India

“ई-टेंडरिंग घोटाला” जब दवा ही मर्ज़ बन जाए…

By Javed Anis

घोटालों के लिए बदनाम रहे मध्य प्रदेश की ताज़ा पेशकाश ई-टेंडर घोटाला है. यह अपने तरह का अनोखा घोटाला है, जिसमें भ्रष्टाचार रोकने के लिए बनाई गई व्यवस्था को ही घोटाले का ज़रिया बना लिया गया.

जिस तरह से इस पूरे खेल को अंजाम दिया गया, वह डिजिटल इंडिया पर ही गंभीर सवाल खड़े कर रहा है.

माना जा रहा है कि यह मध्य प्रदेश का अब तक का सबसे बड़ा घोटाला हो सकता है जो व्यापम की व्यापकता को भी बौना करने वाला है.

अनुमान लगाया जा रहा है कि यह क़रीब 3 लाख करोड़ रूपए का घोटाला है, जिसमें अभी तक 1500 करोड़ रुपए का घपला पकड़ा जा चुका है.

इस पूरे मामले के तार सत्ता के शीर्ष से जुड़े हुए दिखाई पड़ रहे हैं. इस पूरे खेल में जो पांच आईएएस अधिकारी शामिल बताए जा रहे हैं वो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के क़रीबी माने जाते हैं.

चुनाव से कुछ ही महीने पहले उजागर होने वाला यह घोटाला सूबे की सियासत में उबाल ला सकता है.

विपक्ष को एक बड़ा मुद्दा मिल गया है और उसने इस मामले में सरकार की घेराबंदी तेज़ कर दी है, वहीं हर मामले पर बढ़-चढ़ पर बोलने वाले शिवराज सिंह चौहान इस घोटाले को लेकर पूरी तरह से ख़ामोश हैं. उलटे उनकी सरकार द्वारा ई-टेंडरिंग के घपले को उजागर करने वाले अधिकारी मनीष रस्तोगी को जबरन छुट्टी पर भेज दिया गया है. साथ ही उन्हें संबंधित विभाग से भी हटा दिया गया है.

ई-टेंडरिंग में बड़े पैमाने पर होने वाले घपले का पर्दाफ़ाश सबसे पहले लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (पीएचई) में हुआ, जहां एक सजग अधिकारी द्वारा पाया गया कि ई-प्रोक्योंरमेंट पोर्टल में टेम्परिंग करके 1000 करोड़ रुपए मूल्य के तीन टेंडरों के रेट बदल दिए गए थे. जिसके बाद इस मामले में गड़बड़ी को लेकर विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी द्वारा पीएचई प्रमुख सचिव प्रमोद अग्रवाल को एक पत्र लिखा गया था जिसके बाद तीनों टेंडर निरस्त कर दिए.

ख़ास बात ये है कि इनमें से दो टेंडर उन पेयजल परियोजनाओं के हैं, जिनका शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 23 जून को करने वाले थे.

दरअसल इस पूरे खेल में ई-पोर्टल में टेंपरिंग से दरें संशोधित करके टेंडर प्रक्रिया में बाहर होने वाली कंपनियों को टेंडर दिलवा दिया जाता था. इस तरह से मनचाही कंपनियों को कांट्रेक्ट दिलवाने का काम बहुत ही सुव्यवस्थित तरीक़े से अंजाम दिया जाता था.

इस पर्दाफ़ाश ने तो जैसे मध्य प्रदेश में ई-टेंडरिंग व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है और इसके बाद एक के बाद एक विभागों में ई-प्रोक्योरमेंट सिस्टम में हुए घपले के मामले सामने आ रहे हैं.

अभी तक अलग-अलग विभागों के 1500 करोड़ रुपए से ज्यादा के टेंडरों में गड़बड़ी सामने आ चुकी है, जिसमें मध्य प्रदेश रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (एमपीआरडीसी), लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, जल निगम, महिला बाल विकास, लोक निर्माण, नगरीय विकास एवं आवास विभाग, नर्मदा घाटी विकास जल संसाधन सहित कई अन्य विभाग शामिल हैं.

इस घोटालों को लेकर कई मुख्यमंत्री शिवराज के नज़दीक़ी माने जाने वाले क़रीब आधा दर्जन आईएएस शक के दायरे में माने जा रहे हैं, जिसमें पी.डब्ल्यू.डी. के प्रमुख सचिव मोहम्मद सुलेमान का नाम प्रमुखता से उभर के सामने आ रहा है. जिनके बारे में कहा जाता है कि इन्होंने अपने लॉबिंग से मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया को उद्योग मंत्रालय से बाहर करवा दिया था.

इन्हीं मोहम्मद सुलेमान को लेकर नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने आरोप लगाया है कि मामला सामने आने के बाद वे पी.डब्ल्यू.डी. मुख्यालय के परियोजना क्रियान्वयन यूनिट जाकर वहां संचालक की अनुपस्थिति में दो बस्ते बंधवाकर फाइलें ले गए थे, जबकि फाइलों को लेने-ले जाने के लिए एक निर्धारित प्रक्रिया है और इसके लिए ज़िम्मेदारी तय है.

