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मुज़फ्फरनगर में दलित युवक की पिटाई, हाथ में कील और मुंह में किया पेशाब!

BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ : शामली में विक्षिप्त मुस्लिम युवक रियाज को पुलिस की मौजूदगी में बजरंगदल के गुंड़ों द्वारा पीटते हुए शहर में घुमाने वालों की गिरफ्तारी व बजरंगदल को संरक्षण देने वाले शामली पुलिसिया अमले के निलंबन, मुज़फ्फरनगर में दलित युवक गोविंद को पीटकर, हाथ में कील गाड़ने व मुंह में पेशाब करने वालों की गिरफ्तारी, फैजाबाद में सांप्रदायिक हिंसा फैलाने की कोशिश करने वाले हिंदू युवा वाहिनी के नगर अध्यक्ष शंभूनाथ जायसवाल की गिरफ्तारी और लखनऊ में महिलाओं के खिलाफ़ बढ़ रही बलात्कार व हत्या की घटनाओं के खिलाफ़ रिहाई मंच ने जीपीओ लखनऊ स्थित गांधी प्रतिमा पर धरना दिया.

शामली पुलिस और बजरंगदल का सांप्रदायिक गठजोड़ मुर्दाबाद, बजंरगदल को प्रतिबंधित करो, सांप्रदायिक और जातीवादी हिंसा कराने वाली सपा सरकार शर्म करो, शामली में विक्षिप्त युवक रियाज को पीटने वाले बजरंगदल के गुंडो का संरक्षण देना बंद करो, मुजफ्फरनगर के दलित गोविंद के मुंह में पेशाब करने वाले सामंतों को संरक्षण देना बंद करो, राजधानी लखनऊ में महिलाओं की सुरक्षा की गारंटी करो, दलित उत्पीड़न बंद करो आदि नारे प्रदर्शनकारियों ने लगाएं.

धरने को सम्बोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि रिहाई मंच ने लगातार सूबे में जगह-जगह पुलिस के संरक्षण में संघ गिरोह के संगठनों द्वारा सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने की घटनाओं का सवाल उठाते हुए प्रदेश सरकार से इनके खिलाफ़ कार्रवाई की मांग की है. लेकिन जिस तरह शामली में मुस्लिम युवक को पूरे शहर में घुमा-घुमाकर पीटने की घटना सामने आई है, वह साफ करती है कि सपा व भाजपा 2013 की तरह फिर से सूबे को एक बड़ी सांप्रदायिक हिंसा में झोंकने की तैयारी में हैं.

वक्ताओं ने शामली के एसपी विजय भूषण और शामली शहर सीओ निशांत शर्मा को तत्काल निलम्बित करने की मांग करते हुए कहा कि ऐसे साम्प्रदायिक अधिकारियों का वहां रमज़ान में तैनात रहना किसी भी समय 2013 जैसी साम्प्रदायिक हिंसा का कारण बन सकता है.

उन्होंने खुफिया विभाग के अधिकारियों पर हिंदुत्ववादी संगठनों की समाजविरोधी षडयंत्रों और कार्रवाईयों पर रिपोर्ट न भेजने और पृष्ठभूमि से उनकी मदद करने का आरोप लगाते हुए शामली और मुज़फ्फरनगर के खुफिया विभाग के अधिकारियों के निलम्बन की मांग की. सहारनपुर के रामपुर मनिहारा में हुए सांप्रदायिक हिंसा के दोषियों के खिलाफ़ सख्त कार्रवाई की मांग की गई.

वक्ताओं ने कहा कि जिस तरह मुज़फ्फरनगर में दलित युवक गोविंद की पिटाई के बाद, हाथ में कील ठोके जाने व मुंह में पेशाब करने की घटना सामने आई है, वह साफ करती है कि सरकार द्वारा सामंती तत्वों का संरक्षण किया जा रहा है.

वक्ताओं ने पूरे सूबे में अचानक दलितों के खिलाफ़ बढ़े सामंती हमलों की निंदा करते हुए कहा कि जिस तरीके से झांसी के सकरार थाना क्षेत्र के भिटौरा गांव में दबंगों द्वारा एक दलित के हत्या के गवाह दलितों को पीटने और पुलिस द्वारा गवाहों पर ही हत्या के प्रयास का फर्जी मुक़दमा लाद देने जैसी आए दिन की घटनाएं साबित करती है कि पुलिस के संरक्षण में अपराधियों के हौसले बुलंद हैं.

उन्होंने दलित और मुस्लिम समाज के विधायकों की इन मुद्दों पर चुप्पी को अपने समाजों को धोखा देना बताते हुए मांग की कि इन सवालों पर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाए और सरकार इन घटनाओं पर श्वेतपत्र लाए.

वक्ताओं ने राजधानी लखनऊ में महिलाओं के खिलाफ़ बढ़ रही बलात्कार और हत्या की घटनाओं के पीछे पुलिस-माफिया-राजनेताओं का हाथ बताते हुए इस गठजोड़ की जांच के लिए आयोग गठित करने की मांग की.

रिहाई मंच के नेताओं ने कहा कि अगर उनकी मांगे नहीं मानी गईं, तो पूरे शहर में नुक्कड़ सभाएं करके सपा और भाजपा के गठजोड़ को उजागर किया जाएगा.

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