कैलाश चौरसिया को मंत्री पद से हटाने को याचिका दायर

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BeyondHeadlines News Desk

लखनउ: यूपी सरकार में बेसिक शिक्षा और बाल पुष्टाहार राज्य मंत्री कैलाश चौरसिया के तीन साल की सजा पाने के बाद भी मंत्री पद पर बने रहने को लेकर उत्तर प्रदेश में राजनीतिक घमासान मचना शुरू हो गया है. इसी बीच सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर ने आज इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में उन्हें मंत्री पद से हटाए जाने को लेकर रिट याचिका दायर किया है. याची के अधिवक्ता अशोक पाण्डेय हैं.

याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा लिली थॉमस केस में जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 8(4) को असंवैधानिक घोषित किये जाने के बाद धारा 8(3) के अनुसार दो साल से अधिक अवधि के लिए सजा मिलने पर सजा की तिथि से ही विधायक और सांसद अयोग्य घोषित हो जाते हैं.

इसी प्रकार बी.आर. कपूर बनाम जयललिता केस में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया था कि जो व्यक्ति विधायक नहीं बन सकता, वह मंत्री भी नहीं रह सकता है.

याची डॉ. ठाकुर ने कहा है कि इन कानूनी पहलुओं के बाद श्री चौरसिया के तीन साल सजा पाते ही उन्हें मंत्री पद से हटा दिया जाना चाहिए था किन्तु मुख्यमंत्री अखिलेश यादव स्वयं उनके पक्ष में खड़े दिखते हैं, जिसके कारण उन्हें यह याचिका दायर करनी पड़ी है.

स्पष्ट रहे कि राज्य मंत्री कैलाश चौरसिया को डाककर्मी से मारपीट और सरकारी काम में बाधा डालने के आरोप में मिर्जापुर कोर्ट ने पिछले दिनों दोषी पाया था. कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की धारा 353 और 504 के तहत दो-दो साल और 20-20 हजार रुपए जुर्माना लगाया गया है. धारा 506 में तीन साल की सजा और पांच हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया है. सभी सजा एक साथ चलेगी.

यह फैसला 20 सालों से चल रहे एक मामले में आया है. चौरसिया पर साल 1995 में डाक विभाग के कर्मचारी के साथ मारपीट और सरकारी काम में बाधा डालने का आरोप है. फैसले के बाद मंत्री को न्यायिक हिरासत में ले लिया गया और करीब दो घंटे बाद उन्हें 20-20 हजार के दो ज़मानत पर रिहा कर दिया गया. कोर्ट से मिली कुछ दिन की इस राहत में कैलाश ऊपरी अदालत में अपील करेंगे.

चौरसिया नगर विधायक हैं और वाराणसी से पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ लोकसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं.

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