BeyondHeadlines News Desk
लखनऊ : ग्रेटर नोयडा के दादरी में कथित तौर पर बीफ़ खाने के आरोप में दंगाई भीड़ द्वारा 50 वर्षीय मुस्लिम व्यक्ति की हत्या की घटना को रिहाई मंच ने सपा सरकार द्वारा मुसलमानों के जान माल की सुरक्षा करने में पूरी तरह नाकाम हो जाने का एक और उदाहरण बताया है.
मंच ने आरोप लगाया है कि प्रदेश सरकार आगामी विधानसभा चुनावों के लिए हिंदुत्ववादी साम्प्रदायिक आतंकियों के साथ मिलकर सूबे में मुसलमानों के बड़े जनसंहार का माहौल बना रही है.
रिहाई मंच द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने कहा है कि जिस तरह दादरी में मंदिर के लाउडस्पीकर से यह ऐलान करके कि मुहल्ले का निवासी मुहम्मद एख़लाक़ बीफ खाता है, उसके परिवार के ऊपर सौ से ज्यादा साम्प्रदायिक आतंकियों की भीड़ ने हमला किया और 50 वर्षीय एख़लाक़ को ईंट-पत्थरों से पीट-पीट कर मार डाला, वह साफ़ करता है कि उन्हें अखिलेश सरकार में मुस्लिमों की हत्या करने की खुली छूट मिली हुई है.
उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव ने पिछले दिनों कहा था कि जिन जगहों पर भी दंगा होगा, वहां के एसपी और डीएम के खिलाफ़ कार्रवाई होगी, लेकिन अभी तक गौतमबुद्ध नगर के एसपी और डीएम न सिर्फ बने हुए हैं, बल्कि हत्यारों को बचाने की पूरी कोशिश भी कर रहे हैं. जिसकी मिसाल मंदिर के पुजारी ‘बाबाजी’ को पूछताछ के बाद छोड़ दिया जाना है. जबकि एसएसपी किरन एस ने खुद मीडिया में बयान दिया है कि उन्हें जांच में इस बात के सबूत मिले हैं कि मंदिर के माईक से पीडित परिवार के खिलाफ़ हमले का आह्वान किया गया था.
रिहाई मंच के अध्यक्ष ने पूछा कि जब खुद एसपी अपनी जांच में मंदिर के माईक से हमले के आह्वान की बात कह रहे हैं तो फिर मंदिर के पुजारी जो उसी मंदिर में चौबिसों घंटे रहते हैं, को क्यों सिर्फ पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया? उसे हत्या और साम्प्रदायिक हिंसा फैलाने का आरोपी क्यों नहीं बनाया गया?
उन्होंने कहा कि जिस तरह मंदिर के माईक का इस्तेमाल मुसलमानों पर हमले के लिए किया गया, ठीक वैसा ही मुज़फ्फ़रनगर साम्प्रदायिक हिंसा के दौरान भी साम्प्रदायिक आतंकियों ने किया था. जो साबित करता है कि मुज़फ्फ़रनगर के हत्यारों के खिलाफ़ सपा सरकार द्वारा सख्त कार्रवाई करने में नाकाम होने के कारण दंगाईयों के हौसले बुलंद हैं और वो जगह-जगह सरकार की मदद से मुज़फ्फ़रनगर दोहराने की कोशिश में लगे हुए हैं.