BeyondHeadlinesBeyondHeadlines
  • Home
  • India
    • Economy
    • Politics
    • Society
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
    • Edit
    • Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Reading: राज्य प्रायोजित आतंकवाद का जघन्य रूप है बटला हाउस मुठभेड़ –प्रो. शमसुल इस्लाम
Share
Font ResizerAa
BeyondHeadlinesBeyondHeadlines
Font ResizerAa
  • Home
  • India
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Search
  • Home
  • India
    • Economy
    • Politics
    • Society
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
    • Edit
    • Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Follow US
BeyondHeadlines > India > राज्य प्रायोजित आतंकवाद का जघन्य रूप है बटला हाउस मुठभेड़ –प्रो. शमसुल इस्लाम
Indiaबियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी

राज्य प्रायोजित आतंकवाद का जघन्य रूप है बटला हाउस मुठभेड़ –प्रो. शमसुल इस्लाम

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published September 19, 2015
Share
11 Min Read
SHARE

BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ : बटला हाउस फ़र्ज़ी मुठभेड़ की सातवीं बरसी पर रिहाई मंच द्वारा शनिवार को यूपी प्रेस क्लब लखनऊ में ‘सरकारी आतंकवाद और वंचित समाज’ विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया.

सेमिनार को दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर, प्रख्यात इतिहासकार व रंगकर्मी शमसुल इस्लाम ने संबोधित किया.

बटला हाउस फ़र्जी मुठभेड़ कांड का जिक्र करते हुए शमसुल इस्लाम ने कहा कि आज राज्य सत्ता द्वारा अपने आतंक को जस्टिफाई करने के लिए ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ जैसे एक जुमले का प्रयोग करने लगी है. वह अन्याय के सारे सवाल को राष्ट्रीय सुरक्षा के के नाम पर दफ़न करना चाहती है. वह किसी को भी मार डालने, आतंकित करने, उत्पीडि़त करने का एक अघोषित हक़ रखने लगी है और यह सब काम राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर किया जाने लगा है.

उन्होंने एक उदाहरण देते हुए बताया कि किस तरह से दिल्ली सरकार ने बिजली की प्राइवेट कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए जन विरोधी फैसले किए. इन फैसलों द्वारा आम जनता पर कई गुना ज्यादा बिजली बिल वसूला जाना था. बिजली के इस प्राइवेटाइजेशन पर कोई हंगामा न मचे, इसलिए इस समझौते को राष्ट्रीय सुरक्षा की श्रेणी में डाल दिया गया. अब आम नागरिक आरटीआई जैसे कानून से भी इस फैसले के बारे में सरकार की प्राइवेट कंपनियों से क्या डील हुई है, जान नहीं सकता.

यही नहीं प्राइवेट बिजली कंपनियों ने जिन मीटरों का इस्तेमाल किया था, वे अपनी सामान्य गति से तीन गुना तेजी से चलते थे. इस तरह से जहां राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर आम जनता को लूटने का खेल चलता है, वहीं राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर उत्पीड़न के खिलाफ़ आवाम का मुंह बंद किया जाता है.

प्रो. शमसुल इस्लाम ने कहा कि आज के वर्तमान राज्य की बुनियाद पूंजीवाद के आरंभ के युग में 18वीं सदी में ही पड़ गई थी. पूंजीपति वर्ग यह जानता था कि जब तक आम जनता के दिमाग को गुलाम नहीं बनाया जाएगा, तब तक पूंजीवाद और उसके लूट को जस्टीफाई नहीं किया जा सकेगा.

पहले यह माना जाता था कि राज्य बदमाश लोगों के चंगुल में है, उससे पूरी दुनिया में आम जनता के भीषण टकराव होते थे. लेकिन फिर पूंजीपति वर्ग ने यह भ्रम फैलाया कि राज्य सत्ता सबकी है. उसमें सबकी हिस्सेदारी है. उसके फैसले सबकी सहमति से लिए जा रहे हैं.

उन्होंने कहा कि यह शब्द दरअसल दिमाग को गुलाम बनाने के लिए था. आज मोदी के समर्थक भी इसी की बात करते हैं, लेकिन वे यह भूल जाते हैं कि देश की केवल 31 फीसदी आवाम ने ही उन्हें वोट किया है. यह बात मोदी के जन विरोधी फैसलों को जस्टीफाई करने के लिए की जाती है. जो इस भ्रम को बेनकाब कर रहे हैं, उन्हें मारा जा रहा है. दाभोलकर, पनसरे और कालुबर्गी की हत्या इसी का नतीजा थी. लेकिन इन सबके बावजूद आज भी वे इस दिशा में व्यापक सहमति बनाने में असफल है.

