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Reading: 10 बातें… जो आप अपने बच्चों से कभी न कहें…
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10 बातें… जो आप अपने बच्चों से कभी न कहें…

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published August 29, 2015
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9 Min Read
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By Ekta Sharma Bhatnagar

अभिभावक होना थोड़ा मुश्किल काम है. लेकिन सबसे मुश्किल काम है अपने बच्चे से बात करना. हमेशा याद रखें कि बच्चों में जानने की और सीखने की चाहत सबसे ज्यादा होती है. आप अपने बच्चों से जिस ढंग से बात या व्यवहार करते हैं, उसी से उनका व्यक्तित्व बनाता है.

एक माता-पिता की हैसियत से हम अपने बच्चों का भला चाहने में इतने स्वार्थी हो जाते हैं कि कभी-कभी गुस्से में ऐसी बातें कह जाते हैं जो हमें नहीं कहना चाहिए.

ये 10 बातें जो अभिभावक को अपने बच्चों को नहीं कहना चाहिए…

  1. *तुम एक बुरे लड़के/ लड़की हो*

आप अपने बच्चों में नकारात्मक सोच कभी न पनपने दें. यह उनके आत्मविश्वास को ख़त्म करता है. बच्चे मासूम होते हैं. उनको हमेशा अच्छे, खुश और सकारात्मक रहने के लिए कहिए. उन्हें समझाइए कि कुछ शब्द और क्रियाएं बुरी होती है जो दूसरों को नुक़्सान या चोट पहुंचा सकती हैं. लेकिन उनसे यह मत कहिए कि यह आदतें उन्हें बुरा लड़का या लड़की बनाते हैं. उनकी तारीफ़ करते रहें जैसे  तुम दुनिया के सबसे अच्छे/ मासूम बच्चे हो. यह उन्हें आत्मविश्वास से भर देगा. उन्हें बताइये कि क्या ग़लत है और क्या सही. और अच्छे बुरे का नुक़्सान और फायदा बताइए.

  1. सीधे (ना) न कहें

किसी बात पर सीधे (न) कह देना आपके छोटे राजकुमार/ राजकुमारी को ठेस पहुंचाता है. अगर बच्चा हर वक्त आपके मुंह से (न) सुनता है तो वह अपना आत्मविश्वास और अभिभावक में विश्वास खो देता है. अगर आप अपने बच्चे की आदतों में सुधार नहीं देखते हैं तो उन्हें विकल्प देकर समझाने की कोशिश करें. उदाहरण के तौर पर उन्हें यह कहने के अलावा कि *शोर मत करो* यह कहें कि *जरा धीरे बात करें.* यह कहने की अलावा कि *घर में मत खेलो* यह कहें कि *आप अपने दोस्तों को पार्क में बुलाकर उनके साथ क्यों नहीं खेलते.*

  1. *मुझसे बात मत करो*

कभी भी अपने और अपने बच्चों के बीच बातचीत बन्द न करें. उनसे यह कभी न कहें कि मुझसे बात मत करो. उनसे सवाल पूछें और आजादी से उनको विचार रखने का मौक़ा दें. अगर याप यह चाहते हैं कि वह आपकी सलाह मानें तो उनसे पूछें कि अगर वो कोई काम करना चाहते हैं तो क्यों और यह करना क्यों ज़रूरी है? अपने शब्दों से, हावभाव स उन्हें मनाएं. बात करते रहें और सुनते रहें जब तक कि वे आपकी बात समझ न जाएं. मेरा बच्चा जब कभी मेरी बात नहीं मानता है तो मैं यह कहने की जगह पर कि *बहस* मत करो, मैं दुखी चेहरा बना कर कहती हूं कि *ओके* आप जो करना चाहते हो करो, लेकिन मैं इससे खुश नहीं हूं. इससे मेरी बात दुबार शुरू हो जाती है और हमारे पास उन्हें समझाने का मौका मिलता है.

  1. *तुम अपने भाई/बहन की तरह क्यों नहीं हो?*

कभी भी बच्चों की तुलना उसके भाई/ बहन से न करें. इससे उन्हें जलन होती है. वे अपने आपको बहिष्कृत महसूस करते हैं. इससे वे हारा हुआ महसूस करते हैं. इससे वे अपने भाई बहन को नापसंद करना शुरू कर देते हैं.

  1. ‘मुझे अकेला छोड़ दो!’

आप अपने बच्चे के लिए सबकुछ हो. कभी भी अपने बच्चे से मत कहो कि तुम उन्हें अकेला छोड़ दोगे या उनसे मत कहो कि मुझे अकेला छोड़ दो. कभी भी कोई ऐसी बात मत कहिए जिससे आपके बच्चे को दुख हो और उन्हें यह लगे कि उन्हें कोई प्यार नहीं करता. बच्चों से बात करना हमें धैर्य रखना सिखाता है.

