पुरूष नसबन्दी केवल 2.75 प्रतिशत है, कण्डोम का प्रयोग भी बहुत कम हो रहा है…

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BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ : 11 जुलाई को पूरी दुनिया में विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है. विश्व जनसंख्या दिवस, विश्व आबादी से जुड़े मुद्दों और जागरुकता को लेकर मनाया जाता है. यूं तो मानव ने हर क्षेत्र में तेज़ी से प्रगति की है और यह प्रक्रिया लगातार जारी है. नए-नए तकनीकी अविष्कार ने मानव जीवन को बिल्कुल बदल कर रख दिया है, लेकिन इस अंधाधुंध विकास के बीच के कई समस्याएं भी चुनौती के रूप में सामने खड़ी हुई हैं. जिसमें बढ़ती जनंसख्या भी एक बड़ी समस्या है.

हलांकि पिछले कई सालों से परिवार नियोजन को लेकर अलग-अलग, पर कई सारे प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन अभी भी परिवार नियोजन में सबसे बड़ी चुनौती पुरूषों की भागीदारी है, जो कि किसी भी गर्भ निरोधक संसाधन स्थाई व अस्थाई दोनों के प्रयोग में बहुत ही कम है.

पुरूष नसबन्दी केवल 2.75 प्रतिशत है, कण्डोम का प्रयोग भी बहुत कम है. इस प्रकार से परिवार नियोजन का सारा ज़िम्मा महिलाओं पर हो जाता है और यह उनके स्वास्थ्य के लिए ख़तरनाक हो जाता है.

उत्तर प्रदेश 3.0 की कुल प्रजनन दर के साथ उच्च प्रजनन दर वाला राज्य भी है. प्रदेश में गर्भावस्था एवं प्रसव से सम्बन्धित जटिलताओं के कारण एक लाख जीवित जन्मों में मातृ मृत्यु दर 258 है, जिसके लिए गुणवत्तापरक परिवार नियोजन सेवाओं का अभाव एक महत्वपूर्ण कारक है.

क़रीब 75 प्रतिशत मौतों को रोका जा सकता है, जहां महिलाओं को परिवार नियोजन सेवाओं और आपातकालीन प्रसूति संबंधी देखभाल करके किया जा सकता है.

परिवार नियोजन कार्यक्रम में केवल महिलाओं की ही भागीदारी है, पुरूष न के बराबर हैं, चाहे वह पुरूष नसबन्दी (2.75 प्रतिशत) हो अन्य अस्थायी साधन (जैसे कण्डोम 20 प्रतिशत) हों. 14 प्रतिशत महिलाएं अगला बच्चा नहीं चाहती हैं तथा 5 प्रतिशत महिलाएं बच्चों के बीच में अन्तर चाहती हैं, किन्तु इसके बावजूद उन्हें बच्चा पैदा करना पड़ता है. (तथ्य राज्य स्तर के है) 

ये सारी बातें विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर सरोजनी नगर ब्लाक में अमलतास सामाजिक संस्था के तत्वाधान में सहयोग संस्था के सहयोग से जेण्डर न्याय व परिवार नियोजन में पुरूषों की भागीदारी को लेकर जागरूकता मार्च तथा सम्मेलन से निकल कर सामने आई हैं.

इस सम्मेलन वरिष्ठ समाजसेवी के.के. शुक्ला ने बताया कि ज़िले में पिछले एक साल से परिवार नियोजन में पुरूषों की भागीदारी बढ़ाने को लेकर समुदाय व शैक्षणिक संस्थानों के युवाओं के साथ जागरूकता बढाने के लिए अभियान चलाया जा रहा है, जिसके तहत जिले में पुरूष समानता के साथी या जेण्डर चैम्पियन के रूप में चिन्हित किया जा रहा है.

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