Swaraj Abhiyan for BeyondHeadlines
चंडीगढ़ में सीवर साफ़ करने मैनहोल में उतरे तीन सफाईकर्मी दम घुटने से अपना जीवन खो बैठे. सीवर की गैस ने इन तीनों को मैनहोल में उतरते ही बेहोश कर दिया. इनको बचाने उतरी नगर परिषद् की बचाव टीम के दो कर्मी भी सीवर की गैस को सहन नहीं कर पाए व गिर पड़े. कारण था कि सफाई कर्मियों के पास सीवर में उतरने के लिए ज़रूरी सुरक्षा किट नहीं थी, बचाव दल के दो कर्मी भी बिना सुरक्षा कवच के सीवर में उतरे थे.
जब सत्ता में बैठा राजनैतिक दल व अन्य पार्टियाँ भी डॉक्टर अम्बेडकर के सपनों को पूरा करने के वादे जोर शोर से कर रहे हैं, तभी चंडीगढ़ के अख़बारों में छपी इस ख़बर पर स्वराज अभियान गहरी चिंता व्यक्त करता है, दुखी परिवारों को अपनी साहनुभूती प्रेषित करता है. साथ ही नगर परिषद् व चंडीगढ़ प्रशासन की घोर लापरवाही को रेखांकित करते हुए, इस घटना के लिए प्रशासन में बैठे उत्तरदायी लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग करता है.
हमारा मांग है कि इस घटना की निष्पक्ष एजेंसी से जांच करवाई जाये, ताकि सफाई कर्मियों के जीवन से खिलवाड़ कर रहे सभी लोगों को कटघरे में लाया जा सके. साथ ही आने वाले समय के लिए जीवन सुरक्षा के उचित क़दम उठायें जा सकें.
स्वराज अभियान पूरी प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल उठाना चाहता है जो आज 21वीं शताब्दी में भी इन त्रासदी पूर्ण घटनाओं को रोक नहीं पा रही है. स्वराज अभियान राज्य व्यवस्था से पूछना चाहता है कि आज जब एक तरफ “स्मार्ट सिटी” बनाने के सपने दिखाए जा रहे हैं, वहीं चंडीगढ़ जैसे “सिटी ब्यूटीफुल” में सीवर व्यवस्था की देख-रेख करने वाले सफाई कर्मियों के पास सीवर में उतरने के लिए ज़रूरी साजो- सामान न होना आखिर किसी की लापरवाही है या फिर सफाई कर्मियों को इंसान न समझाने की प्रवृति का परिचायक या फिर इंसान व इंसान में फर्क करने की समझ…
सवाल यह भी है कि आज के दौर में जब सफाई के काम को निजी ठेकेदारों के हाथ में सौंप कर सफाई कर्मियों के साथ पहले ही खिलवाड़ किया जा रहा है, तब प्रशासन कर्मियों के मूलभूत जीवन के अधिकारों का मामला भी ठेकेदारों के हाथ में छोड़ देता है, जबकि मुख्य नियोक्ता होने के नाते नगर परिषद् व प्रशासन का दायित्व बनता है कि वह निजी ठेकेदारों से कानून व नियमों की पालन सुनिश्चित करवाए.
नगर परिषद् की मेयर का बयान छपा है कि परिषद् ने निजी ठेकेदार के साथ किये गए एग्रीमेंट में लिखा था कि सफाई कर्मियों को सुरक्षा कवच दिए जायेंगे. यह भी ख़बर आई है कि ठेकेदार के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा चुकी है.
स्वराज अभियान पूछना चाहता है कि क्या एग्रीमेंट की शर्तों की पालन करवाना नगर परिषद् का दायित्व नहीं था? यदि ठेकेदार शर्तों की पालन नहीं कर रहे हैं तो इस पर निगरानी रखने व सफाई कर्मियों को सुरक्षा कवच मुहैया ना करवाने पर कार्रवाई करने की क्या व्यवस्था है, व इसके लिए कौन जिम्मेवार है? यदि शर्तों की पालन सुनिश्चित नहीं कि जा रही तो परिषद् व प्रशासन के अधिकारी भी इस त्रासदी के लिए उत्तरदायी क्यों नहीं है? इतना ही नहीं बचाव दल के दो कर्मी बिना सुरक्षा कवच के मैनहोल में उतरने को क्यूं बाध्य हुए? इन प्रश्नों का उत्तर नगर परिषद् व प्रशासन के अधिकारीयों को देना होगा.
स्वराज अभियान की मान्यता है कि हमारे समाज में जीवन के अति महत्वपूर्ण काम को अंजाम देने वाले सफाई कामगारों को गरिमा पूर्ण जीवन जीने का हक़ है, जिसके साथ किसी भी तरह कि ढिलाई नहीं बरती जा सकती. समय की मांग है की भारतीय संविधान द्वारा दिए जीने के अधिकार की पालन की जाये. यह घटना बताती है कि आज भी सफाई कामगारों को जीवन के मौलिक अधिकार से वंचित किया जा रहा है.
स्वराज अभियान जिसकी घोषणा अम्बेडकर जयंती पर 14 अप्रैल के दिन 2014 को हुई, वह अपने विचार व सिद्धांत के अनुरूप इस घटना को गंभीरता से लेता है व सुनिश्चित करना चाहता है कि सफाई कामगारों के जीवन सुरक्षा के लिए हर संभव क़दम उठाये जाएं. यदि इस घटना को रफा-दफा करने की कोशिश की गई तो स्वराज अभियान सफाई कामगारों को संगठित कर सड़क पर उतर कर इस लड़ाई को लडेगा.