India

एक की सज़ा हम सबको क्यों?

Siraj Mahi for BeyondHeadlines

उबर कैब सर्विसेज की एक टैक्सी में महिला के साथ हुए रेप पर त्वरित कार्रवाई करते हुए दिल्ली सरकार ने इस कंपनी को तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित कर दिया है. लेकिन इस प्रतिबंध ने कई सवाल खड़े किए हैं कि क्या महज़ प्रतिबंध लगा देने से दिल्ली में महिलाओं के साथ होने वाली इन घटनाओं पर विराम लग जाएगा?

इन सवालों का स्पष्ट जवाब किसी के पास नहीं है. लेकिन इस कैब सर्विसेज को प्रतिबंधित करने से टैक्सी ड्राईवरों के पेट पर लात ज़रूर पड़ गया है. उन्हें अब यह चिंता ज़रूर सताने लगी है कि हमारे रोज़गार का क्या होगा? हमारा परिवार अब कैसे चलेगा? एक के घिघौने करतूत की सज़ा हम सबको क्यों?

इन्हीं सवालों को लेकर आज दिल्ली के जंतर मंतर पर उबर कैब सर्विसेज के तमाम ड्राईवरों ने धरना दिया, जिसका नेतृत्व बलविन्दर कर रहे थे.

इस मौके से हमने कई टैक्सी ड्राईवरों से बात की. एक सीनियर टैक्सी ड्राईवर मनोज बताते हैं कि मैं ज्यादा पढ़ा-लिखा नहीं हूं. हां! पर मुझे ड्राईवरी अच्छी आती थी. उबर ने मुझे नौकरी दी. मेरा पूरा परिवार खुश था. मेरे बच्चे खुश थे. हमारी जिन्दगी काफी अच्छे से कट रही थी. मगर अब तो हमारी भूखों मरने की नौबत आने वाली है. अब आप ही बताईए कि हम सब क्या करें?

वो आगे कहते हैं कि अगर किसी ने ग़लत काम किया है, तो उसे सज़ा ज़रूर दी जाए. लेकिन उबर कम्पनी से जुड़े 15 हजार लोगों को सज़ा क्यों दी जा रही है? आज हमारे बच्चे भूखों मर जाएंगे. उनकी पढ़ाई के लिए पैसे कौन देगा?

टैक्सी ड्राईवर परमोद बताते हैं –“साहब! सिर्फ हमें हमारी नौकरी चाहिए बस… सरकार से हमें कोई शिकायत नहीं. वो हमें बस रोज़गार दे दे. हम अपने परिवार के लिए प्रोटेस्ट कर रहे हैं न कि उबर कम्पनी के लिए.”

धरने में शामिल कुमार का कहना है कि हमने और हमारे भाईयों ने 8 लाख की, तो किसी ने 18 लाख की गाड़ी किस्त पर उबर के सहारे ली थी. अगर ये बैन रही तो हमारा क्या होगा? कौन हमें खाना पानी देगा?  वो तो खुद को कमदेव कहता है. जो आदमी 2011 से करेक्टरलेस था, तो उसे पहले ही क्यों नहीं सजा दी गई?

रमेश मित्रा कहते हैं –“ दिल्ली  सरकार कहती हैं कि हम ड्राइवरों के पास कानूनी तौर पर सही कागज नहीं हैं. जबकि हमारे जो लाइसेन्स है, वो सरकार व पुलिस द्वारा वैरिफिकेशन के बाद ही बनता है.”

धरने में शामिल सबके अपने-अपने सवाल थे. पर महत्वपूर्ण सवाल यह है कि क्या सरकार को एक आदमी की गलती से के कारण उबर के सभी चालकों का रोज़गार छीन लेना चाहिए? जबिक सरकार के पास उन चालकों रोज़गार देने के लिए कोई योजना नहीं है.

गौरतलब है कि पांच-छह दिसम्बर की रात को गुड़गांव की एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम करने वाली महिला ने उबर कैब की टैक्सी किराये पर मंगाई थी और कैब ड्राईवर महिला को उसके घर छोड़ने की बजाय एक सुनसान स्थान पर ले गया और उसके साथ बलात्कार किया.

आरोपी ड्राइवर को मथूरा से गिरफ्तार कर लिया गया. प्राप्त जानकारी के अनुसार इस मामले में पुलिस ने उबर कंपनी के अधिकारियों से पूछताछ की और नियम तोड़ने का दोषी पाया. बताया जाता है कि कंपनी ने आरोपी ड्राईवर का वेरीफिकेशन नहीं कराया था.

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