Afroz Alam Sahil for BeyondHeadlines
मुंबई के बेहद ही विवादित ओबेरॉय बिल्डर ने अपनी कारगुजारियों से पर्दा उठाने वाले पत्रकार को रोकने की खातिर अब कोर्ट का सहारा लिया है. गौरतलब है कि खोजी पत्रकारिता के क्षेत्र में तेजी से पहचान स्थापित कर रही एबीआई वेबसाइट ने मुंबई के ओबेरॉय बिल्डर की धांधलियों का कच्चा चिट्ठा खोल कर रख दिया था.
पत्रकार ताराकांत द्विवेदी ‘अकेला’ ने ABI (अकेला ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टीगेशन) के 13 अक्तूबर 2014 के अंक में मुंबई के इसी विवादित भवन निर्माता विकास ओबेरॉय की धांधली से जुड़ी एक ख़बर प्रकाशित की थी. खबर का शीर्षक था “Billionair builder Vikas Oberoi now accused of forging stamp papers, lawyers and NRI also involve”
ख़बर के मुताबिक ओबेरॉय ने एक मामले में कानूनी राहत की खातिर अपने मित्र अजीत रजनीकांत पंचोली के नाम का झूठा शपथपत्र बांबे हाईकोर्ट में पेश कर दिया. ध्यान देने वाली बात यह है कि अजीत रजनीकांत पंचोली HSBC बैंक की दुबई (UAE) शाखा में सिस्टम इंजिनियर के पद पर कार्यरत हैं.
जिस तारीख में ओबेरॉय ने पंचोली का शपथ पत्र बनाया, उस तारीख में पंचोली भारत में थे ही नहीं. वे दुबई में थे. इस बात की ख़बर लगने पर पंचोली ने न्यायालय में बाकायदा शपथ पत्र देकर माफ़ी मांग ली और स्पष्ट किया कि उन्होंने ऐसे किसी भी शपथ पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किये थे.
ओबेरॉय ने फर्जीवाड़े की हदें पार करते हुए स्टांप पेपर पर सफ़ेद स्याही लगाकर खरीददार का नाम, तारीख, न्यायालय…. सब बदल दिए थे. इस बात की जानकारी जब ओबेरॉय के प्रतिद्वंदी संतोष पाठक को लगी तो उन्होंने मुंबई पुलिस के उच्च अधिकारियों से इसकी लिखित शिकायत कर दी. शिकायत की प्रति ABI के पास मौजूद है. मगर इसके बावजूद पुलिस ने ओबेरॉय पर कोई कार्यवाही नहीं की.
एबीआई पर यह ख़बर आते ही सोशल मीडिया में भी वायरल हो गई. इसे हजारों पाठकों ने पढ़ा. अपनी क़लई खुलने से बौखलाए बिल्डर विकास ओबेरॉय ने 17 अक्तूबर 2014 को मुंबई उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया.
मुंबई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ए. एस. गडकरी ने ओबेरॉय की याचिका पर आदेश पारित कर दिया कि ABI भविष्य में विकास ओबेरॉय से संबंधित कोई भी समाचार प्रकाशित न करे. न्यायाधीश महोदय ने यह भी आदेश दिया कि ABI अपनी वेबसाइट से प्रकाशित की हुई ख़बर को तुरंत हटा दे. इस बाबत ओबेरॉय ने ABI, सम्पादक शैलेन्द्र पद्मनाभन और ABI संवाददाता ताराकांत द्विवेदी उर्फ़ अकेला को पार्टी बनाया है.
ओबेरॉय ने अपने लीगल फर्म ALMT Legal (Advocates and solicitors) के ज़रिये 28 अक्तूबर 2014 को रिमाइंडर भेजकर धमकी दी है कि यदि अकेला ABI (abinet.org) वेबसाइट से ख़बर को नहीं हटाते तो उनके खिलाफ न्यायालयीन अवमानना का मुक़दमा दायर कर दिया जाएगा. इसके बावजूद पत्रकार अकेला ने अब तक समाचार को अपनी वेबसाइट से नहीं हटाया है.
‘बेइमान बिल्डर’ का विवादित इतिहास—
बिल्डर विकास ओबेरॉय मुंबई के बेईमान तथा ज़मीन हडपू भवन निर्माता के रूप में बदनाम हैं. उसके खिलाफ मुंबई उच्च न्यायालय में कई मामले लंबित हैं. मुंबई के कई पुलिस थानों में कई प्राथमिकियां भी दर्ज हैं. हाल ही में उसके खिलाफ मुंबई के दिंडोशी न्यायालय ने गिरफ्तारी का आदेश जारी किया था.