उन्होंने कहा कि देश का सत्ता हस्तांतरण भले ही 1947 में हुआ था, लेकिन यह सरकार जो कि आजादी के बाद सत्ता में आयी, ने अपने कृत्यों से यह साबित किया कि वह आवाम की जन-आकांक्षा पूरी नहीं करती थी. इसके लिए उन्होंने दो उदाहरण दिए. पहला सन 1857 की आजादी की जंग हम इसलिए हारे थे, क्योंकि मराठा और हैदराबाद के निजाम की सेना ने सिंधिया परिवार के खात्मे के लिए निकली झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के साथ लड़ाई की थी. इसी वजह से उन्हें ग्वालियर में शहादत देनी पड़ी.

सन 1945 में तेलंगाना के इलाके में निजाम द्वारा आम जनता के उत्पीड़न के खिलाफ़ कम्यूनिस्टों ने बहादुराना संघर्ष किया था. लेकिन सरकार ने आजादी के बाद उन्हीं जैसी जन विरोधी ताक़तों को सबसे पहले उपकृत किया. आजादी के बाद भारत ने सबसे पहला एक्शन हैदराबाद और तेलंगाना में लिया था. इसमें भारतीय सेना ने निजाम के विरोधियों को, जिन्होंने उसके अत्याचार के खिलाफ़ संघर्ष किया था, बड़े पैमाने पर मारा.

यहां यह भी तथ्य है कि सेना ने अपने ऑपरेशन में केवल मुसलमानों को मारा था. जबकि निजाम के खिलाफ़ हिन्दू और मुसलमानों ने मिलकर संयुक्त लड़ाइयां लड़ी थीं.

उन्होंने कहा कि आज़ादी के बाद हमारे देश में निजाम को हैदराबाद का गर्वनर बनाया गया. हरी सिंह को भी कश्मीर का गर्वनर बनाया गया. उस दौर में दोनों अपनी आवाम के खिलाफ़ दमन के सबसे बड़े चेहरे माने जाते थे. इससे यह साबित होता है कि राज्य सत्ता आम जन की विरोधी और भारत के अपने संदर्भें में मूलतः सांप्रदायिक थी.

दूसरा उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जिस पुलिस अफसर ने भगत सिंह को फांसी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, आजादी के बाद उसे पंजाब के पुलिस का मुखिया बनाया गया. कहने का मतलब यह है कि सब कुछ आज़ाद भारत में वेसा ही चल रहा था, जैसा कि गुलामी के दौर में चलता था.

राजसत्ता में आम जन की भागीदारी का सवाल धोखा से ज्यादा कुछ नहीं था. आज भी राज्य सत्ता अपने चरित्र में जनविरोधी है. वह इंसाफ़ देने की कुव्वत नहीं रखती है.

प्रो. शमसुल इस्लाम ने बाबरी विध्वंस प्रकरण के पूरे संदर्भ पर अपनी राय रखते हुए कहा कि मुंबई बम धमाकों के आरोप में याकूब मेमन को फांसी दी गई. लेकिन सवाल यह भी तो है कि बाबरी मस्जिद विध्वंस, और उसके बाद उपजी हिंसा के बाद मुंबई में 900 से अधिक लोग मारे गए थे, जिसमें 700 मुसलमान थे. इनके गुनहगारों के लिए क्या किया गया?

श्री कृष्णा आयोग ने साफ बताया है कि इन दंगों में भाजपा के लोग और बाल ठाकरे शामिल था. यह बात डॉकूमेंट में दर्ज है, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की गई.

उन्होंने कहा कि आसाम के नेल्ली में 1983 में उल्फा ने सरकार के हिसाब से 1800 लोगों का, जिनमें सब मुसलमान थे, की हत्या की थी. यह द्वितीय विश्व युद्ध के बाद का सबसे बडा जनसंहार था. लेकिन राष्ट्रवाद की रक्षा के नाम पर राजीव गांधी से समझौते के तहत कुछ नहीं किया गया.

अन्याय की और भी कहानियां हैं. मेरठ के हाशिमपुरा में सब छूट गए. किसी को भी सज़ा नहीं हुई. सन 1984 में सिख जनसंहार में क्या हुआ? हजारों सिखों को उठाकर मार दिया गया. किसी को इंसाफ़ नहीं मिल सकता और हमें इस सत्ता से इंसाफ़ की उम्मीद नहीं करना चाहिए.

