BeyondHeadlines News Desk
नई दिल्ली : सरकार द्वारा मनमाने तरीके से लंदन जाने से रोके जाने के खिलाफ ग्रीनपीस कार्यकर्ता प्रिया पिल्लई द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने आज एडिशनल सॉलिसिटर जनरल से कहा कि विचारों से असहमत होना राष्ट्र विरोधी होने के समान नहीं है.
कोर्ट ने प्रतिवादी को आदेश दिया है कि वो प्रिया के राष्ट्रहित के खिलाफ काम करने के दावे को शपथ पत्र और साक्ष्य के साथ कोर्ट में सिद्ध करे. अदालत ने यह भी माना कि भारतीय लोकतंत्र विचार के विभिन्न बिंदुओं को समायोजित करने के लिए पर्याप्त रुप से मज़बूत है. मामले की अगली सुनवाई 18 फरवरी को होगी.
स्पष्ट रहे कि प्रिया को 11 जनवरी को लंदन के लिये उड़ान भरने से रोक दिया गया था और कहा गया था कि उनका नाम गृह मंत्रालय द्वारा जारी लुकआउट सर्कुलर में है. प्रिया के पासपोर्ट पर ऑफलोड की मुहर लगा दी गयी थी. इस कार्यवाही से प्रिया के अधिकारों का उल्लंघन होने के साथ-साथ उसकी प्रतिष्ठा और करियर को नुक़सान पहुंचाने का आरोप लगाते हुए अदालत का दरवाज़ा खटखटाया था.