अटाली की एकता फिर से आबाद होगी?

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BeyondHeadlines News Desk

बल्लबगढ़ अभी भी संभल नहीं पा रहा है. पिछले सप्ताह मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर खुद दिल्ली में पीड़ितों से एक मुलाक़ात में साफ़ कहा कि दंगाई अरेस्ट होंगे ही, यह ज़रूरी नहीं. यहां तक कि गिरफ़्तारी के सवाल से साफ़ इंकार किया.

इससे बढ़कर केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुज्जर ने इस मामले में पीड़ितों से यहाँ तक कह डाला कि मस्जिद की दीवार न तो बनेगी. ना माईक लगेगा. ना ही बाहर का इमाम आएगा. और यहाँ तक कि पीड़ितों की तरफ से एफ़आईआर को वापस लेने का दबाव भी डाला.

हालांकि स्वामी अग्निवेश और अमीक़ जामेई की पहल पर हुए ईद मिलन के बाद से अटाली के हिन्दू-मुसलमान एक दूसरे को सहारा दिए हुए हैं. लेकिन दंगाईयों के हौसले इतने बुलंद हैं कि वह गाँव के बुज़ुर्गो की नहीं सुन रहे और सुरक्षा के बावजूद भय बरक़रार है. इसलिए पीड़ित मुसलमान अभी भी गाँव नहीं जा पा रहे. डर व भय के माहौल से 150 मुसलमान पलायन कर चुके हैं.

इतना ही नहीं, खेती से जुड़े किसानों की धान की फ़सल की रोपाई जहाँ नहीं हो पाई है, वहीं सैकड़ों बच्चों की तालीम के नुक़सान हो रहा है और राज्य सरकार मूकदर्शक तो बनी बैठी ही है, साथ ही हरियाणा विधानसभा में कांग्रेस भी खामोश है.

लेकिन दिल्ली में अटाली के मुसलमानों के इंसाफ़ के ख़ातिर लड़ाई जारी है. दिल्ली की गैर-सरकरारी संगठन ‘तंज़ीम-ए-इंसाफ़’ ने पहल की है. उन्होंने संसद में पैरवी के लिए सेक्यूलर पार्टियों के सांसदों से मिलकर सारे हालात बताये और अटाली मस्जिद से जुड़े दस्तावेज़, कोर्ट के आर्डर उपलब्ध कराये हैं.

उधर “फोरम ऑफ मुस्लिम एमपीज़” के कन्वेनर हुसैन दलवाई ने भी सीपीआई के डी. राजा, जदयू के अली अनवर व समाजवादी पार्टी के चौधरी मुनव्वर सलीम के साथ मिलकर इस मुद्दे पर सोमवार को संसद में गृहमंत्री को घेरने की तैयारी की थी, लेकिन संसद नहीं चल पाने की वजह से यह चर्चा नहीं हो सकी.

वहीं अटाली से पलायन रोकने के मक़सद से आज अटाली में भटकने वाले मुसलमानों को सहारा देते हुए तंजीम-ए-इंसाफ़ के जनरल सेक्रेटरी अमीक़ की क़यादत में बल्लभगढ़ में कैंम्प बनने की तैयारी हो शुरू हुई, जहाँ 200 लोगों के एक साथ रूकने का इंतेज़ाम होगा. अटाली के मुस्लिम परिवारों ने कहा कि जब तक दंगाइयों की गिरफ़्तारी नहीं होती, उनमें ख़ौफ़ है. वह घर नहीं जा सकते.

इस मसले पर तंज़ीम-ए-इंसाफ़ के जनरल सेक्रेटरी अमीक़ जामेई का कहना है कि प्रदेश बीजेपी सरकार ने ज़मीन अधिग्रहण के काले क़ानून से लोगों का ध्यान हटाने के लिए यह रणनीति अपनाई थी और दंगा करवाया.  अब इस बात को हरियाणा का किसान समझ चुका है. लेकिन इस समझ आने तक में काफी नुक़सान हो चुका है.

साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग मुल्क की एकता को चैलेंज कर रहे हैं, उन्हें हम एक न एक दिन ज़रूर झुकाएंगे और अटाली की एकता फिर से आबाद होगी.

मालूम हो कि आज हुई अटाली मीटिंग में अखिल भारतीय नौजवान सभा बल्लभगढ़ के सचिव मिथिलेश कुमार के साथ जामिया मिल्लिया इस्लामिया के फ़िरोज़ मुज़फ़्फ़र और मुहम्मद राफेय कैम्प की तामीर में मदद देने के लिए मौजूद थे.

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