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आज़म खान के दवाब में फेसबुक कमेन्ट पर गिरफ़्तारी का विरोध

BeyondHeadlines News Desk

लखनउ के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आज डॉ. नूतन ठाकुर के नेतृत्व में गाँधी प्रतिमा, हज़रतगंज, लखनऊ पर आज़म खान के दवाब में 11वीं क्लास के छात्र को अनजाने में किये गए फेसबुक कमेंट पर मनमाने गिरफ़्तारी के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया और इसे सरकारी तंत्र का खुला दुरुपयोग बताया.

कार्यकर्ताओं ने कहा कि यह घटना साबित करती है कि उत्तर प्रदेश में दो तरह के क़ानून हैं- एक आम आदमी के लिए और एक वीआईपी के लिए. जहां आम आदमी का एफआईआर तक नहीं लिखा जाता, वहीँ आज़म खान की भैंस तक तत्काल बरामद हो जाती है.

डॉ. ठाकुर ने कहा कि यह गिरफ़्तारी राज्य सरकार के डरावने चेहरे को दिखाता है, साथ ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा धारा 66ए आईटी एक्ट के सम्बन्ध में दिए निर्देशों का भी उल्लंघन है. उन्होंने कहा कि गिरफ्तार छात्र के पिता ने साफ़ कहा है कि वह यह भी नहीं जानता था कि वह कोई अपराध कर रहा है जबकि हर अपराध के पीछे मक़सद की ज़रुरत होती है और इसमें कोई मक़सद नहीं था.

कार्यकर्ताओं ने कहा कि यह राजनेताओं द्वारा अपनी ताक़त का दुरुपयोग कर लोगों की आवाज़ दबाने और अपने अहम् की तुष्टि का नवीनतम उदहारण है. उन्होंने राज्यपाल, उत्तर प्रदेश से छात्र को तत्काल रिहा करते हुए इस कृतिम मुक़दमे से मुक्त करने की मांग की.

इस प्रदर्शन में मुख्य रूप से देवेन्द्र दीक्षित, अनुपम पाण्डेय, रोहित त्रिपाठी, डॉ प्रवीण, शरद मिश्र आदि शामिल थे.

राज्यपाल श्री राम नाइक को लिखे पत्र को आप नीचे देख सकते हैं:

सेवा में,

श्री राम नाइक,

मा० राज्यपाल,

उ0प्र0, लखनऊ

महोदय,

कृपया निवेदन है कि हम सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आज डॉ नूतन ठाकुर के नेतृत्व में गाँधी प्रतिमा, हजरतगंज पर उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री श्री आज़म खान के दवाब में बरेली के क्लास XI के छात्र श्री गुलरेज़ खान को अनजाने में किये गए फेसबुक कमेंट पर रामपुर जनपद की पुलिस द्वारा मनमाने तरीके से आनन् फानन में की गयी गिरफ़्तारी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और इसे सरकारी तंत्र का खुला दुरुपयोग बताया.

हम कार्यकर्ताओं ने कहा कि यह घटना साबित करती है कि उत्तर प्रदेश में दो तरह के क़ानून हैं- एक आम आदमी के लिए और एक वीआईपी के लिए. जहां आम आदमी का एफआईआर तक नहीं लिखा जाता वहीँ श्री आज़म खान की भैंस तक तत्काल बरामद हो जाती है. हमारा मानना है कि यह गिरफ़्तारी राज्य सरकार के डरावने चेहरे को दिखाता है, साथ ही मा० सुप्रीम कोर्ट द्वारा धारा 66ए आईटी एक्ट के सम्बन्ध में दिए निर्देशों का भी उल्लंघन है. गिरफ्तार छात्र के पिता ने साफ़ कहा है कि वह छात्र यह भी नहीं जानता था कि वह कोई अपराध कर रहा है जबकि हर अपराध के पीछे मकसद की जरुरत होती है और इसमें कोई मकसद नहीं था. वह तो युवा अवस्था में तमाम युवाओं की तरह फेसबुक पर अपने आप को अभिव्यक्त कर रहा था, बिना यह जाने कि वे कोई अपराध कर रहे हैं.

ऐसे में एक युवा को, कक्षा ग्यारह के छात्र को इस प्रकार अनजाने में किये गए पोस्ट के लिए बिना कोई पूछताछ किये गिरफ्तार कर लेना साफ़-साफ़ राजनेताओं द्वारा अपनी ताकत का दुरुपयोग कर लोगों की आवाज़ दबाने और अपने अहम् की तुष्टि का नवीनतम उदहारण है.

अतः हम आपसे सविनय निवेदन करते हैं कि कृपया तत्काल इस छात्र श्री गुलरेज़ खान को तत्काल रिहा कराने हेतु आवश्यक निर्देश निर्गत करते हुए इस पूर्णतया कृत्रिम मुकदमे से मुक्त कराने हेतु सम्यक निर्देश देने की कृपा करें.

पत्र संख्या- NT/Complaint/98/15                                        भवदीया,

दिनांक-19/03/2015

                                                                                              (डॉ नूतन ठाकुर )

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