पवित्र गाय है सेना! इस पर ऊँगली न उठाइयेगा, धर्म नष्ट हो जाएगा!

Beyond Headlines
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By Abhishek Upadhyay

पाकिस्तान की माँ-बहन-भाई-बाप सब एक कर दो. कौन रोकता है. पर ये जो आर्मी के माई बाप बैठे हैं, इनका भी कुछ होगा क्या?

सेना के एक ब्रिगेड हेड-क्वार्टर जिसके भीतर तीन बटालियन बैठी हैं. तीन बटालियन… वहां चार आतंकी तार काटकर घुस जाते हैं. और सेना को कानो कान ख़बर नहीं होती है!!!

सोचिए कितनी भीषण चूक है. यूपी के बलिया ज़िले के एक प्राईमरी स्कूल में कुछ चोर सेंध लगाकर खाने पीने के बर्तन और कुछ रजिस्टर उठा ले जाते हैं. ये सिस्टम सुबह-सुबह ही हेडमास्टर को उल्टे पाँव टांग देता है. एफ़आईआर से लेकर विभागीय कार्यवाही तक क्या-क्या नहीं हो जाती है? पर यहां?

यहां तो पवित्र गाय है सेना. उस पर ऊँगली न उठाइयेगा. धर्म नष्ट हो जाएगा. कल से देख रहा हूँ सेना के DGMO यानि Director General Military Operation प्रेस-कांफ्रेंस दर प्रेस-कांफ्रेंस में दहाड़ रहे हैं कि पाकिस्तान के छक्के छुड़ा देंगे. उसे मुहतोड़ जवाब देंगे. थोड़ा सनी देवल को याद करते हुए ये भी कि जगह और समय हम तय करेंगे.

अरे सरकार! मेरे मालिक! पाकिस्तान का नामो-निशान मिटा दीजियेगा. आपका शौर्य सर आँखों पर. अब ये भी तो बताइए कि कहां हैं आपके वो ब्रिगेडियर साहब जिनके पास उरी की उस ब्रिगेड का ज़िम्मा है? कोई एक्शन लिया अब तक? जवाब मांगा?

ये जो 18 निहत्थे जवान. ये जो बेमौत मारे गए. इनकी शहादत की ज़िम्मेदारी कोई लेगा क्या? किसी बड़े अधिकारी की टोपी टंगेगी क्या? या जवान होते ही हैं, तिरंगे में लपेटकर. एक सैल्यूट देकर. अपनी जिम्मेदारियों से हाथ झाड़ लेने की खातिर?

इस देश में आर्मी इकलौती ऐसी institution है, जिसकी नाकामियों की ज़िम्मेदारी हमेशा पाकिस्तान के सिर फोड़ दी जाती है. आतंकी आर्मी की आँखों में धूल झोंककर LOC पार कर गए. तो ये पाकिस्तान की कायराना करतूत.

मुट्ठी भर आतंकी तमाम सुरक्षा इंतज़ामो का बलात्कार करते हुए आर्मी या एयरफोर्स बेस में घुस गए. तो ये भी पाकिस्तान का कमीनापन. सब पाकिस्तान की ज़िम्मेदारी. सब उसका क़सूर. हम क्या कर रहे हैं? घुइया छील रहे हैं!!!

पाकिस्तान से तो जो उम्मीद है, वो वही कर रहा है. दुश्मन देश का तंत्र और क्या करेगा? इसमें क्या नया है? पर अपने घर की चहार-दीवारी में सेंध की भी कोई ज़िम्मेदारी लेगा क्या? जैसे हम सांसदों, विधायकों, नौकरशाहों और नीति-निर्माताओं से सवाल पूछते हैं, इनसे भी कुछ सवाल होंगे क्या?

ये कब तक चलेगा कि आर्मी बीट के रिपोर्टर आर्मी कैंपो में ठहरकर और आर्मी का खाया पीया खा पचाकर दिन रात आर्मी के गुण गाते रहेंगे और ज़िम्मेदारी की बात तय करते हुए जुबाने लड़खड़ा जाएंगी. अगर आप वाक़ई चाहते हैं कि घुसपैठ रुके और कुछ ठोस कार्यवाही हो तो अब केवल गुणगान बंद कीजिए. जब इस देश का हर नागरिक बराबर है तो सुलूक भी बराबर का हो. जय हिंद!

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