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बहन मायावती को यह ‘ज्ञान’ कब प्राप्त हुआ?

By Adv. Mohd. Shoaib for BeyondHeadlines

मायावती जी को कब इस ज्ञान की प्राप्ति हुई कि आतंकवाद के नाम पर मुसलमानों को पुलिस फंसाती हैं, उन्हें ज़रूर बताना चाहिए. क्या उन्हें इसका ज्ञान चुनाव के कारण हुआ है?

2002 गुजरात के मुस्लिम जनसंहार के बाद मोदी के प्रचार में जा चुकी मायावती से मैं जानना चाहता हूं कि बाटला हाउस 2008 को वह क्या मानती हैं?

सच तो यह है कि आतंकवाद के नाम पर बेगुनाहों की गिरफ्तारियों के ख़िलाफ़ खड़े हुए आंदोलनों के दबाव में पक्ष-विपक्ष की सत्ताधारी पार्टियां वोटों के ख़ातिर इस सवाल को उठाती हैं पर जब वे सत्ता में रहती हैं तो वह न खुद संघ द्वारा पोषित सुरक्षा-खुफिया एजेंसियों के साथ मिलकर बेगुनाहों को जेलों में ठूंसने का काम करती हैं, बल्कि उनकों सालों साल कैसे जेल में सड़ा कर पूरे मुस्लिम समुदाय को बदनाम किया जाए इसके लिए निचली अदालतों से बरी युवकों के ख़िलाफ़ ऊपरी अदालतों में अपील भी करती हैं.

कानपुर के बरी युवकों के ख़िलाफ़ जहां मायावती सरकार ऊपरी अदालत में गई तो वहीं बिजनौर, पंश्चिम बंगाल के युवकों के ख़िलाफ़ अखिलेश सरकार गई है.

कड़वी हक़ीक़त यह है कि मायावती के मुख्यमंत्री काल में जब तत्कालीन डीजीपी विक्रम सिंह, एडीजी कानून व्यवस्था बृजलाल आज़मगढ़, प्रतापगढ़, बिजनौर, मुरादाबाद, बरेली से बेगुनाहों को उठाने का अभियान चला रहे थे, मायावती की एसपीजी सुरक्षा के लिए माहौल बनाने के लिए शाल बेचने वाले कश्मीरी युवकों को राजधानी लखनऊ में फर्जी मुठभेड़ों में गोलियों से भूना जा रहा था, तब मायावती को ये बात क्यों नहीं समझ आई थी.

मायावती को यह भी बताना चाहिए कि कानपुर में बम बनाते हुए मारे गए संघी आतंकवादियों के मामले में उनकी सरकार ने क्यों जांच आगे नहीं बढ़ाई?

जब मायावती अपनी किताब ‘मेरे बहुजन संघर्ष का सफ़रनामा’ में लिखती हैं कि योगी आदित्यनाथ की गतिविधियां देश विरोधी हैं, तब उनके देश विरोधी गतिविधियों के ख़िलाफ़ उन्होंने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की? या अजय मोहन सिंह बिष्ट उर्फ योगी आदित्यनाथ के ख़िलाफ़ जब कोर्ट के आदेश पर प्राथमिकी दर्ज हुई तो उनकी सरकार ने क्यों विरोध किया या फिर सुप्रीम कोर्ट में उनकी सरकार आदित्यनाथ के पक्ष में क्यों खड़ी हुई? बहन मायावती को चुनाव से पहले इन सवालों का जवाब ज़रूर देना चाहिए.

 

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