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योग-विरोधी दुनिया को अस्वस्थ देखना चाहते हैं!

BeyondHeadlines पर प्रकाशित ‘योग द्वारा रोग निवारण का सच’ के जवाब में…

Ashutosh Kumar Singh

योग स्वस्थ रहने का मूल मंत्र है. योग शरीर की व्याधियों से जुझने वाला सशक्त ‘एंटीबायोटिक’ है. ‘योग’ को अपनाना ठीक वैसा ही है, जैसे किसी मशीन को चलाते रहने के लिए ओवरवाइलिंग की ज़रूरत…

जब हम योग करने की बात करते हैं तो इसका मतलब ‘अष्टांग मार्ग’ से होता है. योग के पूर्ण लक्ष्य तक पहुंचने के लिए आठ मार्ग बताएं गए हैं. यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान व समाधि. लेकिन आजकल ज्यादातर लोग यम, नियम को छोड़कर सीधे आसन व प्रणायाम करते हैं, उसी तरह प्रत्याहार व धारणा का अभ्यास छोड़कर सीधे ध्यान का अभ्यास करते हैं.

सच्चाई यह है कि यम, नियम का पालन किए बगैर कुछ भी प्राप्त करना संभव नहीं है. यहां पर यह समझना ज़रूरी है कि यम क्या है? सत्य, अहिंसा, अस्तेय (चोरी न करना), ब्रह्चर्य एवं अपरिग्रह (संग्रह न करना) इन पांचों का मन, क्रम व वचन से पालन करना ही यम है.

शौच (मन की शुद्धि), संतोष, तप का पालन ‘नियम’ है. यदि हम अपने जीवन में यम व नियम का पालन निरंतर करें तो पूर्ण स्वस्थ रह सकते हैं. खान-पान, आचार-विचार व अपने व्यवहार का शुद्धिकरण ही प्रत्याहार है और जहां तक धारणा का सवाल है तो ध्यान से पहले धारणा होता.

ध्याता-ध्येय के पूर्व की स्थिति है धारणा. शरीर, मन व श्वास जब सम्यक अवस्था में आ जाएं, तभी ध्यान के लिए हम तैयार हो पाते हैं. बाकी के चार मार्ग आसन, प्राणायाम, ध्यान व समाधि के बारे में कुछ बताने की ज़रूरत नहीं है.

इस तरह से देखा जाए तो योग एक तरह से संपूर्ण जीवन-पद्धति है. योग जीवन के अनुशान का नाम है. शरीर को अनुशासित बनाए रखने का प्राकृतिक उपचार है. योग को लेकर जिन लोगों के मन में भ्रांतियां हैं, पहले उन्हें योग के सही संदर्भों को जान लेना चाहिए.

योग से वे लोग डर रहे हैं जो हिन्दुस्तान सहित पूरे विश्व में बीमारियों की खेती कर रहे हैं. बीमारियों की नए-नए ‘संकर’ बीच पैदा कर रहे हैं! बीमारों की फसल काटना उनकी फितरत में हैं. जितने बीमार उतना ज्यादा फायदा!

यदि आप अपने स्वास्थ्य को संभाल लेंगे तो आपकी उत्पादन शक्ति बढ़ जायेगी और ऐसा ‘वो’ चाहते नहीं! उत्पादन शक्ति बढ़ने का मतलब है कि आपकी आर्थिकी भी मज़बूत होगी और फिर आप ‘उनकी’ गुलामी तो कर नहीं पायेंगे!

योग के विपक्ष में जितने भी तर्क दिए जा रहे हैं वो सब के सब भारत को ‘अस्वस्थ’ बनाए रखने की साजिश का हिस्सा है. भारत को स्वस्थ बनाना है तो बीमारियों से निज़ात पाना ही होगा! नहीं तो हमारा शरीर उनके लिए मेडिकल ट्रायल का एक मेढ़क बनकर ही रह जायेगा!

(लेखक स्वस्थ भारत अभियान के राष्ट्रीय संयोजक व www.swasthbharat.in के संपादक हैं.)

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