योगी आदित्यनाथ के ख़िलाफ़ चलेगा मुक़दमा

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BeyondHeadlines News Desk

नई दिल्ली : साल 2007 में गोरखपुर के साम्प्रदायिक दंगे के मामले में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सुप्रीम कोर्ट ने मुश्किलें बढ़ा दी हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने ज़िला अदालत व हाई कोर्ट के फ़ैसले को खारिज करते हुए स्पष्ट रूप से कहा है कि योगी के ख़िलाफ़ दाख़िल चार्ज-शीट पर दुबारा ट्रायल शुरू किया जाए. यानी ट्रायल कोर्ट में फिर से इसकी सुनवाई हो.

इस मामले की सुनवाई चीफ़ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए.एम. खानविलकर और जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की तीन सदस्यी बेंच कर रही है, जिसने एक महीना पहले उत्तर प्रदेश सरकार समेत चार पार्टियों को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह में जवाब तलब किया था कि आख़िर इस मामले की सुनवाई दुबारा क्यों न की जाए और योगी आदित्यनाथ के ख़िलाफ़ मुक़दमा क्यों न चलाया जाए?

सुप्रीम कोर्ट के इस बेंच ने आदेश दिया है कि हेट स्पीच के लिए अभियोग चलाने की मंज़ूरी को लेकर क़ानून के मुताबिक़ ट्रायल कोर्ट फिर से सुनवाई करे और साथ ही ट्रायल कोर्ट अपने फ़ैसले में विस्तृत कारण भी लिखे.

दरअसल गोरखपुर के सेशन कोर्ट ने यह कहते हुए योगी आदित्यनाथ के हेट स्पीच केस में सुनवाई बंद कर दी थी कि अभियोग चलाने की मंज़ूरी सही नहीं थी. इसके बाद याचिकाकर्ता ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाख़िल की थी. जनवरी 2018 में हाईकोर्ट ने भी इस याचिका को खारिज कर दिया. तब याचिकाकर्ता ने इसके ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था.

याचिकाकर्ता का कहना है कि ट्रायल कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के मुताबिक़ सुनवाई बंद करने के पीछे विस्तृत कारण नहीं दिए गए थे.

पुलिस के अनुसार ये मामला उत्तर प्रदेश के गोरखपुर ज़िले में 2007 में हुई एक घटना से जुड़ा है जब योगी वहां के सांसद थे.

प्राथमिकी के अनुसार, 27 जनवरी 2007 को सातवीं मुहर्रम के मौक़े पर आदित्यनाथ के भड़काऊ भाषण व आह्वान पर दक्षिणपंथी संगठन हिन्दू वाहिनी, कारोबारी समुदाय के सदस्यों ने एकत्रित होकर न सिर्फ़ नारेबाज़ी की बल्कि कई संपत्तियों को आग के हवाले किया, धार्मिक पुस्तकों को नुक़सान पहुंचाया और गोरखपुर के इमाम चौक पर विध्वंसकारी गतिविधियों को अंजाम दिया, जिससे पूरे इलाक़े में साम्प्रदायिक दंगा भड़क उठा था.

एडवोकेट ऑन रिकार्ड फ़ज़ल अय्यूबी का कहना है कि, ‘हमारी कामयाबी ये है कि अब अदालत में हमारी बात भी सुनी जाएगी.’ वहीं इलाहाबाद हाई कोर्ट के एडवोकेट फ़रमान अहमद नक़वी कहते हैं कि, ‘अब तो तय हो गया है कि सीएम योगी मुलज़िम हैं तो फिर उन्हें क्यों न हटाया जाए?’

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