अजय सिंह ने सवाल उठाया है कि आख़िर फाइलों में ऐसा क्या था जो सुलेमान खुद अपने वल्लभ भवन से निकल कर निर्माण भवन गए और वे इन फाइलों को कहां ले गए? 

दरअसल, इस पूरे मामले में शिवराज सरकार का रवैया लीपापोती और किसी तरह से पर्दा डालने का है. इसे मात्र तकनीकी खामी और वेबसाइट हैक होने की बात कहकर बच निकलने का प्रयास किया जा रहा है. जिससे ख़ास अधिकारियों को बचाया जा सके.

इस घोटाले को उजागर करने वाले अधिकारी मनीष रस्तोगी को उनके पद से हटाते हुए छुट्टी पर भेज दिया गया है. इससे उनके द्वारा जुटाए गए सबूतों से छेड़छाड़ करने की पूरी संभावना है.

एक तरफ़ तो मध्य प्रदेश सरकार के प्रवक्ता और जनसंपर्क मंत्री नरोत्तम कहते हैं कि एक चवन्नी का घोटाला नहीं हुआ है, वहीं दूसरी तरफ़ इसकी जांच आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्लू) को सौंप दिया जाता है.

ऐसे में स्वाभाविक सवाल उठता है कि बिना घोटाला के जांच किस बात की कराई जा रही है. विपक्ष ने इस पूरे मामले की जांच ईओडब्लू को सौंपने को लेकर भी सवाल उठाए हैं.

नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने आरोप लगाया है कि व्यापम की तरह इस मामले में भी जांच के नाम पर तथ्यों के साथ छेड़छाड़ कर रही है.

दरअसल मध्य प्रदेश में ईओडब्ल्यू किसी भी जांच प्रक्रिया को अत्यंत धीमी कर देने और ठंडे बस्ते में डाल देने के लिए बदनाम रहा है. शिवराज सरकार द्वारा इस घोटाले को उजागर करने वाले अधिकारी को छुट्टी पर भेजना और आनन-फ़ानन में इसकी की जांच ईओडब्ल्यू को सौंपना उनकी मंशा पर गंभीर सवाल खड़ा करते हैं.

भाजपा के 15 सालों के शासनकाल में मध्य प्रदेश घोटाला प्रदेश बनता जा रहा है, पिछले साल नवंबर में पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरूण यादव ने 12 सालों में हुए 156 प्रमुख घोटालों की सूची भी जारी की थी. इन सब में सबसे कुख्यात व्यापमं घोटाला है.

कैग ने भी अपनी रिपोर्ट में व्यापमं की कार्यप्रणाली को लेकर मध्य प्रदेश सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए बताया था कि कैसे इसकी पूरी प्रक्रिया अपारदर्शी थी और बहुत ही सुनियोजित तरीक़े से नियमों को ताक पर रख दिया था.

हालांकि एक के बाद एक कई विभागों के टेंडरों में टेंपरिंग उजागर होने के बाद से मध्य प्रदेश की राजनीति में वो उबाल नहीं है जो चुनावी साल में होनी चाहिए.

कांग्रेस का रवैया बहुत ढीला ढाला सा है. अजय सिंह जैसे एक-आध नेता इस मामले को लेकर शिवराज सरकार पर राजनैतिक हमला करते हुए नज़र आ रहे हैं, जबकि कुछ ही महीने के बाद होने वाले चुनाव में कांग्रेस इसे बड़ा मुद्दा बना सकती थी.

अजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चिट्ठी लिखकर ई-टेंडर घोटाले की जांच कराने की मांग की है और साथ ही इस बात की आशंका भी जताई है कि अगर जल्द ही इसकी जांच नहीं कराई गई तो सबूतों को नष्ट कर दिया जाएगा.

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह इस मामले में मौनी मामा बने हुए है, जबकि यह मामला बहुत गंभीर है. जिस ई-टेंडर व्यवस्था को भ्रष्टाचार ख़त्म करने के लिए लाया गया था उसे ही घपलेबाज़ी का हथियार बना लिया गया.

यह एक नहीं बल्कि कई विभागों का मामला है जो बताता है कि किस तरह से मध्य प्रदेश में ऊपर से नीचे तक भ्रष्टाचार की एक इस्पाती व्यवस्था बन चुकी है जो इसे ख़त्म करने के किसी भी उपाय को दीमक की तरह निगल जाती है.

(जावेद अनीस भोपाल में रह रहे पत्रकार हैं. उनसे javed4media@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है.)

Loading...

Most Popular

To Top

Enable BeyondHeadlines to raise the voice of marginalized

 

Donate now to support more ground reports and real journalism.

Donate Now

Subscribe to email alerts from BeyondHeadlines to recieve regular updates

[jetpack_subscription_form]