राजकीय आतंकवाद और नफ़रत व फिरकापरस्ती की राजनीति के खिलाफ एकजुटता

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BeyondHeadlines News Desk

1984 जनसंहार के 30 वर्ष पूरे होने पर ‘राजकीय आतंकवाद और नफ़रत व फिरकापरस्ती की राजनीति के खिलाफ’ दिल्ली के तमाम अल्पसंख्यक सामाजिक व राजनीतिक संगठन एकजुट नज़र आएं.

देश में हुए तमाम दंगों में शामिल दंगाइयों व हत्यारों को फांसी देने की मांग करते हुए लोकराज संगठन के बैनर तले कई सामाजिक संगठनों ने पैदल यात्रा निकाली. इसमें कई सामाजिक कार्यकर्ता, थियेटर कलाकार व चित्रकार भी शामिल हुए. यह यात्रा मंडी हाउस से शुरू होकर जंतर-मंतर पर खत्म हुई और वहां एक सभा में बदल गई. लोकराज संगठन के राघवन के मुताबिक सिक्ख दंगा पीड़ितों को न्याय दिलाने की मांग को लेकर सामाजिक संगठनों का यह आंदोलन 15 नवंबर तक जारी रहेगा.

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यात्रा के दौरान मुआवजा नहीं इंसाफ चाहिए… एक पर हमला सब पर हमला… जैसे नारे लगाए जा रहे थे. यात्रा में दंगा पीड़ितों के साथ काफी संख्या में मुस्लिम व इसाई समुदाय के लोग भी शामिल हुए. और देश में होने वाले तमाम दंगों की बात की गई. चाहे वो 1983 में असम के नेल्ली में आदिवासियों का क़त्लेआम हो, 1993 में मुंबई में हिन्दुओं और मुसलमानों का क़त्लेआम हो, 2002 में गुजरात के मुसलमानों का क़त्लेआम हो, 2008 में ओडिशा के ईसाइयों का क़त्लेआम हो या फिर हाल के दिनों में असम, मुज़फ्फरनगर का क़त्लेआम हो.

जनसभा में वक्ताओं का एक बात स्पष्ट तौर पर कहना था कि 1984 के जनसंहार के 30 वर्ष बाद भी उसके गुनाहगारों को सज़ा दिलाने में कोई प्रगति नहीं हुई है. इसके लिए ज़िम्मेदार नेताओं व पुलिस अफसरों पर कोई आरोप नहीं लगाया गया, बल्कि उन्हें पुरस्कृत किया गया है. अगर 1984 के गुनाहगारों को सज़ा दी गई होती, अगर राज्य व शासक पार्टी को क़त्लेआम के लिए दोषी ठहराया गया होता, तो उसके बाद आयोजित किए गए देश के तमाम जनसंहार और क़त्लेआम नहीं होते.

इस यात्रा और जनसभा में विशेष तौर पर लोक राज संगठन के साथ-साथ सिक्ख फोरम, सिक्ख चेतना लहर, असोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राईट्स, सिटीजन फॉर डेमोक्रेसी, पीपल्स मूवमेंट अगेंस्ट यू.ए.पी.ए., पुरोगामी महिला संगठन, मजदूर एकता कमिटी, पीपल्स विजिलेंस कमेटी ऑन ह्यूमन राईट्स, निशांत नाट्य मंच, हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी, वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया, यूनाइटेड मुस्लिम फ्रंट, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया, बचपन बचाओ आंदोलन, स्टूडेन्ट इस्लामिक ऑर्गनाइजेशन ऑफ इंडिया जैसे कई संगठन व राजनीतिक पार्टियां शामिल थे.

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