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शबनम हाशमी पर बेतिया शहर में हमले की कोशिश, जमकर हुई उनके ख़िलाफ़ नारेबाज़ी

BeyondHeadlines Staff Reporter

बेतिया : आज बिहार के ज़िला पश्चिम चम्पारण के बेतिया शहर में सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी पर हमले की कोशिश के साथ-साथ उन्हें देशद्रोही बताते हुए उनके ख़िलाफ़ जमकर नारेबाज़ी भी की गई.

दरअसल आज बेतिया शहर के एम.जे.के. कॉलेज के नवनिर्मित परीक्षा भवन में ‘भारत में विविधता, शिक्षा और सद्भाव’ विषय पर एक राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया था. इस सेमिनार में मुख्य वक्ता के तौर पर शबनम हाशमी, अयोध्या से युगल किशोर शरण शास्त्री और लखनऊ से शोध छात्रा और सामाजिक कार्यकर्ता किन्नर रेशमा शामिल हुई थीं.

यहां के एक स्थानीय पत्रकार के मुताबिक़ इस सेमिनार के विरोध की तैयारी पहले से थी. विरोध करने वालों में सबसे आगे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्कर्ता थे. इनमें से ज़्यादातर छात्र नहीं थे और कॉलेज से इनका कोई लेना-देना नहीं है. वो ये भी बताते हैं कि गरिमा शिकारिया के गार्डस ने इन्हें सुरक्षित निकाल लिया, हालांकि इन गुंडों ने इनके गाड़ी का पीछा भी किया था.

इस हमले की कोशिश के बारे में खुद शबनम हाशमी BeyondHeadlines से बातचीत करते हुए बताती हैं कि, हम प्रोग्राम के लिए कॉलेज में जैसे ही घुसे, नारेबाज़ी शुरू हो गई —‘शबनम हाशमी वापस जाओ, देशद्रोही वापस जाओ…’ ऐसा लग रहा था कि ये पहले से तैयारी थी. बावजूद इसके कार्यक्रम शुरू हुआ. इस बीच वो लोग चुप हो गए.

वो आगे बताती हैं कि, जब पोडियम पर मुझे बोलने के लिए बुलाया गया तो मैंने शुरू इसी बात से की कि, विविधता का मतलब यह भी है कि सोच में भी विविधता हो. इस लोकतंत्र आप भी नारे लगा सकते हैं और ये होना भी चाहिए. लेकिन अगर हमारे विचारों में मतभेद हैं तो आपस में बातचीत भी ज़रूरी है. इस तरह से मैं 20-25 मिनट बोली. उसके बाद उन्होंने ‘वन्दे मातरम’ और ‘भारत माता की जय’ का नारा लगाया, तो मैंने फिर पोडियम से कहा कि जो लोग जो ‘वन्दे मातरम’ का नारा लगा रहे हैं तो आप स्टेज पर आ जाईए, हम सब साथ मिलकर नारा लगा लेते हैं और इसे गा भी लेते हैं, लेकिन कोई नहीं आया. फिर मैंने कहा कि ठीक है मैं अकेले ही गा लेती हूं, क्योंकि आपको सिर्फ़ नारा लगाने ही आता है. फिर मैंने अकेले ही गाया और सारा हॉल खड़े होकर मेरा साथ दिया.

शबनम हाशमी बताती हैं कि, मेरे बाद रेश्मा बोलने आई और अपने भाषण के बाद ‘जय भीम’ और ‘इंक़लाब ज़िन्दाबाद’ के नारे लगाए. इसके बाद वो फिर से नारे लगाने लगें. अचानक 20-25 लोग सामने से आएं और कहने लगे कि आप लोगों ने पूरे बेतिया की बदनामी की है. देशद्रोहियों को कॉलेज में बुलाया गया है. अब हम छोड़ेंगे नहीं. और फिर से इन्होंने नारे लगाना शुरू कर दिया.

ये पूछने पर क्या आपके साथ धक्का-मुक्की या मारपीट भी की गई? इस पर हाशमी का कहना है कि, नहीं! दरअसल, हमारे साथ बेतिया की चेयरमैन गरिमा शिकारिया थीं. उनके गार्ड तुंरत आकर हमें चारों तरफ़ से घेर कर गाड़ी में पहुंचाया और फिर हम वहां से पटना के लिए निकल गए.    

इस पूरे मामले पर एम.जे.के. कॉलेज छात्र संघ की महासचिव निखिता कुमारी का कहना है कि एवीबीपी के कार्यकर्ताओं ने हुड़दंग मचाया. केसरिया झंडे लहराए. जय श्री राम के नारे लगाए और अन्त में चारों तरफ़ अफ़रा-तफ़री मचाया. जबकि शबनम हाशमी ने कोई भी आपत्तिजनक, भड़काऊ बयान नहीं दिया, तब भी उनकी हूटिंग की गई.

इनका कहना है कि, इसकी पटकथा तीन दिन पूर्व ही रची गई थी. एम.जे.के. कॉलेज छात्र संघ के अध्यक्ष रोहित कुमार और एबीवीपी के नेताओ द्वारा प्रचार्य को धमकी दी गई कि उन पर लगे छेड़खानी का मुक़दमा वापस नहीं हुआ तो सेमिनार नहीं चलने दिया जाएगा. इस तरह से मुक़दमा तो है ही उनको यह भी पहले से ही पता था कि वक्ता कौन लोग आ रहे हैं.

निखिता कहती हैं कि, इस चम्पारण की धरती पर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में दिल्ली, पटना, अयोध्या के वक्ताओं को बोलने पर एक तरह से रोक लगाकर आज़ादी की लड़ाई में अग्रणीय भूमिका निभाने वाले चम्पारण की धरती को शर्मसार किया गया है.

इस मामले में हमने बेतिया शहर की चेयरमैन गरिमा शिकारिया से भी बात करने की कोशिश की, लेकिन ख़बर लिखे जाने तक उनसे बात नहीं हो सकी.

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