  1. ‘कोई भी तुम्हारे जैसा बच्चा नहीं चाहता’

कोई भी बच्चा अपने आपसे आपत्तिजनक नहीं होता. हम लोग उन पर आरोप लगाते हैं कि वह आपत्तिजनक हैं. वह अपने माता-पिता का प्रतिबिम्ब हैं. उन्होंने सारी चीजें अपने माता-पिता, परिवार, दोस्तों से और अपने आस-पास के माहौल से सीखी हैं. तो अगर आप सोचते हैं कि आपका बच्चा अच्छा व्यवहार नहीं करता, तो याद रखें उन्होंने दुनिया में यह जगह अपने लिए नहीं चुनी है जहां वे रहते हैं. यह जगह उनके लिए आपने चुनी है. अगर वो कुछ ग़लत करता है तो उसके ग़लत करने के पीछे आप हो.

  1. ‘आप ये कर सकते हैं!’

कभी-कभी ऐसा होता है कि आपका बच्चा अपनी क्षमता से ज्यादा कुछ करना चाहता है लेकिन आप जानते हैं कि वह ऐसा नहीं कर पाएगा. तो जितना हो सके उस चीज़ से उन्हें दूर रखने की कोशिश करें. जैसे यदि उसे लगता है कि वह एक भारी कुर्सी उठा सकता है, जबकि आपके अनुसार नहीं तब आप उससे यह कहने के अलावा कि *हां तुम उठा सकते हो* यह कहें कि *कोशिश करो यदि तुम कर सकते हो, या हम तुम्हारी मदद करते हैं, या तुम अपने आपको चोट पहुंचा लोगे, मुझे तुम्हारी खातिर यह मुझे करने दो* या यह कहें कि चलो हम दोनों मिलकर यह करते हैं. बच्चे ग़लतियां करके ही कुछ सीखते हैं. अगर आप उन्हें कोशिश करने से रोकते हैं तो वे कभी कुछ नया करने की कोशिश नहीं करेंगे.

  1. ‘लड़के लड़कियां कभी यह काम नहीं करते’

बच्चा, बच्चा होता है तो उसे बच्चा ही रहने दें. लिंग के आधार पर उनके लिए कोई कानून न बनाएं. उन्हें पसंद करने की आजादी दीजिए, भले ही वह लड़कियों की पसंद वाली चीजें करते हों. उन्हें उन चीजों के लिए मत रोकिए जिस चीज में उनकी रुचि है. क्या पता वह उस क्षेत्र में बेहतर कर सके. जैसे आपका लड़का अगर खाना पकाने में रुचि लेता है तो उसे किचन सेट ला कर दें, क्योंकि बड़े होटलों में लड़कियां खाना नहीं बनाती. और कौन कहता है कि लड़के खाना नहीं बनाते या लड़कियां ट्रेन नहीं चलाती?

  1. ‘पापा को आने दो तब बताती हूं….’

इस ग़लती से बच्चे डबल मार झेलते हैं. इससे आपके बच्चे में बेचैनी और डर बैठ जाता है. खासकर उस व्यक्ति से बारे में जिससे आप उसकी गलती के बारे में बताने वाले हैं कि क्या हुआ था और इससे यह जाहिर होता है कि आप अपने बच्चे को समझाने में या समस्या को सुलझाने में असमर्थ हो. कुछ ऐसी चीजें है जिनको अनजाने में और गैर-जिम्मेदारी से आपका बच्चा कर सकता है. अगर आप कोई भी बात अपने पति से बताना चाहते हो तो बता सकते हो, लेकिन पहले अपने बच्चे से पूछो कि “क्या आप पापा को बताना चाहते हो या मैं उन्हें बताऊं? आप अपने बच्चे की गलतियों को स्वीकरने दें.

  1. ‘इतने बड़े होकर भी यह करते हो!’

अपने बच्चे से उसका बचपना न छीनें. आखिर वो बड़े हो ही जाएंगे क्या जल्दी पड़ी है? देखिए कि वह क्या करना पसंद करते हैं. अगर भारत मैच जीत गया है और आपका 8 साल का बच्चा बेड पर उछलना चाहता है तो उसे उछलने दो. उसे देखकर खुश हो जाओ.

अभिभावक के रूप में यह हमारा कर्तव्य है कि हम उसे खुश रखें और उसे दुनिया का समना करने का साहस दें.

(यह लेख मूल रूप से अंग्रेज़ी में था. इसे सिराज माही ने अनुवाद किया है.)

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