अभी कुछ दिन पहले सीबीआई ने कहा कोर्ट से कहा है कि है कि क्या हम टाइटलर को ज़बरजस्ती सिख विरोधी दंगों में फंसा दें? जब जानते हैं कि जगदीश टाइटलर का इन दंगों में क्या रोल था. यहीं नहीं, 1996 में बथानी टोला का जनसंहार हुआ, जिसमें सब बच गए. लक्षमणपुर बाथे में भी सब छूट गए.

मारे गए लोग गरीब, वंचित, और अल्पसंख्यक थे. क्या राज्य की प्रतिबद्धता इन तबकों को इंसाफ दिलाने की थी. इन सबके बाद भारतीय राज्य अपने मूल चरित्र में जन विरोधी साबित हो चुका है.

उन्होंने हाल ही में जारी एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि इस मुल्क में दलित महिलाओं के खिलाफ़ रेप और उत्पीड़न के ज्यादातर मामले दर्ज ही नहीं होते. गुजरात में दलित महिलाओं के रेप 500 प्रतिशत बढ़े हैं.

दलितों और वंचितों के खिलाफ हिंसा कोई चिंता की बात नहीं है. हां, अगर दलित कभी हिंसा करेंगे तो उन्हें फास्ट ट्रेक अदालत में घसीटा जाता है. वास्तव में यह गरीबों और वंचितों को आतंकित करने की राज्य सत्ता की एक रणनीति है. और एक पॉलिसी के तहत ऐसा किया जाता है.

प्रो. शमसुल इस्लाम ने कहा कि आज राज्य सत्ता जिसे आरएसएस संचालित कर रही है, आम हिंदुओं के खिलाफ़ है. आरएसएस का आम हिंदुओं से, उसकी समस्याओं से कुछ भी लेना देना नहीं है. यही बात मुसलमानों के हित संवर्धन का दावा करने वालों से भी है. उन्हें आम मुसलमान की समस्याओं और उसकी बेहतरी के सवाल से कुछ भी लेना देना नहीं है.

एक उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि मुकेश अंबानी जो दुनिया के तीसरे खरबपति हैं, का घर यतीमखाने की ज़मीन पर बना है. लेकिन इसे लेकर कोई सवाल किसी भी नुमाइंदे की ओर से कभी नहीं किया गया.

उन्होंने कहा कि सवाल और भी हैं जिनमें कई मायनों में हमने शर्म भरे कीर्तिमान भी बनाए हैं. जैसे भारत में सबसे ज्यादा बेघर लोग रहते हैं. भारत दुनिया का वो देश है जहां किसान सबसे ज्यादा आत्महत्या करते हैं. इस देश में दुनिया का सबसे ज्यादा खाना ख़राब किया जाता है.

उन्होंने कहा कि सरकार यह खुद मानती है कि हम दुनिया की भूखों की राजधानी हैं. भारत विश्व दासता सूचकांक में भी सबसे आगे है. लेकिन राज्य सत्ता और सरकार को इससे फर्क नहीं पड़ता. आरएसएस के लोग मुसलमानों से तिरंगा लगाने की बात करते हैं, लेकिन सच यह है कि आरएसएस तिरंगे से कितना प्यार करता है, इसकी बानगी यह है कि वह तीन का रंग ही अशुभ मानता है.

Share This Article
Facebook Copy Link Print
What do you think?
Love0
Sad0
Happy0
Sleepy0
Angry0
Dead0
Wink0
Waqf Under Siege: “Our Leaders Failed Us—Now It’s Time for the Youth to Rise”
Latest News Waqf Facts
The Earth Shook in Istanbul — But What If It Had Been Delhi?
I Witness World Young Indian
30 Muslim Candidates Selected in UPSC, List is here…
Education India Young Indian
World Heritage Day Spotlight: Waqf Relics in Delhi Caught in Crossfire
Waqf Facts Young Indian

You Might Also Like

IndiaLatest NewsLeadYoung Indian

OLX Seller Makes Communal Remarks on Buyer’s Religion, Shows Hatred Towards Muslims; Police Complaint Filed

March 8, 2025
IndiaLatest NewsLeadYoung Indian

Shiv Bhakts Make Mahashivratri Night of Horror for Muslims Across India!

March 4, 2025
Edit/Op-EdHistoryIndiaLeadYoung Indian

Maha Kumbh: From Nehru and Kripalani’s Views to Modi’s Ritual

February 7, 2025
HistoryIndiaLatest NewsLeadWorld

First Journalist Imprisoned for Supporting Turkey During British Rule in India

January 5, 2025
Copyright © 2025
  • Campaign
  • Entertainment
  • Events
  • Literature
  • Mango Man
  • Privacy Policy
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?