Afshan Khan, BeyondHeadlines
अगर आपकी आदत है हर वक़्त अपने कंधों पर दुनिया भर के लोगों की फ़िक्र लादना… तो संभल जाईए ये आदत आप पर भारी पड़ सकती है.
शाहरूख़ खान का डायलॉग याद कीजिए जो ‘कल हो न हो‘ में था. शाहरुख प्रीति जिंटा को हर वक़्त परेशान देखकर डांटते हुए कहते हैं, ‘तुम्हे क्यों लगता है कि सारी दुनिया का बोझ तुम्हारे इन दो कमज़ोर कंधों पर ही है‘. ज़िन्दगी में हर लम्हा अगर हम खुश होकर जी लेंगे तो न हमारा न किसी और का कुछ बिगड़ेगा.
बहुत सारे शोध बताते हैं कि टेंशन लेने वाला व्यक्ति कम प्रोडक्टिव होता है और उसमें बीमारियों का भी जल्द और गहरा असर पड़ता है, क्योंकि जब दिमाग शांत नहीं रहता तो सेहत भी अच्छी नहीं रहती.
शोध से पता चलता है कि ज़्यादा फ़िक्र करने से दिमाग़ की ऊर्जा कम होती है और इस ऊर्जा की कमी के कारण हमें कुछ मीठा खाने का मन करता है. कुछ केस में लोग बार–बार चाय पीने की भी इच्छुक होते हैं.
दिमाग़ को फ़िक्र के जंजाल में कई बार हम जान बूझकर डालते हैं तो कभी अनजाने में मोबाइल या लैपटॉप के कारण. हम जब जब किसी काम में व्यस्त होने के बावजूद लैपटॉप या मोबाइल की नोटिफिकेशन को बार–बार सुनते हैं या देखते हैं तो इससे प्रोडक्टिविटी कम हो जाती है. जिस काम में हमें ज़्यादा ऊर्जा लगानी चाहिए उसमें हम कम ऊर्जा लगाते हैं. कारणवश हम ज़िन्दगी में कामयाबी का मुंह नहीं देख पाते.
तो कुल मिलाकर बात ये निकलती है कि हम सबको फ़िक्र को हवा में उड़ाकर (धुएं में नहीं, उससे पर्यावरण पर असर होगा) खुश रहना सीखना ही होगा ताकि जीवन जो एक बार मिला है, उसको उपयोगी बना सकें…