Haj Facts

हाजियों से एयर-फेयर के नाम पर दुगुने पैसे वसूल किए जा रहे हैं…

अफ़रोज़ आलम साहिल, BeyondHeadlines

हज सब्सिडी इस साल पूरी तरह से ख़त्म कर दी गई है. लेकिन भारत सरकार के अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी ने मीडिया के ज़रिए देश के लोगों में ये भ्रम फैलाने की कोशिश की कि मोदी सरकार ने हस्तक्षेप कर हज जाने के किराए में चार साल पहले के मुक़ाबले 40-45 फ़ीसद कम कर दिया है. बहुत समय बाद उन्हें सबसे सस्ता किराया देना होगा. जबकि सच्चाई इसके बिल्कुल उलट है.

स्पष्ट रहे कि हर साल हाजियों का सबसे अहम खर्च एयर-फेयर होता है, जो इस बार अधिकतम 1,13,250 रूपये और न्यूनतम 59,450 रूपये था.

बता दें कि मुंबई से हज यात्रा पर जाने वालों से इस बार हवाई किराया के नाम पर 59,450 रुपये, यूपी के वाराणसी से 90,200 रुपये, असम के गुहाटी से 1,13,250 रूपये, झारखंड के रांची से 1,03,550 रूपये, श्रीनगर से 1,01,500 रुपये, तो वहीं बिहार के हज यात्रियों को 97,500 रुपये देना पड़ा है. जबकि, यही टिकट देश के प्राइवेट टूर ऑपरेटर्स अधिकतम 40-60 हज़ार रुपये में करा देते हैं. और तो और, अगर आप ठीक हज के समय किसी भी ऑनलाइन टिकट बुक करने वाली वेबसाइट पर जायें, तो इसी हज के दौरान आने-जाने का टिकट अधिकतम 50-60 हज़ार में मिल रहा था.

ऐसे में आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि किराये में क्या ज़बरदस्त भारी कटौती हुई है. हद तो यह है कि प्राइवेट टूर ऑपरेटर्स को सरकार ने यह छूट दे रखी है कि वे किसी भी एयरलाइंस से हाजियों को हज के लिए ले जा सकते हैं, वहीं सरकारी स्तर पर हाजी सिर्फ़ एयर इंडिया से ही जाने को मजबूर हैं.

अगर सरकार हज यात्रियों को सिर्फ़ इंडियन एयरलाइंस के ‘थकेले जहाज़’ से जाने की शर्त को ख़त्म कर दे और उसके बदले हज कमिटी ऑफ़ इंडिया को ग्लोबल टेंडर मंगवाने की इजाज़त दे दी जाये, तो हर साल हज यात्री से अभी जो रक़म एयर-फेयर के नाम पर लिया जा रहा है, उसके आधे में ही आना-जाना हो सकता है. 

इस सिलसिले में हज कमिटी ऑफ़ इंडिया के चेयरमैन चौधरी महबूब अली क़ैसर का कहना है कि, हम लोग हाजियों को चार्टड फ्लाईट्स से भेजते हैं और चार्टड फ्लाईट थोड़ी मंहगी होती ही है. दूसरी वजह ये है कि यहां से जो फ्लाईट जाती है, वो हाजियों को छोड़कर सिर्फ़ ज़म-ज़म लेकर आती है. कोई कमर्शियल एक्टिविटी नहीं होती है.

ग्लोबल टेंडर के बारे में पूछने पर चौधरी महबूब अली क़ैसर कहते हैं कि, जहां तक ग्लोबल टेंडर की बात है तो बता दूं कि सऊदी सरकार व भारत सरकार के बीच बाईलेट्रल एग्रीमेंट है कि भारत सरकार के एयरलाईन्स के पास 50 फ़ीसद का कोटा होगा और सऊदी सरकार के एयरलाईन्स का कोटा  50 फ़ीसद होगा. अब हम इसमें कुछ भी नहीं कर सकते…

उनका ये भी कहना है कि, ये इल्ज़ाम शुरू से रहा है कि एयर इंडिया को ज़िन्दा रखने के लिए उन्हें हज का टेंडर दिया जाता है, लेकिन सच्चाई ये है कि सऊदी सरकार चाहती है कि ग्लोबल टेंडर न हो.

बता दें कि इस बार 21 की जगह पूरे मुल्क में 20 एम्बार्केशन प्वाइंट बनाए गए थे. वहीं हज पॉलिसी रिवीयू कमिटी ने ये सिफ़ारिश की है कि एम्बार्केशन प्वाइंट  घटाकर 9 कर दिए जाएं. और ये नौ एम्बार्केशन प्वाइंट हैं— दिल्ली, लखनऊ, कोलकाता, अहमदाबाद, मुंबई, चेन्नै, हैदराबाद, बंगलुरू और कोचीन. 

बता दें कि मुख़्तार अब्बास नक़वी ने ये ऐलान किया था कि इस बार हज यात्रा के लिए एम्बार्केशन प्वाइंट की अनिवार्यता ख़त्म कर दी गई है. अब यात्री अपनी मर्जी से एम्बार्केशन प्वाइंट तय कर सकते हैं.

लेकिन यहां ये बता दें कि नक़वी की ये बात भी इस बार झूठी साबित हुई है. इस बार हज पर गए किशनगंज के मौसूफ़ सरवर का कहना है कि मेरे यहां से कोलकाता क़रीब है और हम किशनगंज वाले कोलकाता एयरपोर्ट से जाना चाहते थे, लेकिन हमें साफ़ मना कर दिया गया कि आप सिर्फ़ और सिर्फ़ गया एयरपोर्ट से ही जा सकते हैं. उसी तरह महाराष्ट्र में भी ऐसा मामला सामने आया है कि औरंगाबाद शहर के हाजी मुंबई एयरपोर्ट से जाना चाहते हैं, क्योंकि इससे उन्हें काफ़ी फ़ायदा होगा, क्योंकि मुंबई से उन्हें 59,450 रुपये एयर-फेयर देना होता, जबकि औरंगाबाद से उन्हें  81,950 रूपये देना पड़ा है. 

गौरतलब रहे कि इस बार कई एम्बार्केशन प्वाइंट से ये शिकायत आई है कि चार्टड प्लेन की जगह छोटे जहाज़ों से हाजियों को भेजा गया है. एयरपोर्टों पर भी कई तरह की परेशानियां उठानी पड़ी हैं. इसके अलावा कई फ्लाईट घंटों लेट रही हैं. वहीं ये भी शिकायत है कि उन्हें रास्ते में रोककर घंटों इंतज़ार कराया गया है.

यहां ये भी बता दें कि, ग्लोबल टेंडर की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक अर्ज़ी भी दाख़िल की गई है, जिसका फ़ैसला आना अभी बाक़ी है…

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