BeyondHeadlines News Desk
दूध और दुग्ध उत्पादों में मिलावट का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री श्री जे.पी. नड्डा ने आज राज्यसभा में ये जानकारी दी कि भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (द फूड सेफ्टी एंड स्टैंड्डर्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया- एफएसएसएआई) ने 2011 में अपने पांच क्षेत्रीय कार्यालयों के ज़रिये देश भर में दूध में मिलावट का सर्वेक्षण किया था. इस अभियान के तहत 33 राज्यों में लिए गए 1791 नमूनों की जांच सरकारी प्रयोगशालाओं में की गई. इनमें से 68.4 प्रतिशत नमूनों में शुद्धता के निर्धारित मानकों की पुष्टि नहीं हुई. इनमें दूध के 46.8 प्रतिशत नमूनों में वसा और सॉलिड नॉट फैट यानी एसएनएफ निर्धारित मानकों से नीचे था. अन्य नमूनों (548) में से स्कीम मिल्क पाउडर के 44.69 प्रतिशत नमूनों में निर्धारित मानकों की पुष्टि नहीं हुई. इनमें से 477 नमूनों में ग्लूकोज की मौजूदगी मिली. कुल 103 नमूनों (5.75 प्रतिशत) में डिटर्जेंट पाउडर मिला हुआ था.
स्पष्ट रहे कि खाद्य सुरक्षा और मानक कानून, 2006 के तहत मिलावट के लिए विभिन्न चरणों में सजा के साथ आजीवन कारावास की सजा का भी प्रावधान है. हालांकि खाद्य सुरक्षा और मानक कानून, 2006 और इससे जुड़े नियम-कानूनों को लागू करना राज्य या केंद्र शासित प्रदेशों की जिम्मेदारी है. खाद्य पदार्थों की शुद्धता के विश्लेषण के लिए खाद्य सुरक्षा अधिकारी छिटपुट नमूने उठा कर उसे भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) की ओर से मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं में भेजते हैं. जिन नमूनों में निर्धारित मानकों की पुष्टि नहीं होती है उनमें उल्लंघन करने वालों के खिलाफ खाद्य सुरक्षा और मानक नियम के प्रावधानों के तहत दंडात्मक कार्रवाई की जाती है.
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने 07.01.2015 को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से अनुरोध किया है वे नियमित आधार पर दुग्ध उत्पादों के नमूने लेने और इनकी जांच के लिए राज्यवार योजना को अंतिम रूप दें.
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