BeyondHeadlines News Desk
पटना : 100 पूर्ण अंक संख्या है तो फिर उसमें से 127 कहां मिल सकते हैं? आप लोग भी सोचने लगे होंगे कि बिहार की शिक्षा व्यवस्था तो है ही ऐसी. ज़रूर कुछ घपला हुआ होगा. जैसे कि अंगूठा छाप लोगों को टॉपर बना दिया गया. लेकिन यहां तो मामला टॉपर वॉपर से हट के है.
दरअसल ये घटना है बिहार के टीईटी परीक्षा (बिहार शिक्षक पात्रता परीक्षा) की है, जहां एक दो अंकों से फ़र्जीवाड़ा नहीं हुआ है, बल्कि सौ अंक देकर फेल को पास में बदल दिया गया. और ये एक या दो विद्यार्थियों के साथ नहीं बल्कि सैकड़ों के रिजल्ट में ऐसा घपला हुआ है. ये फर्जीवाड़े से भी एक क़दम ऊपर का काम कहलाना चाहिए क्योंकि यहां तो 100 में से 127 अंक दिए गए हैं.
और फर्जीवाड़े का तरीक़ा जानकर आप पेट पकड़ कर हंसेंगे. हुआ ये कि जिन बच्चों के 27 अंक आए थे उनके अंकों में आगे 1 संख्या लिख दी गई, जिससे 27, 127 बन गया.
ये फर्जीवाड़ा कई ज़िलों में बड़े पैमाने पर किया गया है. कई ज़िलों के ज़िला शिक्षा कार्यालय से मिली सूचना के अनुसार फेल को पास करवाने में न तो ओवरराइटिंग करनी पड़ी और ना ही अधिक फेरबदल करनी पड़ी. बोर्ड की ऑरिजनल सीडी और ज़िलों को भेजी गई सीडी में अंतर है.
बता दें कि जब रिज़ल्ट निकला तो टीईटी में एक लाख 27 हजार 627 अभ्यर्थी सफल हुए थे. लेकिन अभी एक लाख 62 हजार अभ्यर्थियों को टीईटी का रिजल्ट मिल चुका है.
ज़्यादातर अभ्यर्थियों ने 20 से 30 नंबर हासिल किए थे जिन्हें संख्या ‘1’ जोड़कर, 100 नंबर अधिक दे दिए गए. अब इन्हें पास की श्रेणी में रखा जाये या टॉपर्स की या फिर हमें ये मान लेना चाहिए कि अब एक अलग तरह से टॉपर्स तैयार करने की होड़ में बिहार की शिक्षा प्रणाली की लगी हुई है. जो भी हो, ये विद्यार्थी जितना फेल होने पर परेशान होते, उससे ज़्यादा इन्हें अब शर्मिंदगी झेलनी पड़ेगी…
यहां ये बात भी गौरतलब रहे कि प्रदेशभर के कई ज़िलों में ऐसे फ़र्ज़ी शिक्षक पकड़ में आते रहे हैं. इसके लिए जांच कमेटी भी कई बार बनी है. लेकिन कुछ दिन जांच होने के बाद फिर वो ठंडे बस्ते में चला जाता है.
