‘Yoga is not only haram, but it is feared that you would land yourself in shirk’ -Darul Uloom Deoband

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BeyondHeadlines News Desk

9 जून को भारतीय मीडिया में ख़बर आई कि मुसलमानों की धार्मिक शैक्षणिक संस्था दारुल उलूम देवबंद ने योग को हराम क़रार दिया है.

मुसलमानों को योग से रोकने के लिए दारुल उलूम देवबंद की तरफ से आये इस तथाकथित फतवे पर मचे घमासान के बाद 11 जून, 2015 दारुल उलूम ने यह स्पष्ट किया कि उन्होंने इस मुद्दे पर किसी भी तरह का फ़तवा देने से इनकार कर दिया है.

साथ उन्होंने यह भी कहा कि योग व्यायाम का एक हिस्सा है, और इसे किसी धर्म के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए.

दारुल उलूम ने यह भी कहा कि उसकी ओर से ऐसा कोई फतवा जारी नहीं किया गया है, जो मुसलमानों को योग से रोकता हो.

BeyondHeadlines के साथ फोन पर बातचीत में भी दारूल-उलूम देवबंद के प्रवक्ता अशरफ़ उस्मानी ने कहा, ‘हम योग के ख़िलाफ़ कोई फ़तवा नहीं दे रहे हैं. अगर किसी को लगता है कि योग सेहत के लिए फ़ायदेमंद तो वो ज़रूर करे.’

दारूल-उलूम में योग दिवस मनाने के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘हमारे बच्चे पांच वक़्त की नमाज़ पढ़ते हैं, और कुछ तो इससे भी ज़्यादा. नमाज़ भी योग जैसी ही वर्ज़िश है. इसलिए उन्हें योग की ज़रूरत नहीं है.’

दरअसल, दारूल-उलूम देवबंद मार्च 2010 में ही अपने एक फतवा (Fatwa: 606/472/H=1431) में योग को न सिर्फ हराम क़रार दिया है, बल्कि यह भी कहा कि यह शिर्क माना जाएगा, यदि योग के साथ सूर्य नमस्कार व गायत्री मंत्र को शामिल किया जाता है. और इसी फतवा को इन दिनों सोशल मीडिया में खूब शेयर किया जा रहा है, और यह बताया जा रहा है कि दारूल उलूम देवबंद ने योग को हराम क़रार दिया है.

दारूल-उलूम देवबंद की ओर से जारी इस फतवे को आप नीचे देख सकते हैं:

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