिजली मिलनी बंद हो गयी. गांव वालों ने मिलकर दर्जनों आवेदन विभाग को दिया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.

मज़लूम बताते हैं कि “जब वर्ष 2011-12 में राजीव गांधी ग्रामीण विधुतिकरण प्रारम्भ हुआ तो एक बार फिर हम लोगों ने झंझारपूर के विधायक सह ग्रामीण विकास मंत्री नितिश मिश्र जी को आवेदन दिया, लेकिन यहां भी कोई सुनवाई नहीं हुई.”

मज़लूम के साथ खड़े गांव के वार्ड सदस्य का कहते हैं कि “कहीं से सुनवाई नहीं होने पर गांव के मो. अब्दुल रहीम और अताउल्लाह अंसारी ने वर्ष 2012 में सूचना का अधिकार के तहत आवेदन दिया. लेकिन इसका भी कोई असर स्थानीय विधुत कार्यालय पर नहीं हुआ.

तब जाकर गांव वालों ने फैसला किया कि हम लोग गांव में बच्चों को विटामिन ए एंव पल्स पोलियों के खुराक का बहिष्कार करेंगे.”

जब बच्चों को ये खुराक देने से मना किया गया तो जिला अधिकारी ने आश्वासन दिया कि बिजली को इस गांव में लाया जाएगा. इसके लिए इस गांव को 16 पोल और 100 आर. बी ट्रांसफर्मेर दिया जायेगा तब जाकर गांव वालों ने बच्चों को खुराक पिलाने के लिये तैयार हुए, लेकिन इन आश्वासनों के बाद भी आज तक इस गांव में बिजली नहीं आ पाई है.

और इस तरह मधुबनी जिला का मछवी गांव वर्षो से बिजली के लिए संघर्ष करता आ रहा है. लेकिन अभी तक इस गांव को इंसाफ नहीं मिला है. आज यह गांव अंधरे मे अपना जीवन गुजारने को विवश है.

गांव वालें अंधेरा मिटानें के लिए जनरेटर के द्वारा दी जाने वाली बिजली का उपयोग कर रहे हैं. जनरेटर के द्वारा बिजली बहुत मंहगी होती है. गांव वाले 100 रुपये महीने में 3 घंटे बिजली प्राप्त कर पाते हैं. वो भी शाम के 6 बजे से 9 बजे तक… जिन लोगों की आर्थिक हालत ठीक नहीं है, वो अंधेरे में ही गुज़र-बसर करने को मजबूर हैं.

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